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राजस्थान में पाए जाने वाले पलाश वनों की क्या विशेषताएँ है?
- ये मुख्यतः दक्षिणी अरावली एवं दक्षिणी-पूर्वी अरावली के आसपास पाए जाते है
- ये वन उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन की श्रेणी में आते है
- पलाश के अन्य नाम – पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू
- पलाश के पेड़ की ऊंचाई लगभग 10 से 15 मीटर होती है
- इस पेड़ की शाखाओं का रंग राख के रंग जैसे होता है
- मार्च के महीने में जब पलाश के फूल पेड़ पर लदे नारंगी-लाल रंग जैसे होते है , इसलिए इनके फूलों को “फ्लेम ऑफ द फॉरेस्ट”(जंगल की ज्वाला) कहा जाता है
- इसके फूल के अलावा पत्ते और छाल एसट्रिनजेंट और एंटी ऑक्सीडेंट कई गुण पाए जाते हैं
- पलाश का फुल होली का प्रतीक माना जाता है
- पलाश दो प्रकार के होते हैं एक नारंगी और दूसरा सफेद।
- इसके फूल बसंत में खिलते है
- उदयपुर जिले में यह दुर्लभ प्रजाति का पीला पलाश मिलता है।
- पलाश वन मुख्यरूप से चित्तौड़गढ़, अजमेर, पाली, जालोर, टोंक, भीलवाड़ा, बूंदी, झालावाड़, धौलपुर, जयपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, अलवर और राजसमंद जिलों में मिलता है।
- इसका अंग्रेजी नाम Butea monosperma है।
- पलाश वन पठारी भागों में पाए जाते है।