कर्मधारय समास – परिभाषा, भेद, 50+ उदाहरण, पहचान | Karmadharaya Samas

कर्मधारय समास(Karmadharaya Samas): जिस समास में पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है तथा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय होता है। कर्मधारय समास में द्वितीय पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण-विशेष्य और उपमान-उपमेय का विग्रह करने पर दोनों पदों में एक ही कारक की विभक्ति प्रयुक्त होती है।

कर्मधारय समास – Karmadharaya Samas

कर्मधारय समास में द्वितीय पद प्रधान होता है और दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय का संबंध हो तथा दोनों पद मिलकर एक इकाई बनाते हों, उसे हम कर्मधारय समास(Karmadharaya Samas) कहते है। इस समास को समानाधिकरण तत्पुरुष समास के नाम से भी जाना जाता है। यह समास तत्पुरुष समास का एक भेद है अतः इस समास का भी उत्तर पद प्रधान होता है, किन्तु प्रथम पद, द्वितीय पद की विशेषता बतलाने वाला होता है अर्थात् प्रथम पद विशेषण या उपमान के रूप में तथा उत्तर पद विशेष्य या उपमेय के रूप में प्रयुक्त होता है।

कर्मधारय समास की परिभाषा:

कर्मधारय समास की परिभाषा: जिस समास में पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है तथा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय होता है। ऐसे सामासिक शब्दों को कर्मधारय समास(Karmadharaya Samas) कहते है जैसे – मुखचन्द्र से मुख उपमेय है। यथा –नीलकमल – नीला है जो कमल (यहाँ नीला विशेषण तथा कमल विशेष्य है।) कर्मधारय समास को समानाधिकरण तत्पुरुष समास के नाम से भी जाना जाता है।

कर्मधारय समास के भेद/प्रकार

कर्मधारय समास में दो प्रमुख भेद/प्रकार होते है।

  1. विशेषता वाचक कर्मधारय समास
  2. उपमान वाचक कर्मधारय समास

1. विशेषता वाचक कर्मधारय समास के उपभेद –

  • विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास
  • विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास

2. उपमान वाचक कर्मधारय समास के उपभेद –

  • उपमानपूर्व पद
  • उपमानोत्तर पद

कर्मधारय समास की पहचान कैसे करें?

हम नीचे दी गई विशेषताओं के आधार पर कर्मधारय समास की पहचान कर सकते है –

  1. एक पद दूसरे पद की विशेषता बताता है एवं समास में सम्मिलित प्रथम पद (पूर्वपद) विशेषण होता है और दूसरा पद (उत्तर पद) विशेष्य होता है।
  2. जहाँ उपमेय-उपमान का सम्बन्ध होता है वहाँ एक पद उपमेय होता है तो दूसरा पद उपमान तथा विग्रह करने पर ’रूपी’ शब्द प्रयुक्त होता है।
  3. इस समास में विशेषण-विशेष्य और उपमान-उपमेय का विग्रह करने पर दोनों पदों में एक ही कारक की विभक्ति प्रयुक्त होती है।

नोट :  सु, स, कु, क उपसर्ग वाले समस्त पद प्राय: कर्मधारय समास के उदाहरण होते है।

उपमेय क्या होता है ?

वह वस्तु या व्यक्ति जिसको उपमा दी जा रही है, उसे उपमेय कहते है।

उपमान क्या होता है ?

वह वस्तु या व्यक्ति को जिसकी उपमा दी जा रही है, उसे उपमान कहते है।

उदाहरण – पीताम्बर – पीत है जो अम्बर (पीत – उपमान, अम्बर – उपमेय)

विशेषण क्या होता है ?

संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाने वाले शब्द ’विशेषण’ कहलाते है। जैसे – अच्छा, बुरा, काला, भला

विशेष्य क्या होते है ?

जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता प्रकट की जाती है, उसे ’विशेष्य’ कहते है। जैसे – ईमानदार व्यक्ति, काला पुरुष

कर्मधारय समास के नियम :

(1) विशेषण-विशेष्य वाले कर्मधारय समास –

विशेषण विशेष्य से बने कर्मधारय समासों को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जाता है –

1. पूर्वपद विशेषण – जिनमें पहला पद विशेषण होता है – जैसे – काली मिर्च, काला पानी, तलघर, दुर्गुण, नीलकमल, नीलाकाश, परमानंद, पीतांबर, पूर्णेंदु, पूर्वकाल, भलामानस, महाजन, महायुद्ध, पुच्छलताला, शुभागमन, सज्जन, सुंदरलाल, छुटभैया, खुशबू, बदबू आदि।
2. उत्तरपद विशेषण – जिनमें दूसरा पद विशेषण होता है – कविवर, नराधम, पुरुषोत्तम, मुनिवर
3. दोनों पद विशेषण – जिनमें दोनों पद विशेषण होते हैं – छोटा-बड़ा, भला-बुरा, ऊँचनीच, शुद्धाशुद्ध, शीतातप, नेक-बद
नोट – इन्हें द्वन्द्व में न लेकर कर्मधारय में ही लेते है।

(2) उपमेय-उपमान वाले कर्मधारय समास –

रूपक अलंकार में उपमेय उपमान का अभेद आरोप होता है तथा विग्रह पर ’रूपी’ शब्द आता है वहाँ कर्मधारय समास होता है।

उदाहरण

  • चरण कमल – कमल रूपी चरण
  • मुखारविन्द -अरविन्द रूपी मुख
  • संसार-सागर – सागर रूपी संसार

कर्मधारय समास के उदाहरण

आपको सुविधा के लिए कर्मधारय समास के 50 से ऊपर उदाहरण और इनका सामासिक विग्रह दिया गया है पहले हम विशेषण – विशेष्य से बने सामासिक पदों के बारे में पढेंगे ,इससे आप अच्छे से इस समास को समझ पाओगे। कर्मधारय समास के उदाहरणों(Karmadharaya samas ke Udaharan) और सामासिक विग्रह से आप इसे अच्छे से तैयार कर पाओगे।

विशेषण विशेष्य से बने सामासिक पद –

सामासिक पद सामासिक विग्रह
नीलकमल नील है जो कमल
पुरुषोत्तम पुरुषों में उत्तम है जो
सज्जन सत् है जो जन
महापुरुष महान् है जो पुरुष
पूर्णेंदु पूर्ण है जो इन्दु
कालीमिर्च काली है जो मिर्च
बहुमूल्य बहु है जिसका मूल्य
श्वेतवस़्त्र श्वेत है जो वस्त्र
कापुरुष कायर है जो पुरुष
पूर्वाह्न पूर्व है जो अह्न
बड़ाघर बड़ा है जो घर
नवयुवक नव है जो युवक
मीनाक्षी मीन के समान नेत्रों वाली
चरमसीमा चरम है जो सीमा
परमानंद परम है आनन्द जो
अपराह्न अपर् है जो अह्न
मध्याह्न मध्य है जो अह्न
कुपुत्र कुत्सित है जो पुत्र
नीलगाय नीली है जो गाय
नीलगगन नीला है जो गगन
कालापानी काला है जो पानी
परमात्मा परम है जो आत्मा
वीरपुरुष वीर है जो पुरुष
महात्मा महान् है जो आत्मा
महादेव महान् है जो देव
भ्रष्टाचार भ्रष्ट है जो आचार
मंदबुद्धि मंद है जिसकी बुद्धि
अधमरा आधा है जो मरा
नीलोत्पल नीला है जो उत्पल (कमल)
भलामानस भला है जो मानस
उड़नखटोला उड़ता है जो खटोला
लालकुर्ती लाल है जो कुर्ती
महाकाल महान् है जो काल
शुक्लपक्ष शुक्ल है जो पक्ष
कुपुत्र कुत्सित है जो पुत्र
कुबुद्धि कुत्सित है जो बुद्धि
कोमलांगी कोमल है जिसके अंग
भ्रष्टाचार भ्रष्ट है जो आचार
कुकृत्य कुत्सित है जो कृत्य
सद्बुद्धि सत् है जो बुद्धि
महर्षि महान है जो ऋषि
महाविद्यालय महान है जो विद्यालय
अधपका आधा पका है जो
लालमिर्च लाल है जो मिर्च
हताश हत है जिसकी आशा
बहुरूपिया बहुत है रूप जो
रामदीन दीन है जो राम
परमाणु परम है जो अणु
बड़भागी बड़ा भाग्य है जो
कुलक्षण कुत्सित है जो लक्षण
जन्मान्तर जन्म है जो अन्य
शिवदीन दीन है जो शिव
उड़नतस्तरी उड़ती है जो तस्तरी

उपमान-उपमेय से बने सामासिक पद –

सामासिक पद सामासिक विग्रह
वचनामृत अमृत रूपी वचन
कृष्णांगी कृष्ण जैसे अंग
स्त्रीरत्न रत्न रूपी स्त्री
कर-कमल कमल रूपी कर
पाषाणहृदय पत्थर जैसा हृदय
मुखारविन्द अरविन्द रूपी मुख
राजीवलोचन राजीव जैसे लोचन
देह-लता लता रूपी देह
ज्वालामुखी ज्वाला के समान मुख वाली
क्रोधाग्नि अग्नि रूपी क्रोध
गजगामिनी गज के समान गमन करने वाली
नृसिंह सिंह रूपी नर
वचनामृत अमृत के समान वचन
मृगनयनी मृग के समान नयनों वाली
दंतमुक्ता मोती के समान दांतों वाली
संसार-सागर सागर रूपी संसार
राजर्षि ऋषि रूपी राजा
तुषारध्वल तुषार के समान ध्वल
मृगनयनी मृग के समान नयनों वाली
वज्रदेह वज्र के समान देह
रक्ताम्बुज रक्त के समान अम्बुज
नरसिंह सिंह के समान नर
कमलाक्ष कमल के समान अक्षि
कुसुम हृदय कुसुम के समान हृदय
चंद्रमुखी चंद्र के समान मुख वाली
सूर्य मुखी सूर्य के समान मुख
हंसगामिनी हंस के समान चाल
पाणि पल्लव पल्लव के समान पाणि (हाथ)
भुजदंड दंड रूपी भुजा
नरशार्दूल शार्दूल (बाघ) रूपी नर

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमने हिंदी व्याकरण के अंतर्गत कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) को पढ़ा, हम आशा करतें है, कि आपको यह समास अच्छे से समझ में आ गया होगा …धन्यवाद।

FAQs –

1.  कर्मधारय समास की परिभाषा एवं उदाहरण लिखो

उत्तर – कर्मधारय समास की परिभाषा में यह जान लेते है कि इस समास में द्वितीय पद/उत्तर पद प्रधान होता है। दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय का संबंध हो तथा दोनों पद मिलकर एक सामासिक पद बनाते हों, उसे कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) कहते है। आपको समझने के लिए नीचे कुछ उदाहरण दिए जा रहें है।

कर्मधारय समास के 10 उदाहरण :

  • नरोत्तम – उत्तम है जो नर
  • देशान्तर – देशों का अन्तर है जो
  • कालास्याह – जो काला है, जो स्याह (काला) है
  • पीलाजर्द – जो पीला है, जो जर्द (पीला) है
  • श्यामसुन्दर – जो श्याम है, जो सुन्दर है
  • वज्रांग – वज्र के समान कठोर है जो अंग
  • पाषाणहृदय – पाषाण (पत्थर) के समान हृदय
  • राजीवलोचन – राजीव (कमल) के समान लोचन
  • अधरपल्लव – पल्लवी रूपी अधर (ओष्ठ)
  • हस्तारविंद – अरविन्द रूपी हस्त

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