सिकंदर लोदी कौन थे ?
- सिकंदर लोदी (Sikandar Lodi) दिल्ली सल्तनत के लोदी वंश का द्वितीय शासक था। वह लोदी वंश का सर्वश्रेष्ठ शासक था।
- सिकंदर लोदी का मूल नाम ’निजाम शााह’ था, जिसकी माँ एक स्वर्णकार की बेटी थी।
- सिकन्दर लोदी बहलोल लोदी का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था। 17 जुलाई, 1489 को वह ’सुल्तान सिकन्दर शाह’ की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर आसीन हुए।
- सिकंदर लोदी (Sikandar Lodi) का शासनकाल 1489 ई. से 1517 ई. तक माना जाता है।
- 1504 ई. में उसने राजस्थान के शासकों पर अपने अधिकार को सुरक्षित रखने तथा व्यापारिक मार्गों पर नियन्त्रण स्थापित करने के उद्देश्य से आगरा नगर की स्थापना की। वहाँ पर उसने एक किले का भी निर्माण कराया, जो बादलगढ़ का किला के नाम से प्रसिद्ध था। 1506 ई. में आगरा सिकन्दर लोदी की राजधानी बनी।
शासन में और सरदारों को नियंत्रण रखने में उसकी सफलता का मुख्य श्रेय उसके गुप्तचर विभाग को था। - राज्य के हिसाब-किताब की लेखा परीक्षण प्रणाली की शुरुआत की। उसने खाद्यान्न-करों (अनाज-कर) को समाप्त कर दिया तथा व्यापार से प्रतिबन्धों को हटा दिया, जिससे लोगों को आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिले।
सिकन्दर लोदी ने भूमि में गड़े हुए खजाने में कोई हिस्सा नहीं लिया। - नाप के लिए एक पैमाना ’गजे सिकन्दरी’ उसी के समय में प्रारंभ किया गया, जो प्रायः 30 इंच का होता था। इसमें 39 खाने होते थे और जो मुगल काल तक प्रचलित रहा।
- सिकन्दर लोदी की लगान तालिका शेरशाह सूरी के शासनकाल में बनायी गयी सूची का आधार बनी।
- उसने मुहर्रम और ताजिए निकालना बन्द करा दिया था और मुस्लिम स्त्रियों को पीरों व संतों की मंजारों पर जाने से प्रतिबन्धित किया। मस्जिदों को सरकारी संस्थाओं का रूप प्रदान करके उसे शिक्षा का केन्द्र बनाने का प्रयत्न किया।
- सिकन्दर लोदी ने हिन्दुओं पर जजिया कर पुनः लगा दिया और एक ब्राह्मण (बोधन) को इसलिए फाँसी दे दी क्योंकि उसका कहना था कि हिन्दू और मुस्लिम धर्म समान रूप से पवित्र है।
- सिकन्दर लोदी के स्वयं के आदेश से एक ’आयुर्वेदिक ग्रन्थ’ का फारसी में अनुवाद किया गया, जिसका नाम ’फरंहगे सिकन्दरी’ रखा गया।
- उसके समय में गान-विद्या के एक श्रेष्ठ ग्रन्थ ’लज्जत-ए-सिकन्दरशाही’ की रचना हुई, जो भारतीय संगीत पर पहला फारसी ग्रन्थ है।
- सिकन्दर शाह की मुख्य सफलता अफगान सरदारों को अपने नियन्त्रण में रखना था।
- सुल्तान सिकन्दर लोदी पहला अफगान था, जिसने एक सम्पूर्ण प्रभुत्त्व सम्पन्न बादशाह की भाँति व्यवहार किया।
- सिकन्दर लोदी के अनुसार, ’’यदि मैं अपने एक गुलाम को भी पालकी में बैठा दूँ तो मेरे आदेश पर सभी सरदार उसे अपनी कन्धों पर बैठाकर ले जायेंगे।’’
- व्यक्तित्व को सुन्दर बनाये रखने के कारण ही वह दाढ़ी नहीं रखता था।
- 1494-95 ई. में उसने दक्षिणी बिहार पर विजय की तथा बंगाल के शासक अलाउद्दीन हुसैन शाह के साथ मित्रता की संधि की।
- वह ’गुलरुखी’ के उपनाम से फारसी में कविताएं भी लिखता था।
- सिकंदर लोदी का मकबरा नई दिल्ली, भारत में है।