डाकन प्रथा क्या थी?
उत्तर – विशेषकर जनजातियों में किसी महिला को इस बात के लिए दोषी ठहराया जाता था कि वह बच्चों को खा जाती है, डाकन कहलाती थी, जिसे मार दिया जाता था। कानून बनने के बाद भी इस प्रकार की घटनाएँ होती रहीं। वर्तमान समय में भी यदा-कदा ऐसी घटनाएँ घटित होती रहती हैं। यह समाज के पिछड़ेपन एवं अशिक्षा का परिणाम है।
- कमांडेट जे.सी ब्रुक की प्रेरणा से उदयपुर रियासत में महाराणा स्वरूप सिंह नें 1853 में इस प्रथा पर सर्वप्रथम रोक लगाई।
- राजस्थान डायन प्रताड़ना निवारण अधिनियम (2015) को 26 जनवरी, 2016 से लागू कर इसे गैर-कानूनी घोषित कर दिया है।
डाकन प्रथा अशिक्षा का ही परिणाम थी
गाँवों में कोई बच्चा या महिला उचित उपचार के अभाव में ठीक नहीं होने पर किसी महिला पर शक किया जाता था कि उसने जादू टोने से बीमारी को बनाये रखा, इस प्रकार उस महिला को डाकन घोषित कर दिया जाता था। फिर पंचायत या महाराजा के सामने लाकर दवाब से डायन होना स्वीकार कराया जाता था।
इस प्रकार डायन घोषित की गई महिला को प्रताड़ित किया जाता था या मार दिया जाता था। यह प्रथा जनजाति क्षेत्रों में भीलों में सर्वाधिक प्रचलित है।