आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के भौतिक प्रदेशों में दक्षिणी पूर्वी पठारी प्रदेश(Dakshin Purvi Pathari Pradesh),Hadoti ka Pathar की विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे।
दक्षिणी पूर्वी पठारी प्रदेश – Dakshin Purvi Pathari Pradesh
इस आर्टिकल से पहले हमने राजस्थान के भौगोलिक प्रदेशों के शुरू के दो पार्ट पढ़े ।आज हम राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी पठारी प्रदेश(Dakshin Purvi Pathari Pradesh) के बारे में विस्तार से पढेंगे। इस टॉपिक को पढ़कर आपको मजा आ जाएगा , क्योकि हमनें इस आर्टिकल को पुरे दिल से तैयार किया है। आप आर्टिकल के नीचे कमेंट में जरुर आर्टिकल के बारे में कुछ लिखना।
विस्तार | कोटा, बूँदी, बारां, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, शाहपुरा व बाँसवाड़ा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर |
निर्माण का युग | क्रिटेशियस |
अवशेष | गोण्डवाना लैण्ड |
क्षेत्रफल | 6.89% |
जनसंख्या | 11% |
ढाल | दक्षिण से उत्तरी और उत्तर से पूर्व की ओर |
औसत ऊँचाई | 500 मीटर |
निर्माण | लावा निर्मित भू -आकृति,बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित |
औसत वर्षा | 80 – 120 सेमी तक |
मिट्टी | काली मिट्टी(वर्टीसोल्स),लोहांश की उपस्थिति |
वनस्पत्ति | चोड़े पत्ती वाले वन |
- राजस्थान का दक्षिणी पूर्वी भाग एक पठारी भाग है, प्राचीन काल में हाड़ावंशी शासकों का क्षेत्र होने के कारण इसे ’हाड़ौती का पठार’ कहते है। यह पठार मध्यप्रदेश में स्थित मालवा के पठार का उत्तर-पश्चिमी भाग है।
- दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश के अन्तर्गत कोटा, बूँदी, बारां, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, शाहपुरा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर व बाँसवाड़ा आदि जिले आते है।
- यह प्रदेश गोण्डवाना लैण्ड का अवशेष है।
- इस पठारी प्रदेश का ढाल दक्षिण से उत्तरी और उत्तर से पूर्व की ओर है।
- दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश 6.89% क्षेत्र में फैला हुआ है तथा यहाँ 11% जनसंख्या निवास करती है।
- इस प्रदेश की जलवायु अति आर्द्र है।
- इस प्रदेश में औसत वर्षा 80-120 सेमी. होती है।
- इस प्रदेश की प्रमुख मिट्टी काली मिट्टी(रेगुड़ मिट्टी) है। इस मिट्टी में लोहांश की उपस्थिति होती है। कपास की फसल के लिए काली मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त होती है।
- सर्वाधिक मसालों का उत्पादन बारां में होता है ।
- इस प्रदेश में बहने वाली प्रमुख नदी चम्बल, पार्वती, परवन, कालीसिन्ध व आहू है।
- इस प्रदेश के प्रमुख अभयारण्य चम्बल, घड़ियाल व दर्रा राष्ट्रीय उद्यान है।
- इस पठारी प्रदेश की औसत ऊँचाई 500 मीटर है।
- यह प्रदेश भू-आकृति के अस्पष्ट अधर प्रवाह(जिस प्रवाह तंत्र का कोई स्पष्ट उद्गम स्थल न हो) का क्षेत्र है।
- यह प्रदेश राजस्थान का सर्वाधिक नदियों के बहाव वाला भौतिक भाग है।
- यह राजस्थान का न्यूनतम क्षेत्रफल वाला भौतिक भाग है।
- राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला भौतिक प्रदेश है।
- इस भू-भाग की सबसे ऊँची चोटी ’चांदखेड़ी’ (झालावाड़) में 517 मीटर ऊँची है।
- यह प्रदेश सक्रांति प्रदेश कहलाता है।
हाड़ौती का पठार – Hadoti ka Pathar
क्षेत्रफल | 9% |
जनसंख्या | 12% |
उत्तरी अक्षांश विस्तार | 23’51’ से 25’27’ |
प्रमुख जिले | कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ |
पूर्वी देशान्तर विस्तार | 75’15’ से 77’25’ |
जलवायु | अतिआर्द्र |
निर्माण | हाड़ौती पठार का निर्माण बेसाल्ट लावा से हुआ है। |
प्रमुख नदियां | चंबल, पार्वती, और काली सिंध |
मिट्टी | काली या कपासी मिट्टी |
औसत ऊँचाई | 500 मीटर |
निर्माण काल | इस पठार का निर्माण क्रिटेशियस काल में हुआ है। |
हाड़ौती का पठार(Hadoti ka Pathar) को दो भागों में बाँटा गया है –
- विंध्यन कगार भूमि(भूगर्भिक भाग)
- दक्कन लावा पठार(धरातलीय भू-भाग )
(1) विंध्यन कगार भूमि(विंध्यन कगार क्षेत्र राजस्थान) –
- इसके दो भाग है – विंध्यन कगार और महान सीमा भ्रंश
- यह करौली, धौलपुर व सवाई माधोपुर में विस्तृत है।
- यह क्षेत्र विंध्याचल पर्वत का अंतिम भाग है।
- यह चम्बल व बनास नदी के मध्य का भाग है।
- यह लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित पट्टी है।
- इस क्षेत्र की कगार भूमियों की ऊँचाई 350 मीटर से 550 मीटर के बीच में है।
- महान सीमा भ्रंश(Great Boundary Fault) – राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में महान सीमा भ्रंश गुजरती है। जो अरावली पर्वतमाला के पूर्व में स्थित है। अरावली पर्वतमाला व विंध्याचल पर्वत का मिलन स्थल होने के कारण इसे ’महान सीमा भ्रंश’ कहते है। यह अरावली के पूर्व में स्थित है। यह करौली, कोटा, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, बूँदी व धौलपुर में फैला हुआ है।
(2) दक्कन लावा पठार –
- दक्कन का लावा पठार कोटा, बूँदी, बारां व झालावाड़ जिलों में विस्तृत है।
- मध्यप्रदेश के विन्ध्यन पठार के पश्चिमी भाग तीन संकेन्द्रीय कगारों के रूप में विस्तृत है। यह तीन संकेन्द्रीय कगार तीन प्रमुख बलुआ पत्थरों की परिव्यक्त शिलाओं के बीच-बीच में स्लेटी पत्थर भी मिलते हैं।
- दक्कन का लावा पठार की मिट्टी काली है। इसमें दक्कन लावा की शैल पायी जाती है।
- इस पठार में चम्बल और इसकी सहायक नदियों (काली सिन्ध और पार्वती) ने कोटा में एक त्रिकोणीय कांपीय बेसिन का निर्माण किया है।
- इसकी औसत ऊँचाई 210-275 मीटर है।
अर्द्धचन्द्राकार पर्वत श्रेणियाँ – इस क्षेत्र में बूँदी की पहाड़ियाँ व मुकन्दरा की पहाड़ियाँ अर्द्धचन्द्राकार रूप में फैली है।
बूँदी की पहाड़ियाँ – ये पर्वत श्रेणी लगभग 96 किमी. की लम्बाई उत्तर-पूर्व से दक्षिणी-पश्चिम में फैली है। यह दोहरी पर्वतमाला है। इन पहाड़ियों को आडावाली पहाड़ियाँ भी कहते है। इस श्रेणी का सर्वोच्च शिखर सतूर (बूँदी) में 353 मीटर की ऊँचाई में है। इस पर्वत श्रेणी में 4 प्रमुख दर्रे हैं – 1. रामगढ़ दर्रा, 2. लाखेरी दर्रा, 3. खटगढ़ दर्रा, 4. जेतावास दर्रा।
मुकन्दरा की पहाड़ियाँ – मुकन्दरा की पहाड़ियों का विस्तार कोटा व झालावाड़ जिलों में है। लेकिन इसका सर्वाधिक विस्तार कोटा में है। इस भू – भाग में सर्वाधिक ऊंचाई वाली चाँदबाड़ी की चोटी(ऊंचाई – 517 मीटर) पाई जाती है। यह पहाड़ियाँ 120 किमी. की लम्बाई में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व में विस्तारित है। इस क्षेत्र में कुंडला की पहाड़ियाँ पाई जाती है । ये विंध्याचल पर्वतमाला का ही विस्तार है।
बूंदी की पहाड़ियों की सर्वाधिक ऊँची चोटी – सतूर(353 मीटर)
मुकन्दरा की पहाड़ियों में सर्वाधिक ऊंचाई वाली चोटी – चाँदबाड़ी (ऊंचाई – 517 मीटर)
शाहबाद का उच्च क्षेत्र – बारां जिले के पूर्वी भाग में शाहबाद के आस-पास का उच्च क्षेत्र है, जो समुद्रतल से लगभग 300 मीटर ऊँचा है। इस क्षेत्र में रामगढ़ (बारां) के पास घोड़े के नाल की आकृति की एक पर्वत श्रेणी है, जिसके मध्य राजस्थान में एकमात्र उल्का पिण्ड गिरने से बनी झील है। इस झील को विश्व भू विरासत ने क्रेटर झील के रूप में मान्यता दी है। इस झील को 2016 में जिओ हेरिटेज साइट घोषित किया गया
झालावाड़ का पठार – हाड़ौती के दक्षिणी भाग में झालावाड़ जिले का पठारी भाग, जो मालवा के पठार का भाग है। इसके दक्षिणी-पश्चिमी भाग में डग-गंगधर की उच्च भूमि है। इसकी औसत ऊँचाई 450 मीटर है।
दक्कन का पठार – दक्कन के पठार को ’विशाल प्रायद्वीपीय पठार’ भी कहा जाता है। दक्षिण भारत का मुख्य भू-भाग इसी पठार पर स्थित है। यह पठार त्रिभुजाकार है इसकी उत्तर सीमा सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत शृंखला द्वारा निर्धारित होती है।
राजस्थान के प्रमुख पठार
उड़िया का पठार कहां है?
- उड़िया का पठार सिरोही जिले में है। इसकी ऊँचाई 1360 मीटर है।
- यह राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार(Rajasthan ka sabse uncha Pathar) है।
- यह गुरूशिखर के नीचे स्थित है।
आबू का पठार कहां है?
- आबू का पठार सिरोही जिले में स्थित है। इसकी ऊँचाई 1200 मीटर है।
- यह राजस्थान का दूसरा सबसे ऊँचा पठार है।
- राजस्थान का सबसे ऊँचा शहर माउण्ट आबू बसा है।
भोराट का पठार कहाँ है?
- भोराट का पठार कुम्भलगढ़ (राजसमन्द) से गोगुन्दा (उदयपुर) के मध्य स्थित है। इसकी ऊँचाई 920 मीटर है।
- भोराट पठार की सबसे ऊँची चोटी ‘जरगा’ है।
मेसा का पठार कहाँ है?
- मेसा का पठार चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। इसकी ऊँचाई 620 मीटर है।
- इस पठार पर चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित है।
ऊपरमाल का पठार कहाँ है?
- ऊपरमाल का पठार भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) से बिजोलिया (भीलवाड़ा) तक है।
लसाड़िया का पठार कहाँ है?
- लसाड़िया का पठार सलूम्बर जिले में स्थित है।
- यह जयसमंद झील के पूर्वी भाग में फैला कटा-फटा पठार है।
मानदेसरा का पठार कहाँ है?
- मानदेसरा का पठार चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
- यह भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य में स्थित है।
भोमट का पठार कहाँ है?
- भोमट का पठार(Bhomat ka Pathar) उदयपुर, सलूम्बर, डूँगरपुर व सिरोही जिलों में है।
- यहाँ भील जनजाति निवास करती है।
क्रासका का पठार/कांकणवाड़ी का पठार कहाँ है?
- यह पठार अलवर जिले में सरिस्का अभयारण्य में स्थित है।
धोराजी का पठार कहाँ है?
- धोराजी का पठार चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
देशहरो का पठार कहाँ है?
- यह पठार उदयपुर की जरगा व रागा पहाड़ी में स्थित है।
पीडमाण्ट पठार कहाँ है?
- यह पठार देवगढ़, राजसमंद जिले में स्थित है।