आज के आर्टिकल में हम राजस्थान की अरबसागर में गिरने वाली नदी माही नदी(Mahi Nadi) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
माही नदी – Mahi Nadi
![माही नदी माही नदी](https://www.rajasthanexam.org/wp-content/uploads/2024/04/माही-नदी.png)
उपनाम | कांठल की गंगा, दक्षिण राजस्थान की गंगा, आदिवासियों की गंगा |
उद्गम | मेहन्द झील, विंध्याचल की पहाड़ियाँ, धार जिला (मध्यप्रदेश) |
राजस्थान में प्रवेश | खांदु गाँव (बाँसवाड़ा) |
विलुप्त | खंभात की खाड़ी (गुजरात) |
प्रवाह क्षेत्र | मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात |
राजस्थान में प्रवाह क्षेत्र | बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूँगरपुर |
कुल लम्बाई | 576 किमी. |
राजस्थान में लम्बाई | 171 किमी. |
सहायक नदियाँ | सोम, जाखम, अनास, चाप, मोरेन, एराव, इरू, भादर |
माही नदी की महत्त्वपूर्ण जानकारी –
- माही नदी राजस्थान की अरब सागर में गिरने वाली नदी है।
- माही नदी का उद्गम मध्यप्रदेश, धार जिला, सरदारपुरा गाँव, मेहन्द झील (विंध्याचल पर्वत) से होता है। मध्यप्रदेश में बहने के पश्चात् राजस्थान में बांसवाड़ा के खांदू गाँव से प्रवेश करती है। बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ की सीमा पर बहने के पश्चात् डूंगरपुर में प्रवेश करती है तथा डूँगरपुर व बाँसवाड़ा की सीमा पर बहने के पश्चात् गुजरात में बहती हुई खंभात की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
- माही नदी को ’आदिवासियों की गंगा’ तथा ’बांगड़ की गंगा’ के नाम से जाना जाता है।
- माही नदी को दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा भी कहा जाता है।
- माही नदी अंग्रेजी के उल्टे अक्षर ’यू’ की आकृति में बहती है।
- सुजलाम-सुफलाम परियोजना (बाँसवाड़ा) का संबंध माही नदी से है।
- प्रतापगढ़ और बाँसवाड़ा में यह ’छप्पन के मैदान’ का निर्माण करती है।
- माही नदी के द्वारा नवाटापुरा गाँव, बेणेश्वर (डूँगरपुर) में माही-सोम-जाखम त्रिवेणी संगम का निर्माण होता है।
- यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
- इस नदी के किनारे डूँगरपुर में गलियाकोट तथा बोहरा सम्प्रदाय की प्रधान पीठ सैय्यद फकरूद्दीन की मजार स्थित है।
- माही नदी के किनारे औदिच्य ब्राह्मणों की गद्दी स्थित है।
- माही नदी राजस्थान में बहने वाली बारहमासी नदियाँ है।
- माही नदी का जलग्रहण क्षेत्र 16030 वर्ग किमी. है।
- यह राजस्थान की एकमात्र नदी है, जिसका प्रवेश एवं निकास दोनों ही दक्षिण दिशा से होता है। प्रवेश के बाद दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हुई पुनः दक्षिण की ओर मुड़कर गुजरात में प्रवेश करती है।
- माही बजाज सागर बाँध – बोरखेड़ा, बाँसवाड़ा में है। यह राजस्थान का सबसे लम्बा बाँध है, जो 3109 मीटर लम्बा है। इस परियोजना पर कुल 140 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है। माही बजाज सागर बाँध परियोजना राजस्थान (45%) तथा गुजरात (55%) की जल में संयुक्त परियोजना है।
- माही नदी पर कागदी पिकअप बाँध बाँसवाड़ा में है। इस बाँध से सिंचाई हेतु दो नहरें निकलती है।
- गुजरात के माहीसागर जिले के रामपुर नामक स्थान पर माही नदी पर कडाणा बांध है। लेकिन बांध के भराव क्षेत्र का कुछ हिस्सा (डूँगरपुर) राजस्थान में भी है।
माही नदी की सहायक नदियाँ –
ऐराव नदी –
- ऐराव नदी का उद्गम प्रतापगढ़ से होता है। प्रतापगढ़ जिल से बहती हुई बाँसवाड़ा के सेमेलिया गाँव में माही नदी में विलीन हो जाती है।
जाखम नदी –
- जाखम नदी का उद्गम प्रतापगढ़ की छोटी सादड़ी तहसील में स्थित भंवरमाता की पहाड़ी से होता है। प्रतापगढ़ में बहने के पश्चात् यह नदी सलूम्बर में बहती हुई डूँगरपुर के नोरावल बिलूरा गांव में सोम नदी में मिल जाती है।
- जाखम नदी पर प्रतापगढ़ में जाखम बाँध स्थित है। जाखम बाँध राजस्थान का सबसे ऊँचा बाँध है। जिसकी ऊँचाई 81 मीटर है।
- जाखम नदी सीतामाता अभयारण्य में से बहती है।
सोम नदी –
- सोम नदी का उद्गम उदयपुर में ऋषभदेव, बीछामेड़ा की पहाड़ियों से होता है। उदयपुर व सलूम्बर में बहने के पश्चात् डूँगरपुर के बेणेश्वर धाम के गलियाकोट नामक स्थाान पर माही नदी में मिल जाती है।
- उदयपुर में सोम नदी पर सोमकागदर बाँध स्थित है।
- डूँगरपुर में इस नदी पर सोम-कमला-अम्बा परियोजना स्थित है। डूंगरपुर में इस नदी पर देव सोमनाथ जी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को ’बागड़ का वैभव’ उपनाम से भी जाना जाता है।
मोरेन नदी –
- मोरेन नदी का उद्गम डूँगरपुर जिले से होता है तथा समापन गलियाकोट से थोड़ा पहले माही नदी में दांये किनारे पर मिल जाती है।
चाप नदी –
- चाप नदी का उद्गम बाँसवाड़ा में कालिंजरा की पहाड़ियों से होता है। बाँसवाड़ा में ही बहती हुई यह नदी माही नदी में मिल जाती है।
अनास नदी –
- अनास नदी का उद्गम मध्यप्रदेश में विंध्याचल पर्वतमाला, आम्बेर गाँव से होता है। राजस्थान में इस नदी का प्रवेश बाँसवाड़ा जिले के मेलेड़ी खेड़ा से होता है। बाँसवाड़ा में ही बहती हुई यह नदी गलियाकोट के नजदीक माही नदी में मिल जाती है।
अनास नदी की सहायक नदी हरण नदी है।
ईरू नदी –
- ईरू नदी का उद्गम प्रतापगढ़ में पहाड़ियों से होता है। प्रतापगढ़ में बहने के पश्चात् यह नदी बाँसवाड़ा में माही बजाज सागर बाँध से पहले माही नदी में मिल जाती है।
भादर नदी –
- भादर नदी का उद्गम डूँगरपुर जिले के कांगुआ गाँव से होता है। डूँगरपुर में बहने के पश्चात् गुजरात में कडाना बाँध के बाद माही नदी में मिल जाती है।
निष्कर्ष –
FAQ –
1. कांठल की गंगा किसे कहते है?
उत्तर – माही नदी को कांठल की गंगा कहतें है।
2. आदिवासियों की गंगा किसे कहते है?
उतर – माही नदी को आदिवासियों की गंगा कहते है।
3. माही नदी राजस्थान में कौन से जिले से प्रवेश करती है?
उत्तर – माही नदी का उद्गम मध्यप्रदेश, धार जिला, सरदारपुरा गाँव, मेहन्द झील (विंध्याचल पर्वत) से होता है। मध्यप्रदेश में बहने के पश्चात् राजस्थान में बांसवाड़ा के खांदू गाँव से प्रवेश करती है। बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ की सीमा पर बहने के पश्चात् डूंगरपुर में प्रवेश करती है तथा डूँगरपुर व बाँसवाड़ा की सीमा पर बहने के पश्चात् गुजरात में बहती हुई खंभात की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
4. माही नदी कौन से सागर में गिरती है?
उत्तर – मध्यप्रदेश में बहने के पश्चात् राजस्थान में बांसवाड़ा के खांदू गाँव से प्रवेश करती है। बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ की सीमा पर बहने के पश्चात् डूंगरपुर में प्रवेश करती है तथा डूँगरपुर व बाँसवाड़ा की सीमा पर बहने के पश्चात् गुजरात में बहती हुई खंभात की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
5. माही नदी का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर – माही नदी के अन्य नाम कांठल की गंगा, दक्षिण राजस्थान की गंगा, आदिवासियों की गंगा है ।
6. माही नदी राजस्थान में कितने जिलों से गुजरती है?
उतर – माही नदी राजस्थान के बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर से गुजरती है।
7. राजस्थान में माही नदी की कुल लंबाई कितनी है?
उत्तर – माही नदी की कुल लम्बाई 576 किमी. है ,राजस्थान में यह 171 किमी. बहती है।