राजस्थान के त्यौहार – Festivals of Rajasthan | पूरा निचोड़ एक साथ

राजस्थान के त्यौहार: राजस्थान को रंगों का रंगीला प्रदेश कहा जाता है। यहाँ की संस्कृति में त्योंहारो,मेलों ,लोक कलाओ और वेशभूषा का अनोखा रंग – बिरंगा मिश्रण दिखाई देता है। राजस्थान के त्यौहार(Festivals of Rajasthan) हमारी लोक संस्कृति को जीवंत कर देते है। राजस्थान की मरुभूमि अपनी विशेष संस्कृति के रूप में विख्यात है। हमारे त्यौहार हमें एकता के सूत्र में बांधे रखते हैं। राजस्थान के त्यौहारों, पर्वो तथा मेलों की अनोखी सांस्कृतिक परम्परा का उदाहरण हमें ओर जगह पर देखने को नहीं मिलेगा। हिन्दू धर्म के त्योहार विक्रम संवत पर आधारित है।

अब हम आर्टिकल में राजस्थान की कला संस्कृति टॉपिक के अंतर्गत हम राजस्थान के त्यौहार(Festivals of Rajasthan) बिंदु पर विस्तृत जानकारी देने वाले है , आप पुरे आर्टिकल को अच्छे से पढ़ें।

Table of Contents

राजस्थान के त्यौहार- Rajasthan ke Tyohaar

  • हिन्दू धर्म के त्योहार विक्रम संवत पर आधारित है।
  • विक्रम संवत् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है।
  • विक्रम संवत् 57 ईसा पूर्व से प्रारम्भ हुआ था।

हिन्दू धर्म के 12 महीने

  • चैत्र (मार्च-अप्रैल)
  • वैशाख (अप्रैल-मई)
  • ज्येष्ठ (मई-जून)
  • आषाढ़ (जून-जुलाई)
  • श्रावण (जुलाई-अगस्त)
  • भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर)
  • आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर)
  • कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर)
  • मार्गशीर्ष (नवम्बर-दिसम्बर)
  • पौष (दिसम्बर-जनवरी)
  • माघ (जनवरी-फरवरी)
  • फाल्गुन (फरवरी-मार्च)

हिन्दू धर्म में एक कहावत प्रचलित है – ’’तीज त्योहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर।’’

राजस्थान के प्रमुख त्यौहार

त्योहार तिथि-वार
नवसंवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
बसंती नवरात्रा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक
सिंजारा चैत्र शुक्ल द्वितीया
गणगौर चैत्र शुक्ल तृतीया
रामनवमी चैत्र शुक्ल नवमी
आखातीज वैशाख शुक्ल तृतीया
देवशयनी एकादशी आषाढ़ शुक्ल एकादशी
नाग पंचमी श्रावण कृष्ण नवमी
छोटी तीज श्रावण शुक्ल तृतीया
रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा
बड़ी तीज भाद्रपद कृष्ण तृतीया
कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण अष्टमी
गोगानवमी भाद्रपद कृष्ण नवमी
पर्यूषण पर्व भाद्रपद कृष्ण एकादशी
हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल तृतीया
गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी
राधाष्टमी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी
तेजादशमी भाद्रपद शुक्ल दशमी
शारदीय नवरात्रा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी
करवा चौथ कार्तिक कृष्ण चतुर्थी
धनतेरस कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी
दीपावली कार्तिक अमावस्या
गोपाष्टमी कार्तिक शुक्ल अष्टमी
बसंत पंचमी माघ शुक्ल पंचमी
होली फाल्गुन पूर्णिमा
धुलंडी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा
शीतला अष्टमी चैत्र कृष्ण अष्टमी

हिन्दू धर्म के त्योहार

चैत्र माह के त्योहार: राजस्थान के त्यौहार

इस माह के प्रमुख त्यौहार धुलण्डी,शीतलाष्टमी,घुड़ला महोत्सव,नवसंवत्सर प्रारम्भ,बासंतीय नवरात्र,सिंजारा,गणगौर,दुर्गाष्टमी,अशोकाष्टमी,रामनवमी,महावीर स्वामी जयन्ती और हनुमान जयन्ती है ।

राजस्थान के चैत्र माह के त्यौहार
राजस्थान के चैत्र माह के त्यौहार

कृष्ण पक्ष

धुलण्डी –

  • धुलण्डी चैत्र कृष्ण एकम को मनायी जाती है।
  • इसी दिन गणगौर पूजन प्रारम्भ होता है और बसंत उत्सव प्रारम्भ होता है।
  • इसी दिन फूलडोल मेला शाहपुरा (भीलवाड़ा) में आयोजित किया जाता है। यह मेला रामस्नेही सम्प्रदाय से संबंधित है। यह मेला चैत्र कृष्ण एकम् से पंचमी तक चलता है।
  • इसी दिन बादशाह मेला ब्यावर में आयोजित होता है। इस मेले में भैरव नृत्य किया जाता है।
  • बाड़मेर में इलोजी की बारात निकाली जाती है। इलोजी को ’छेड़छाड़ का देवता’ कहते है।

शीतलाष्टमी –

  • शीतलाष्टमी चैत्र कृष्ण अष्टमी को मनाते है।
  • इस दिन ठण्डा भोजन खाते है और शीतला माता की पूजा होती है। जो ’चेचक की देवी’ कहलाती है। शील की डूंगरी (चाकसू) मंदिर में इस देवी की खण्डित प्रतिमा की पूजा होती है।
  • शीतला माता का मेला चाकसू (जयपुर ग्रामीण) में लगता है।

घुड़ला महोत्सव –

  • घुड़ला महोत्सव चैत्र कृष्ण अष्टमी को मनाया जाता है।
  • मारवाड़ में घुड़ला त्योहार मनाया जाता है।
  • इसमें महिलाओं द्वारा घुड़ला नृत्य किया जाता है।
  • इस दिन महिलाएँ गीत गाती हुई कुम्हार के घर जाकर छिद्र किये हुए घड़े में दीपक जलाकर गीत गाती हुई आती है। चैत्र शुक्ला तृतीया को इन घड़ों को पानी में बहा दिया जाता है।

नवसंवत्सर प्रारम्भ –

  • हिन्दूओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल एकम् से प्रारम्भ होता है।
  • इसी दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा त्योहार मनाया जाता है।
  • इसी दिन भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था।

शुक्ल पक्ष –

बासंतीय नवरात्र –

  • चैत्र शुक्ल एकम से नवमी तक बासंतीय नवरात्र होते है।
  • इन्हें ’बड़ा नवरात्र’ भी कहा जाता है।

सिंजारा –

  • नवविवाहिता के लिए ससुराल पक्ष से पीहर पक्ष में वधु के लिए जो सामान आता है, उसे ’सिंजारा’ कहते है।
  • गणगौर से एक दिन पूर्व नवविवाहित पुत्री या पुत्रवधू के लिए शृंगार का सामान व सुन्दर परिधान उपहार स्वरूप भेजे जाते है।
    छोटी तीज के पहले दिन भी सिंजारा भेजने की परम्परा है।

गणगौर –

  • गणगौर चैत्र शुक्ल तृतीया को मनायी जाती है।
  • यह त्योहार चैत्र कृष्ण एकम से चैत्र शुक्ल तृतीया (18 दिनों) तक चलता है। इसमें 16 दिन पूजा होती है।
  • इस त्योहार पर गण/ईसर (शिव)गौर/ईसरी (पार्वती) की पूजा होती है। गणगौर त्योहार पार्वती के ’गौने’ का सूचक है। इस अवसर पर शिव व पार्वती की आराधना द्वारा अविवाहित लड़कियाँ अपने लिए योग्य वर तथा वहीं विवाहित स्त्रियाँ अखण्ड सुहाग की कामना करती है।
  • गणगौर सबसे अधिक गीतों वाला त्योहार है।
  • इसी दिन त्योहारों का समापन होता है।
  • गणगौर की सवारी राजस्थान में जयपुर की प्रसिद्ध है।
  • चैत्र शुक्ल चतुर्थी को बिना ईसर की गणगौर जैसलमेर में मनाई जाती है। जैसलमेर में केवल गवर की पूजा होती है, ईसर की पूजा नहीं होती।
  • चैत्र शुक्ल पंचमी को गुलाबी गणगौर नाथद्वारा (राजसमंद) में मनाई जाती है।
  • धींगा गवर गणगौर उदयपुर की प्रसिद्ध है।
  • बूंदी के शासक बुधसिंह जोधपुर व बूँदी के राजपरिवार में गणगौर नहीं मनाई जाती।

दुर्गाष्टमी –

  • दुर्गाष्टमी चैत्र शुक्ल अष्टमी को मनायी जाती है।
  • करौली में कैलादेवी का प्रसिद्ध लक्खी मेला भरता है।

अशोकाष्टमी –

  • अशोकाष्टमी चैत्र शुक्ल अष्टमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन व्रत रखकर अशोक वृक्ष की पूजा की जाती है।

रामनवमी –

  • रामनवमी चैत्र शुक्ल नवमी को मनायी जाती है।
  • यह नवरात्रों का अंतिम दिन होता है।
  • इस दिन भगवान राम का जन्मदिन होता है।
  • सरयू नदी में स्नान करना पवित्र माना जाता है।
  • इस दिन व्यापारी अपने बही खाते बदलते है।

महावीर स्वामी जयन्ती –

  • महावीर स्वामी जयन्ती चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनायी जाती है।
  • यह जैन धर्म का त्योहार है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्मदिन होता है।
  • इस दिन करौली में महावीर जी का मेला भरता है।

हनुमान जयन्ती –

  • हनुमान जयन्ती चैत्र पूर्णिमा को मनायी जाती है।
  • दाढ़ी मूँछ वाले बालाजी का मेला सालासर (चुरू) में लगता है।
  • मेहंदीपुर बालाजी का मेला दौसा में लगता है।
  • इसी दिन संत पीपा की जयन्ती भी है।

वैशाख माह के त्यौहार: राजस्थान के त्यौहार

इस माह में प्रमुख त्यौहार धींगा गणगौर,अक्षय तृतीया तीज,बुद्ध पूर्णिमा और पीपल पूर्णिमा आते है।

राजस्थान के वैशाख माह के त्यौहार
राजस्थान के वैशाख माह के त्यौहार

कृष्ण पक्ष

धींगा गणगौर –

  • धींगा गवर वैशाख कृष्ण तृतीया को मनायी जाती है।
  • यह महाराणा राजसिंह के काल में प्रारम्भ हुई थी।
  • धींगा गवर का मेला जोधपुर में लगता है।

शुक्ल पक्ष

अक्षय तृतीया तीज –

  • आखा तीज वैशाख शुक्ल तृतीया को मनायी जाती है।
  • इसे ’आखा तीज’ भी कहा जाता है।
  • इस दिन ’अबूझ सावा’ होता है। राजस्थान में सर्वाधिक बाल विवाह होते है।
  • इसी दिन बीकानेर का स्थापना दिवस मनाया जाता है।
  • किसान सात अन्नों तथा हल का पूजन करके शीघ्र वर्षा की कामना के साथ यह त्योहार मानते है।
  • इस दिन भगवान परशुराम जयंती मनाई जाती है।
  • इस दिन महालक्ष्मी व नारायण की पूजा की जाती है।

बुद्ध पूर्णिमा –

  • बुद्ध पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा को मनायी जाती है।
  • इस दिन महात्मा बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

पीपल पूर्णिमा –

  • पीपल पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा को मनायी जाती है।
  • इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा होती है।

ज्येष्ठ मास: राजस्थान के त्यौहार

राजस्थान के ज्येष्ठ माह के त्यौहार
राजस्थान के ज्येष्ठ माह के त्यौहार

कृष्ण पक्ष

बड़मावस/वट सावित्री व्रत –

  • बड़मावस ज्येष्ठ अमावस्या को मनायी जाती है।
  • इस दिन बरगद (बड़) की पूजा होती है।
  • महिलाएँ अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत करती है।
  • सीताबाड़ी का मेला बारां में भरता है।

शुक्ल पक्ष

गंगा दशमी –

  • गंगा दशमी ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन गंगा देशहरा मेला कामाँ (भरतपुर) में लगता है।

निर्जला एकादशी –

  • निर्जला एकादशी ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को मनायी जाती है।
  • इस दिन बिना जल के व्रत किया जाता है।

कबीर जयन्ती –

  • ज्येष्ठ पूर्णिमा को ’कबीर जयन्ती’ मनाई जाती है।

आषाढ़ मास : राजस्थान के त्यौहार

राजस्थान के आषाढ़ माह के त्यौहार
राजस्थान के आषाढ़ माह के त्यौहार

शुक्ल पक्ष

देवशयनी एकादशी –

  • देवशयनी एकादशी आषाढ़ शुक्ल एकादशी को मनायी जाती है।
  • इस दिन भगवान विष्णु व अन्य देवता 4 माह के लिए सो जाते है।
  • इन 4 महिनों में कोई भी मांगलिक कार्य सम्पन्न नहीं होते।
  • पिछवाई व फड़ का चित्रांकन नहीं किया जाता।

गुरु पूर्णिमा/व्यास पूर्णिमा –

  • गुरु पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा को मनायी जाती है।
  • इस दिन कोकिला व्रत का त्योहार मनाया जाता है।
  • शिष्य अपने गुरुजनों की पूजा करते है।

श्रावण मास : राजस्थान के त्यौहार

राजस्थान के श्रावण माह के त्यौहार
राजस्थान के श्रावण माह के त्यौहार

कृष्ण पक्ष

नागपंचमी –

  • नागपंचमी को श्रावण कृष्ण पंचमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन ’नाग की पूजा’ की जाती है।
  • नागपंचमी का मेला मंडोर (जोधपुर) में लगता है।

निडरी नवमी –

  • निडरी नवमी श्रावण कृष्ण नवमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन नेवले की पूजा होती है।

कामिका एकादशी –

  • कामिका एकादशी श्रावण कृष्ण एकादशी को मनायी जाती है।
  • इस दिन विष्णु जी की पूजा होती है।

हरियाली अमावस्या –

  • हरियाली अमावस्या श्रावण अमावस्या को मनायी जाती है।
  • इस दिन भोजन में खीर और मालपुए बनाए जाते है तथा ब्राह्मणों को भोजन करवाते है।
  • हरियाली अमावस्या को मांगलियावास (अजमेर) में कल्पवृक्ष मेला भरता है।
  • इस दिन टोंक में डिग्गी कल्याण जी का मेला भरता है।

छोटी तीज/हरियाली तीज –

  • छोटी तीज श्रावण शुक्ल तृतीया को मनायी जाती है।
  • इस दिन त्योहारों का आगमन माना जाता है।
  • छोटी तीज जयपुर की प्रसिद्ध है।
  • यह त्योहार विवाह के पश्चात् पहली बार पीहर में मनाने की परम्परा है।
  • मान्यता है कि विवाह के बाद पहले सावण में सास और बहू को एक साथ नहीं रहना चाहिए, इसलिए ससुराल पक्ष किसी अनिष्ट की आशंका से उसे पीहर भेज देता है।
  • श्रावणी तीज के दिन सभी नवविवाहिताएँ शृंगार कर पेड़ों पर झूला डालकर झूलती है। साथ ही ऋतु और शृंगार संबंधी गीत गाती है।

रक्षाबन्धन –

  • रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है।
  • यह त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है।
  • बहनें अपने भाईयों को राखी बाँधती है और अपनी रक्षा का वचन लेती है।
  • इस दिन घरों में श्रवण कुमार के चित्र व माण्डने बनाए जाते है।

भाद्रपद मास : राजस्थान के त्यौहार

राजस्थान के भाद्रपद माह के त्यौहार
राजस्थान के भाद्रपद माह के त्यौहार

कृष्ण पक्ष

बड़ी तीज –

  • बड़ी तीज भाद्रपद कृष्ण तृतीया को मनायी जाती है।
  • बड़ी तीज को कजली तीज/सातुड़ी तीज/बूढ़ी तीज भी कहा जाता है।
  • इस दिन चंद्रमा की पत्नी रोहिणी मानकर पूजा की जाती है।
  • इस दिन स्त्रियों द्वारा व्रत रखकर गायों का पूजन किया जाता है।
  • कजली तीज की सवारी व मेला बूँदी की प्रसिद्ध है।
  • इस दिन नीम की पूजा की जाती है।

हल छठ –

  • हल छठ भाद्रपद कृष्ण षष्ठी को मनायी जाती है।
  • भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्मदिन है।
  • इस दिन बलराम के प्रतीक के रूप में हल की पूजा की जाती है।
  • इस व्रत को पुत्रवती स्त्रियाँ करती है।

उब छठ –

  • उब छठ भाद्रपद कृष्ण षष्ठी को मनायी जाती है।
  • कुँवारी कन्याएँ संध्या से चन्द्र दर्शन तक खड़ी रहकर व्रत करती है।
  • इसे ’चन्दन षष्ठी व्रत’ भी कहते है।

कृष्ण जन्माष्टमी –

  • कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मनायी जाती है।
  • कृष्ण मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन नाथद्वारा में जन्माष्टमी मेला लगता है।
  • इस दिन नाथद्वारा में भव्य महोत्सव आयोजित किया जाता है।
  • इस दिन लोकदेवता मेहा जी मांगलिया की बापिणी (जोधपुर) में पूजा होती है।
  • नरहड़ के पीर (झुंझुंनूं) का उर्स भी लगता है।

गोगानवमी –

  • गोगानवमी भाद्रपद कृष्ण नवमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन गोगाजी की पूजा होती है।
  • इस दिन ददरेवा (चुरू) व गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) में मेला भरता है।

बछ बारस –

  • बछ बारस भाद्रपद कृष्ण द्वादशी को मनायी जाती है।
  • इस दिन गाय व बछड़ों की पूजा होती है। इस दिन पुत्रवती स्त्रियाँ अपने पुत्र की मंगलकामना के साथ व्रत करती है।
  • इस दिन पूर्ण अन्न का सेवन किया जाता है। महिलाएँ केवल उबले मोठ की सब्जी, बाजरे की रोटी के साथ खाती है।
  • इस दिन चाकू का प्रयोग नहीं किया जाता।

शुक्ल पक्ष

बाबे री बीज –

  • बाबे री बीज भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को होती है।
  • रामदेव जी का मेला रूणिचा (जैसलमेर) में भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक मेला भरता है।
  • इस दिन रामदेव जी का जन्म हुआ था।

हरतालिका तीज –

  • हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनायी जाती है।
  • इस दिन शिव व पार्वती का पूजन होता है।
  • माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए सबसे पहले हरतालिका तीज की पूजा व व्रत किया था।

गणेश चतुर्थी –

  • गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनायी जाती है।
  • इसे ’चतरा चौथ’ भी कहा जाता है।
  • यह दिन गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
  • इस दिन रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में गणेश जी का प्रसिद्ध मेला भरता है।

ऋषि पंचमी –

  • ऋषि पंचमी भाद्रपद शुक्ल पंचमी को मनायी जाती है।
  • माहेश्वरी समाज के लोग इसी दिन राखी का त्योहार मनाते है और राखी बांधते है।
  • इस दिन गंगा स्नान करना पवित्र माना जाता है।

राधा अष्टमी –

  • राधा अष्टमी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन निम्बार्क सम्प्रदाय (सलेमाबाद, अजमेर) में मेला भरता है।
  • इस दिन अलवर में भर्तृहरि का मेला लगता है।

तेजादशमी –

  • तेजादशमी भाद्रपद शुक्ल दशमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन तेजाजी की पूजा होती है।
  • तेजाजी का मेला खरनाल (नागौर) और परबतसर (नागौर) में भरता है।
  • इस दिन जोधपुर ग्रामीण में खेजड़ली वृक्ष मेला भरता है। यह विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला है।
  • इसी दिन विश्वकर्मा जयन्ती है।

देवझूलनी एकादशी –

  • देवझूलनी एकादशी भाद्रपद शुक्ल एकादशी को मनायी जाती है।
  • देवझूलनी एकादशी को ’डोल ग्यारस’, ’जलझूलनी एकादशी’ व ’परिवर्तनी एकादशी’ भी कहा जाता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। इस दिन भगवान विष्णु को बेवाण में बैठाकर जलाशय में स्नान करवाया जाता है।
  • इस दिन ठाकुरजी की सवारी निकाली जाती है, जिसे ’रेवाड़ी’ कहा जाता है।
  • इस दिन गढ़बोर (राजसमंद) में विशाल मेला भरता है।
  • इसके अतिरिक्त सांवलिया जी (चित्तौड़) में मेला लगता है।
  • ग्यारस की रेवाड़ी का मेला डूंगरपुर में लगता है।
  • बारां में डोल यात्रा निकाली जाती है।
  • कोटा, बारां, चित्तौड़, घाणेराव, नाथद्वारा आदि की रेवाड़ी प्रसिद्ध है।

अनंत चतुर्दशी –

  • अनंत चतुर्दशी भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनायी जाती है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है।
  • इस दिन गणेश विसर्जन भी होता है।

सांझी –

  • सांझी भाद्रपद पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर आश्विन अमावस्या तक चलती है।
  • यह 16 दिन चलते है।
  • प्रत्येक दिन कुँवारी लड़कियाँ गोबर व मिट्टी से सांझियाँ बनाती है और पूजा करती है।
  • मेवाड़ व मालवा में सर्वाधिक सांझी पूजन होता है।

श्राद्ध पक्ष –

  • श्राद्ध पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से प्रारम्भ से होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है।
  • यह 16 दिन चलता है।
  • प्रत्येक दिन दिवंगत पूर्वजों का पिण्डदान किया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है।

भाद्रपद महीने के प्रमुख मेले

  • भाद्रपद शुक्ल द्वित्तीय – रामदेवजी का मेला
  • भाद्रपद शुक्ल सप्तमी – देवनारायण जी मेला
  • भाद्रपद शुक्ल अष्टमी – सवाईभोज का मेला
  • भाद्रपद शुक्ल नवमी – फत्ता जी का मेला
  • भाद्रपद शुक्ल दशमी – तेजाजी का मेला

आश्विन मास : राजस्थान के त्यौहार

राजस्थान के आश्विन माह के त्यौहार
राजस्थान के आश्विन माह के त्यौहार

शुक्ल पक्ष

शारदीय नवरात्र –

  • शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल एकम से नवमी तक चलता है।
  • इन नवरात्रों में दुर्गा पूजा होती है।
  • यह त्योहार पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध है।
  • इस दिन शीलादेवी (आमेर) में मेला लगता है।

दुर्गाष्टमी –

  • दुर्गाष्टमी आश्विन शुक्ल अष्टमी को मनायी जाती है।
  • नवरात्रों के दौरान आठवें दिन दुर्गाष्टमी आती है।
  • इसे ’माता अष्टमी’ या ’वीर अष्टमी’ भी कहा जाता है।

दशहरा –

  • दशहरा आश्विन शुक्ल दशमी को मनायी जाती है।
  • इसे ’विजयादशमी’ भी कहा जाता है।
  • इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था।
  • यह बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है।
  • इस दिन सूर्यास्त के समय रावण, कुम्भकर्ण व मेघनाथ के पुतले जलाये जाते है।
  • दशहरा का त्योहार कोटा का प्रसिद्ध है। इसकी शुरूआत महाराव माधोसिंह प्रथम ने की थी।
  • इस दिन खेजड़ी की पूजा की जाती है और शमी वृक्ष की पूजा का विशेष महत्त्व है।
  • दशहरा के दिन लीलटांस नामक पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है।
  • इस दिन शस्त्रों की पूजा की जाती है।
  • मैसूर का दशहरा मेला (कर्नाटक) भी प्रसिद्ध है। मुगल सम्राट जहाँगीर को दशहरा देखने का शौक था।

रास पूर्णिमा/शरद पूर्णिमा –

  • रास पूर्णिमा आश्विन पूर्णिमा को मनायी जाती है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस रात्रि को अमृत वर्षा होती है, इसलिए खीर बनाकर चाँदी के बर्तन में चन्द्रमा की चाँदनी में रखी जाती है, जो अगले दिन सुबह खाते है।
  • इस दिन चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है।
  • मीरां महोत्सव (चित्तौड़) व मारवाड़ महोत्सव (जोधपुर) का आयोजन होता है।
  • इस दिन बाँसवाड़ा में मानगढ़ पहाड़ी पर मानगढ़ धाम मेला लगता है।

कार्तिक मास : राजस्थान के त्यौहार

राजस्थान के कार्तिक माह के त्यौहार
राजस्थान के कार्तिक माह के त्यौहार

कृष्ण पक्ष

करवा चौथ –

  • करवा चौथ कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को आता है।
  • सुहागन महिलाओं द्वारा अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखा जाता है।

अहोई अष्टमी –

  • अहोई अष्टमी कार्तिक कृष्ण अष्टमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन स्याऊ माता के चित्र बनाए जाते है।
  • माता द्वारा अपने पुत्र की लम्बी आयु के लिए व्रत रखा जाता है।

धनतेरस –

  • धनतेरस कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनायी जाती है।
  • इस दिन ऋषि धनवन्तरी का जन्मदिवस होता है।
  • इस दिन यमराज का पूजन किया जाता है।
  • बर्तन, गहने व वाहन आदि खरीदना शुभ माना जाता है।

रूप चतुर्दशी –

  • रूप चतुर्दशी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को आती है।
  • इसे ’यम चतुर्दशी’ ’नरक चतुर्दशी’ भी कहा जाता है।
  • इसे ’छोटी दीपावली या काणती दिवाली’ भी कहा जाता है।
  • यह स्वच्छता व सौन्दर्य का त्योहार है।

दीपावली –

  • दीपावली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है।
  • यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है।
  • इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर वापिस अयोध्या आये थे।
  • इस दिन लक्ष्मी माता का पूजन होता है।
  • घर व दुकानों को सजाया जाता है और शाम को दीपक जलाये जाते है।
  • महावीर स्वामी व स्वामी दयानंद सरस्वती को इसी दिन निर्वाण प्राप्त हुआ था।

शुक्ल पक्ष

गोवर्धन पूजा –

  • गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल एकम को होती है।
  • प्रभात के समय गाय के गोबर से गोवर्धन की पूजा की जाती है। 56 प्रकार के पकवानों से बने अन्नकूट से मंदिरों में भोग लगाया जाता है।
  • नाथद्वारा का अन्नकूट महोत्सव प्रसिद्ध है, इस दिन नाथद्वारा मंदिर में भीलों द्वारा चावल लूटे जाने की परम्परा भी है।

भैयादूज –

  • भैयादूज कार्तिक शुक्ल द्वितीया को आती है।
  • इसे ’यम द्वितीया’ भी कहा जाता है।
  • इस दिन बहनें अपने भाई के तिलक लगाकर स्वस्थ व दीर्घायु होने की मंगलकामना करती है।

गोपाष्टमी –

  • गोपाष्टमी कार्तिक शुक्ल अष्टमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन गाय व बछड़े की पूजा की जाती है।

आँवला नवमी –

  • आँवला नवमी कार्तिक शुक्ल नवमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा की जाती है।

देवउठनी ग्यारस –

  • देवउठनी ग्यारस कार्तिक शुक्ल एकादशी को मनायी जाती है।
  • इसे ’प्रबोधिनी ग्यारस’ भी कहा जाता है।
  • भगवान विष्णु जी 4 माह के बाद उठते है।
  • इस दिन से मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते है।
  • सलिगराम (भगवान विष्णु ) का विवाह तुलसी के पौधे से किया जाता है।
  • तुलसी का पूजन होता है।

गुरूनानक जयंती –

  • गुरूनानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा को मनायी जाती है।
  • कार्तिक पूर्णिमा को ’त्रिपुर पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।
  • इस दिन सत्यनारायण पूर्णिमा भी होती है।
  • इस दिन कोलायत मेला (बीकानेर), पुष्कर मेला (अजमेर), कपिलधारा मेला (बारां) व चन्द्रभागा मेला (झालावाड़) भरते है।

माघ मास : राजस्थान के त्यौहार

राजस्थान के माघ माह के त्यौहार
राजस्थान के माघ माह के त्यौहार

कृष्ण पक्ष

तिल चौथ –

  • तिल चौथ माघ कृष्ण चतुर्थी को होती है।
  • इसे ’संकट चौथ’ व ’वक्रतुण्ड चौथ’ भी कहा जाता है।
  • इस दिन श्री गणेश जी व चौथ माता के तिलकुट्टे का भोग लगाया जाता है।
  • चौथ माता का मेला बरवाड़ा (सवाई माधोपुर) में भरता है।

मौनी अमावस्या –

  • मौनी अमावस्या माघ अमावस्या को मनायी जाती है।
  • इस दिन मौन व्रत रखते है।
  • मनुष्य जाति के प्रणेता मनु का जन्मदिन होता है।

बसन्त पंचमी –

  • बसन्त पंचमी माघ शुक्ल पंचमी को मनायी जाती है।
  • इस दिन ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। ब्रज में राधा व कृष्ण लीलाएँ प्रारम्भ होती है।
  • कामदेव व रति की पूजा की जाती है।
  • पीले वस्त्र धारण करते है और विद्यालयों में सरस्वमी माता की पूजा की जाती है।
  • यह विद्याथी जीवन का सबसे बड़ा त्योहार होता है।
  • इस दिन राजस्थान सरकार द्वारा ’गार्गी पुरस्कार’ का वितरण किया जाता है।
  • इसी दिन चरणदासी सम्प्रदाय का मेला लगता है।

माघ पूर्णिमा –

  • इस दिन बेणेश्वर मेला (डूँगरपुर) भरता है।
  • जैसलमेर में मरू महोत्सव का आयोजन होता है।

फाल्गुन मास : राजस्थान के त्यौहार

राजस्थान के फाल्गुन माह के त्यौहार
राजस्थान के फाल्गुन माह के त्यौहार

कृष्ण पक्ष

महाशिवरात्रि –

  • महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को मनायी जाती है।
  • इस दिन भगवान शिव का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
  • घुश्मेश्वर महादेव मेला शिवाड़ (सवाई माधोपुर) में लगता है।
  • एकलिंग जी का मेला कैलाशपुरी (उदयपुर) में लगता है।

होली –

  • होली फाल्गुन पूर्णिमा को मनायी जाती है।
  • ऋतु परिवर्तन और रबी की फसल की कटाई के अवसर पर मनाया जाने वाला नृत्य, गान और गुलाल का त्योहार है।
  • यह त्योहार भगत प्रहलाद की स्मृति में मनाया जाता है।
  • इस अवसर पर होलिका की पूजा की जाती है, गोबर के कंडो की मालाएँ होलिका दहन के लिए समर्पित की जाती है।
  • यह हिन्दुओं का दूसरा बड़ा त्योहार है।

मकर सक्रांति –

  • मकर सक्रांति 14 जनवरी को मनायी जाती है।
  • मकर सक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से अपनी दिशा बदलकर उत्तरायण हो जाता है।
  • इस दिन सूर्य की पूजा होती है।
  • मकर सक्रांति के पर्व पर सुहागिनियों को 13 वस्तुएँ दान की जाती है, जिसे ’तेरून्दा’ कहा जाता है।
  • इस दिन बहुएँ रूठी हुई सास को मनाती है।
  • इस दिन जयपुर में पतंगबाजी की जाती है।
  • दूनी गाँव में दड़ा महोत्सव मनाया जाता है।
  • इस दिन लोग जयपुर के गलताजी धार्मिक सरोवर में स्नान करते है।

राजस्थान की कुछ प्रसिद्ध होलियाँ

होली स्थान
दूध-दही की होली नाथद्वारा
कोड़ामार होली भिनाय (केकड़ी)
कपड़ा फाड़ होली पुष्कर
राड़-रमण होली भीलूड़ा (डूँगरपुर)
रोने बिलखने की होली जोधपुर
बादशाह होली नाथद्वारा (ब्यावर)
देवर भाभी की होली ब्यावर
गोबर के कण्डों की होली गलियाकोट (डूँगरपुर)
अंगारों की होली लालसोट (दौसा), केकड़ी
पत्थर मार होली बालोतरा, ब्यावर
लट्ठमार होली श्रीमहावीर जी (करौली)
बाल्टी मार होली बीकानेर
न्हाण होली सांगोद (कोटा)
मुर्दों की होली मरूधनी (भीलवाड़ा)
फूलों की होली गोविंददेव जी (जयपुर)
कंकड़मार होली जैसलमेर
भाटा गैर आहोर (जालौर)

नोट –

  • एक वर्ष में चार बार नवरात्रा आते है।
  • चैत्र शुक्ल एकम से चैत्र शुक्ल नवमी तक आने वाले नवरात्रा को ’बसंतीय नवरात्रा’ कहते है।
  • आश्विन शुक्ल एकम से आश्विन शुक्ल एकम तक आने वाले नवरात्रा को ’शारदीय नवरात्रा’ कहते है।
  • आषाढ़ शुक्ल एकम से नवमी तक और माघ शुक्ल एकम से नवमी तक आने वाले नवरात्रा को ’गुप्त नवरात्र’ कहते है।

मुस्लिम धर्म के त्योहार

  • मुस्लिम कैलेंडर हिजरी संवत् के अनुसार होता है।
  • हिजरी संवत् की शुरुआत 622 ई. से होती है।

मोहर्रम –

  • यह त्योहार मोहर्रम माह की 10वीं तारीख को आता है।
  • यह त्योहार मोहम्मद साहब के नवासे हजरत हुसैन इमाम की 680 ई. में कर्बला के मैदान में शहादत की याद में शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • इस दिन ताजिये निकाले जाते है और ताशा वाद्ययंत्र बजाया जाता है।
  • यह मातम का त्योहार है।
  • गर्मी के इस मौके पर 10 दिन तक उपवास रखा जाता है।

चेहल्लुम –

  • चेहल्लुम सफर माह की 20 वीं तारीख को मनायी जाती है।
  • हजरत इमाम हुसैन की मृत्यु के 40 दिन बाद यह त्योहार मनाया जाता है।

ईद-उल-मिलादुलनबी –

  • यह त्योहार रबी उल अव्वल की 12 तारीख को मनाया जाता है।
  • मोहम्मद साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  • इसे ’बारावफात’ के नाम से जाना जाता है।

शब-ए-बारात –

  • यह त्योहार शाबान माह की 14वीं तारीख को मनाया जाता है।
  • इस दिन हजरत साहब की अल्लाह से मुलाकात हुई थी।
  • पूरी रात अल्लाह की इबादत करते और दुआएँ मांगते है।
  • इस रात सभी अपने भूलों की माफी माँगते है।
  • यह इबादत, तिलावत और सखावत का त्योहार है।
  • दुनिया से रूखसत हो चुके अपने परिजनों की मगफिरत (मोक्ष) की दुआएँ की जाती है।

जमादि-उल-सानि –

  • यह त्योहार जमादि-उल-सानि की आठ तारीख को मनाया जाता है।
  • इस दिन ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्मदिन मनाया जाता है।

शब-ए-कद्र –

  • यह त्योहार रमजान माह की 27 वीं तारीख को मनाया जाता है।
  • इस रात को कुरान को लिपिबद्ध करके धरती पर उतारा गया था।
  • रातभर इबादत के बाद मुसलमान अपने परिजनों व रिश्तेदारों की कब्रों पर सुबह-सुबह फातिहा पढ़कर मगफिरत (मोक्ष) की दुआ मांगते है।

रमजान –

  • यह त्योहार रमजान माह की 27 तारीख को मनाया जाता है।
  • यह मुसलमानों का पवित्र माह है।
  • इस माह 30 दिन रोजा रखते है।

ईद-उल-फितर –

  • यह त्योहार सव्वाल माह की पहली तारीख को मनाया जाता है।
  • रमजान महीने के समाप्त होने के बाद यह ईद मनाई जाती है, इसे ’मीठी ईद’ या ’सवैयों की ईद’ भी कहते है।
  • रमजान में 30 दिन रोजे रखने के बाद शुक्रिया के तौर पर यह त्योहार मनाया जाता है।

ईद-उल-जुहा –

  • यह त्योहार जिलहिज माह की 10 तारीख को मनाया जाता है।
  • इसे ’बकरा ईद’ के नाम से जाना जाता है।
  • इसे ’कुर्बानी का त्योहार’ भी कहा जाता है।
  • पैगम्बर इब्राहिम द्वारा अपने पुत्र हजरत इस्माइल की कुर्बानी की याद में यह त्योहार मनाया जाता है।
  • मुसलमान इस महीने अपना हज पूरा करते है।

ईसाई धर्म के त्योहार

क्रिसमस –

  • क्रिसमस 25 दिसम्बर को मनाया जाता है।
  • इस दिन ईसा मसीह का जन्मदिन होता है।

गुड फ्राइडे –

  • ईसा मसीह का शहीद दिवस है।
  • इस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था।
  • इसे ’ब्लेक फ्राईडे/होली फ्राईडे’ भी कहा जाता है।

ईस्टर –

  • इस दिन ईसा मसीह का पुनर्जन्म हुआ था।
  • सूली पर लटकाने के दो दिन बाद ईसा मसीह का पुनर्जन्म हुआ था।
  • गुड फ्राइडे के दो दिन बाद आने वाले रविवार को ईस्टर मनाया जाता है।

असेन्सन डे –

  • ईस्टर के 40 दिन बाद ईसा मसीह के स्वेच्छा से पुनः स्वर्ग लौट जाने के उपलक्ष्य में यह त्योहार मनाया जाता है।

नवरोज –

  • यह पारसी त्योहार है।
  • नवरोज के दिन फारसी लोगों के नववर्ष का प्रारम्भ होता है।
  • पारसियों में नवरोज मनाने की शुरुआत करीब 3000 साल पहले हुई थी।
  • आमतौर पर 21 मार्च को नवरोज का उत्सव मनाते है।

जैन समाज के पर्व

पड़वा ढोक –

  • पड़वा ढोक आश्विन कृष्ण एकम को मनाया जाता है।
  • दिगम्बर जैन समाज का क्षमा याचना पर्व है।

पर्युषण पर्व –

  • यह पर्युषण पर्व श्वेताम्बर सम्प्रदाय में भाद्रपद कृष्ण द्वादशी से भाद्रपद शुक्ल पंचमी तक मनाया जाता है।
  • श्वेताम्बर जैन माफी याचना करते है।
  • यह पर्युषण पर्व दिगम्बर सम्प्रदाय में भाद्रपद शुक्ल पंचमी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तक मनाया जाता है।
  • दिगम्बर जैन क्षमायाचना करते है।
  • इसे ’सोहलकरण का पर्व’ भी कहते है।
  • इसका अंतिम दिन ’संवत्सरी’ कहलाता है।

ऋषभदेव जयंती –

  • ऋषभदेव जयंती चैत्र कृष्ण नवमी को मनायी जाती है।
  • जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का जन्म दिन है।

महावीर जयंती –

  • महावीर जयंती चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनायी जाती है।
  • जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर जी का जन्मदिन है।
  • इस दिन चाँदन गाँव (करौली) में महावीर जी का मेला भरता है।

रोटू तीज –

  • रोटू तीज भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनायी जाती है।
  • इस दिन घरों में मिस्सी रोटी व खीर बनती है।

सुगंध दशमी पर्व –

  • सुगंध दशमी पर्व भाद्रपद शुक्ल दशमी को मनाया जाता है।
  • इस दिन जैन मन्दिरों में सफाई करके इत्र छिड़का जाता है।

सिंधी धर्म के त्योहार

चेटीचण्ड पर्व –

  • चेटीचण्ड चैत्र शुक्ल एकम को मनायी जाती है।
  • भगवान झूलेलाल का जन्म दिवस है।

असूचंड पर्व –

  • असूचंड पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है।
  • यह भगवान झूलेलाल के अन्तर्धान होने का पर्व है।

चलीहा महोत्सव –

  • चलीहा महोत्सव 16 जुलाई से 24 अगस्त तक चलता है।
  • इसमें 40 दिन व्रत किये जाते है।
  • सिंध प्रांत के बादशाह मृखशाह के अत्याचारों से परेशान होकर सिन्धी समाज के लोगों ने 40 दिन का व्रत किया था तथा 40 वें दिन झूलेलाल का अवतार हुआ और इन्होंने इन अत्याचारों से सिंधी समाज के लोगों को मुक्ति दिलाई थी।

थदड़ी –

  • थदड़ी का पर्व भाद्रपद कृष्ण सप्तमी को मनाया जाता है।
  • इस दिन सिंधी लोग ठंडा भोजन करते है।
  • पीपल के वृक्ष पर चाँदी की वस्तु रखकर पूजन करते है।
  • झुलेलाल जी का जन्म थट्टा नामक स्थान पर हुआ था।

सिक्ख समाज के पर्व

लोहड़ी –

  • लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाता है।
  • मकर सक्रांति की पूर्व संध्या पर नई फसल पकने के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला त्योहार है।
  • रात्रि में एक जगह सामूहिक रूप से अग्नि जलाकर उसमें तिल एवं मिठाइयाँ अर्पित की जाती है।

वैशाखी –

  • वैशाखी का पर्व 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
  • गुरु गोविंद सिंह ने 13 अप्रैल 1699 को रोपड़ (पंजाब) में खालसा पंथ की स्थापना की थी।

गुरुनानक जयंती –

  • गुरुनानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा को मनायी जाती है।
  • सिक्खों के पहले गुरु गुरुनानक का जन्मदिन है।
  • इस दिन गुरुद्वारों में गुरुवाणी का पाठ किया जाता है।

गुरु गोविंद सिंह जयंती –

  • गोविन्द सिंह जयंती पौष शुक्ल सप्तमी को मनायी जाती है।
  • सिक्खों के 10 वें गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना (बिहार) में पौष शुक्ल सप्तमी को हुआ था, जो उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में राजस्थान की कला संस्कृति टॉपिक के अंतर्गत हमने राजस्थान के त्यौहार(Festivals of Rajasthan) बिंदु पर जानकारी दी है , उम्मीद करतें है कि आप हमारे द्वारा दी गयी जानकारी से संतुष्ट होंगें …धन्यवाद ।
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