केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कहाँ है?
- केवला देव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर(राजस्थान) में है
- यह अभयारण्य पक्षियों का स्वर्ग व पक्षियों की सबसे बङी प्रजनन स्थली के नाम से जाना जाता है।
- केवलादेव अभयारण्य के रूप में स्थापना – 1956 में।
- यह राजस्थान का दूसरा राष्ट्रीय उद्यान है। 27 अगस्त, 1981 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित(Kevladev Rashtriya Udyan) किया गया था।
- यह यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर में शामिल राजस्थान का एकमात्र अभयारण्य है (1985 में शामिल किया गया)
- इसका 28.73 वर्ग किमी क्षेत्र ही राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में शामिल है।
- यह राजस्थान का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है।
- यह अभ्यारण्य स्वर्णिम त्रिकोण पर्यटक परिपथ व राष्ट्रीय राजमार्ग – 21 पर अवस्थित है।
- यहाँ राज्य की प्रथम वन्यजीव प्रयोगशाला स्थापित है।
- बाणगंगा नदी पर निर्मित अजान बाँध का पानी यहाँ की झीलों में आता है। बाणगंगा व गंभीर नदियाँ इसमें से बहती है।
- यहाँ दुर्लभ प्रजाति का सैनिक जांघिल व सिलेटी टिटहरी पायी जाती है।
- इसमें मोथा घास व ऐंचा घास पायी जाती है।
- कुट्टू घास – साइबेरियन सारस की पसंदीदा घास है।
- प्रवासी पक्षी – यह अभयारण्य साइबेरियन सारस के लिए प्रसिद्ध है।
- पक्षी प्रजातियों की सर्वाधिक विविधता इसी अभयारण्य में पायी जाती है।
- चकौर पक्षी के लिए यह अभयारण्य प्रसिद्ध है।
- लाल गर्दन वाले तोते, व्हाईट ईगल, पेराग्रिन फाल्कन, स्पैरो हाॅक, स्काॅप उल्लू, लार्ज लाॅक, लेपवीर आदि प्रवासी शिकारी पक्षी भी आते हैं।
- इसमें पाइथन प्वाइंट पर अजगर धूप सेकते हैं यहाँ राजस्थान का दूसरा सर्प उद्यान स्थापित किया गया है।
- यह अभयारण्य प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक डाॅ. सलीम अली की कार्यस्थली रहा है।
- राजस्थान का प्रथम रामसर साईट/नमभूमि/वेटलैण्ड स्थल है। इसे 1 अक्टूबर, 1981 को शामिल किया गया।
- गोवर्धन ड्रेन योजना के तहत पाइपलाईन से केवलादेव में पानी लाया गया है।
- प्रदेश की दूसरी प्रस्तावित वर्ड सेन्चूरी – बङोपल गाँव (हनुमानगढ़)।