कोपेन का जलवायु वर्गीकरण | राजस्थान की जलवायु – Kopen ka Jalvayu Vargikaran

आज के आर्टिकल में हम राजस्थान जलवायु वर्गीकरण में कोपेन का जलवायु वर्गीकरण (Kopen ka Jalvayu Vargikaran) को विस्तार से पढेंगे, इससे जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्यों को जानेंगे।

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण – Kopen ka Jalvayu Vargikaran

ब्लादिमिर कोपेन ने 1918 में राजस्थान को चार जलवायु प्रदेशों में बांटा है। इस जलवायु प्रदेशों के वर्गीकरण का मुख्य आधार वनस्पति था। इस जलवायु वर्गीकरण में उन्होंने 1931 व 1936 में संशोधन किया था।

कोपेन के अनुसार वनस्पति के द्वारा किसी स्थान पर वर्षा व तापमान के प्रभाव को ज्ञात किया जा सकता है।

कोपेन ने जलवायु प्रदेश का दीर्घ व लघु चिन्ह के आधार पर वर्गीकरण किया है।

  • इसमें दीर्घ चिन्ह जैसे A – उष्ण कटिबन्धीय, B के दो स्टेप BW or BS, जिसमें BW का अर्थ – शुष्क मरूस्थल, BS का अर्थ – अर्द्ध शुष्क मरूस्थल है। C – उपोषण/शीतोष्ण है।
  • लघु चिन्ह g – गंगा तुल्य मैदानी भाग, h – औसत ताप, w – शुष्क शीत।

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

कोपेन ने राजस्थान को चार जलवायु प्रदेश में बांटा है, जो निम्न है –

  1. Aw या उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश
  2. BShw या अर्द्धशुष्क या स्टेपी जलवायु प्रदेश
  3. BWhw या उष्ण कटिबन्धीय शुष्क मरूस्थलीय जलवायु प्रदेश
  4. Cwg या उप-आर्द्र जलवायु प्रदेश

(1) Aw या उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश

  • इस जलवायु प्रदेश के अंतर्गत बांसवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर, सलूम्बर, कोटा, बाराँ, झालावाड़ एवं चित्तौड़गढ़ जिले आते है।

Aw जलवायु प्रदेश की विशेषताएँ –

  • इस जलवायु प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ती है तथा औसत वर्षा 80-90 सेमी. से भी अधिकतम होती है।
  • सर्दी में अधिक ठंड तथा सर्दी का औसत तापमान 18 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर रहता है। सर्दी में शुष्क हवाएँ चलती है।
  • यह क्षेत्र उष्ण कटिबंधीय घास के मैदानों तथा सवाना प्रदेशों में समानता रखते है। यहाँ पर मानसूनी पतझड़ वन पाये जाते है।
  • यहाँ अति आर्द्र, आर्द्र एवं उपआर्द्र जलवायु होती है।
  • इस प्रकार की जलवायु राजस्थान के दक्षिणी तथा दक्षिणी-पूर्वी भाग में मिलती है।
  • प्रतिनिधि जिला  – बाँसवाड़ा

(2) BShw या अर्द्धशुष्क या स्टेपी जलवायु प्रदेश

  • इस जलवायु प्रदेश में बाड़मेर, बालोतरा, जैसलमेर, सांचौर, जालौर, पाली, जोधपुर ग्रामीण, जोधपुर, नागौर, फलौदी, डीडवाना-कुचामन, चुरु, झुंझुनूं, सीकर, नीम का थाना, सिरोही, ब्यावर, अजमेर आदि जिले आते है।

BShw जलवायु प्रदेश की विशेषताएँ –

  • इस जलवायु प्रदेश में गर्मी के मौसम में भी अधिक वर्षा नहीं होती और वर्षा का औसत 20-40 सेमी ही रहता है।
  • यहाँ अर्द्धशुष्क जलवायु होती है।
  • यहाँ स्टैपी प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।
  • यहाँ कांटेदार झाड़ियाँ व घास के मैदान भी पाये जाते है।
  • यह सबसे बड़ा जलवायु प्रदेश है।
  • प्रतिनिधि जिला  – नागौर

(3) BWhw या उष्ण कटिबन्धीय शुष्क मरूस्थलीय जलवायु प्रदेश

  • इस जलवायु प्रदेश में गंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़, पश्चिमी बीकानेर, फलौदी, जैसलमेर तथा उत्तर-पश्चिमी जोधपुर आदि जिले आते है।

BWhw जलवायु प्रदेश की विशेषताएँ –

  • इस जलवायु प्रदेश में शुष्क उष्ण मरूस्थलीय जलवायु की दशाएँ पाई जाती है।
  • यहाँ औसत वर्षा 10-20 सेमी. से भी कम होती है और वाष्पीकरण की प्रक्रिया अधिक होती है।
  • वर्षा ऋतु में कुछ घास यहाँ उग जाती है तथा वर्षा से अधिक वाष्पीकरण होता है।
  • यहाँ जीरोफाइट/मरूद्भिद प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।
  • इस प्रकार की जलवायु राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भाग में पाई जाती है।
  • यह वनस्पति विहीन क्षेत्र है।
  • प्रतिनिधि जिला  – बीकानेर

(4) Cwg या उप-आर्द्र जलवायु प्रदेश

  • इस जलवायु प्रदेश में सिरोही, राजसमंद, जयपुर ग्रामीण, कोटपूतली-बहरोड़, जयपुर, खैरथल-तिजारा, केकड़ी, डीग, अलवर, भरतपुर, करौली, गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर, बूँदी, कोटा, दौसा, अजमेर, ब्यावर, शाहपुरा, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ एवं धौलपुर आदि जिले आते है।

Cwg जलवायु प्रदेश की विशेषताएँ –

  • इस जलवायु प्रदेश के अंतर्गत अरावली के दक्षिण-पूर्व में स्थित समस्त भाग आते है।
  • यहाँ आर्द्र एवं उपआर्द्र जलवायु होती है।
  • यहाँ वर्षा केवल वर्षा ऋतु में ही होती है तथा औसत वर्षा 60-80 सेमी. होती है।
  • यहाँ बीहड़ पाये जाते है।
  • यहाँ मानसूनी प्रकार की वनस्पति पायी जाती है।
  • यहाँ नीम, बबूल, शीशम के पेड़ बहुतायत में है।
  • यह सबसे बड़ा कृषि जलवायु प्रदेश है।
  • प्रतिनिधि जिला  -टोंक

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