महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई. को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ। महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो राजकोट (पोरबंदर) के दीवान थे।गांधी जी की आरंभिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी। 1881 में उन्होंने हाईस्कूल की शिक्षा राजकोट से प्राप्त की। मई 1883 में गांधी जी जब मात्र 13 वर्ष के थे, तब उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा बाई माखनजी कपाङिया के साथ हो गया। हम महात्मा गाँधी जी के सम्पूर्ण जीवन परिचय(Mahatma Gandhi ka jivan Parichay) के बारे में पढ़ेंगे।
अब हम आर्टिकल में हम महात्मा गांधी के बारे में पूरी जानकारी पढ़ेंगे (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)। इसके अन्तर्गत हम महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay), महात्मा गांधी की पुस्तकें (Mahatma Gandhi Books), गांधी जी दक्षिण अफ्रीका यात्रा (Gandhi ji Ki South Africa Yatra), भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान (Bhartiya Rashtriya Andolan Mein Mahatma Gandhi Ka Yogdan) के बारे में जानेंगे।
महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi ka jivan Parichay
महात्मा गांधी का जीवन परिचय – Mahatma Gandhi Biography | |
जन्म | 2 अक्टूबर, 1869 |
जन्मस्थान | गुजरात के पोरबंदर में |
मृत्यु | 30 जनवरी, 1948 |
मृत्युस्थान | बिरला हाउस, नई दिल्ली |
समाधिस्थल | नई दिल्ली के राजघाट |
बचपन का नाम | मोहनदास |
पूरा नाम | मोहनदास करमचंद गांधी |
अन्य नाम | बापू, महात्मा जी, गाँधी जी |
पिता | करमचन्द गांधी |
माता | पुतलीबाई |
मातृभाषा | गुजराती |
भाई | लक्ष्मीदास, करसन दास |
बहन | रालियातबेन |
शिक्षा | बैरिस्टर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विवाह | मई 1883 |
पत्नी | कस्तूरबा माखंजी कपाङिया (कस्तूरबा गांधी) |
बच्चे | हरिलाल, रामदास, देवदास, मनिलाल (चार पुत्र) |
निजी सचिव | महादेव देसाई |
राजनीतिक गुरू | गोपाल कृष्ण गोखले |
दक्षिणी अफ्रीका से भारत आगमन | 9 जनवरी, 1915 ई. |
पार्टी | कांग्रेस |
उपाधि | राष्ट्रपिता |
नारा | करो या मरो |
गांधी जी का जन्म कब हुआ था (Gandhi ji ka janm kab aur kahan hua tha)
महात्मा गांधी का जन्म (Mahatma Gandhi ka Janam) 2 अक्टूबर, 1869 ई. को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान (Gandhi ji Ka Janm Kahan Hua Tha) पर हुआ।
Mahatma Gandhi Family History in Hindi
- महात्मा गांधी के पिता का नाम (Mahatma Gandhi Father Name) करमचंद गांधी था, जो राजकोट (पोरबंदर) के दीवान थे।
- माता का नाम पुतली बाई था, जो करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी। उनकी माता धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। इनकी माता पुतलीबाई का महात्मा गांधी के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पङा।
- महात्मा गांधी के बचपन का नाम ’मोहनदास’ था।
- महात्मा गांधी का पूरा नाम (Mahatma Gandhi ka Pura Naam) ’मोहनदास करमचंद गांधी’ (Mohandas Karamchand Gandhi) था।
- हम सभी उन्हें प्यार से बापू बुलाते है।
- इनके भाई का नाम लक्ष्मीदास और करसन दास था।
- इनकी एक बहन रालियातबेन थी।
महात्मा गांधी का विवाह (Mahatma Gandhi Ka Vivah Kab Hua)
मई 1883 में गांधी जी (Gandhi Life Story in Hindi) जब मात्र 13 वर्ष के थे, तब उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा बाई माखनजी कपाङिया के साथ हो गया। कस्तूरबा विवाह के समय गांधी जी से एक वर्ष बङी यानी 14 वर्ष की थी। कस्तूरबा (Kasturba) को लोग प्यार से ’बा’ कहते थे। 1885 ई. में गांधीजी की पहली संतान की अल्प समय में ही मृत्यु हो गयी। इसी समय 1885 में जब गांधी 15 वर्ष के थे, तभी उनके पिता करमचंद गांधी का भी निधन हो गया।
उसके बाद महात्मा गांधी (About Mahatma Gandhi) के चार बेटे हुए – हरीलाल गांधी (1888 ई.), मणिलाल गांधी (1892 ई.) , रामदास गांधी (1897 ई.) व देवदास गांधी (1900 ई.)। कस्तूरबा गाँधी (Kasturba Gandhi) शादी से पहले अनपढ़ थी, विवाह के बाद गांधीजी ने उन्हें लिखना-पढ़ना सिखाया। कस्तूरबा गांधी ने गांधी के प्रत्येक कार्य में उनका साथ दिया। गांधीजी की पत्नी (gandhiji wife) कस्तूरबा गाँधी की 1944 में पूना में मृत्यु हो गयी।
’’हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा।’’
गांधी जी की उपाधियाँ (Gandhi ji Ki Upadhi)
महात्मा गांधी को अनेक विद्वानों द्वारा अनेक उपाधियाँ प्रदान की गई थी। जो निम्न हैं –
गांधी जी की उपाधियाँ | |
’केसर-ए-हिन्द’ | अंग्रेजों ने |
’मलंग बाबा’ | खुदाई खिदमतगार ने |
’महात्मा’ | रवीन्द्रनाथ टैगोर ने |
’राष्ट्रपिता’ | सुभाषचन्द्र बोस ने |
’देशद्रोही फकीर’ | विंस्टन चर्चिल ने |
’अर्द्धनग्न फकीर’ | विंस्टल चर्चिल ने |
’बापू’ | जवाहरलाल नेहरू ने |
’जादूगर’ | शेख मुजीब उर रहमान ने |
’वन-मैन बाउंड्री फोर्स’ | लार्ड माउंटबेटन ने |
सदी का पुरुष | अलबर्ट आइंस्टीन ने |
महात्मा गांधी की पुस्तकें (Mahatma Gandhi Book Name)
गांधी जी एक अच्छे लेखक भी थे, उनके द्वारा लिखी गयी कुछ पुस्तकें निम्न है –
- हिन्द स्वराज (1908)
- दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह
- द वर्ड्स ऑफ गांधी
- गीता माता
- इंडियन होमरुल
- माइ अर्ली लाइफ
- पंचायतीराज
- संपूर्ण गांधी वाङ्गय
- शांति और युद्ध में अहिंसा
- नैतिक धर्म
- सत्याग्रह
- सत्य ही ईश्वर है
- सर्वोदय
- साम्प्रदायिक एकता
- अस्पृश्यता निवारण
- मेरे सपनों का भारत
- ग्राम स्वराज
- स्वास्थ्य की कुंजी।
महात्मा गांधी की आत्मकथा किस भाषा में है (Mahatma Gandhi Ki Atmakatha Kis Bhasha Mein Hai)
- सत्य के साथ मेरे प्रयोग गांधीजी की आत्मकथा (Gandhiji ki Atmakatha) है। ये आत्मकथा गांधीजी ने गुजराती भाषा में लिखी थी, जो पहली बार 1927 में प्रकाशित हुई थी, जिसका बाद में अंग्रेजी भाषा में अनुवाद महादेव देसाई ने किया था।
महात्मा गांधी के समाचार पत्र (Mahatma Gandhi Ke Samachar Patra)
महात्मा गांधी के समाचार पत्र | |
यंग इंडिया – 1919 (अंग्रेजी) | |
नवजीवन – 1 नवंबर 1947 (गुजराती भाषा, बाद में हिन्दी में) | |
हरिजन – 1933 (हिन्दी और अंग्रेजी) | |
इण्डियन ओपिनियन – 1904 (दक्षिण अफ्रीका) |
गांधी जी की शिक्षा कहाँ हुई थी (Gandhiji Ki Shiksha Kahan Hui Thi)
गांधी जी (Gandhi ji) की आरंभिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी। 1881 में उन्होंने हाईस्कूल की शिक्षा राजकोट से प्राप्त की। 1887 में मैट्रिक की परीक्षा अहमदाबाद से उत्तीर्ण की। 12 वीं कक्षा पास करने के बाद 1887 गांधी ने गुजरात के भावनगर के ’सामलदास काॅलेज’ में दाखिला लिया। लेकिन शामलदास काॅलेज में उनका मन नहीं लगा इसलिए एक वर्ष बाद वे वापस अपने गाँव पोरबंदर लौट आये। 4 सितम्बर 1888 ई. को गांधी जी (Gandhi in Hindi Language) बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन गए जहाँ उन्होंने ’यूनिवर्सिटी काॅलेज ऑफ लंदन’ में दाखिला लिया।
लंदन में गांधी का जीवन समस्याओं से भरा हुआ था। गांधीजी शाकाहारी थे, वे मांसहारी पदार्थों – मांस मदिरा, शराब का सेवन नहीं करते थे। लेकिन लंदन में अधिकांश जगह मांसाहारी भोजन ही मिलता था। जिस कारण उन्हें लंदन में काफी परेशानियों का सामना करना पङा क्योंकि वहां शाकाहारी भोजन बहुत मुश्किल से मिलता था। साथ ही अपने पहनावे के कारण भी उन्हें कई बार शर्मिदा होना पङता था। लेकिन उन्होंने सभी परिस्थितियों का डटकर सामना किया।
Mahatma Gandhi in Hindi
गांधी जी (Gandhi ji) ने लंदन में ’लंदन वेजीटेरियन सोसायटी’ की सदस्या ग्रहण की और इसके कार्यकारी सदस्य बने। यहीं पर उनकी मुलाकात थियोसोफिकल सोसायटी के कुछ लोगों से हुई थी जिन्होंने गांधीजी (Gandhiji in Hindi) को भगवत् गीता पढ़ने के लिए दी। फिर गांधीजी ने ’लंदन वेजीटेरियन सोसायटी’ के सम्मेलनों में भाग लेना शुरू कर दिया और पत्रिका में भी कई लेख लिखे। लंदन में गांधी जी ने तीन वर्ष (1888-1891) तक बैरिस्टर की पढ़ाई की और फिर 1891 में गांधी जी बैरिस्टर बनकर भारत लौट आये। तभी उनकी माता पुतलीबाई का निधन हो गया। उसके बाद गांधी जी ने बम्बई तथा राजकोट में वकालत प्रारम्भ कर दी। इस दौरान महात्मा गांधी जी (Mahatma Gandhi ji) ’दादा अब्दुल्ला’ नामक एक व्यापारिक संस्था से जुङे थे। लेकिन भारत में उन्हें वकालत में कोई खास सफलता नहीं मिली।
गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा (Gandhi ji Ki South Africa Yatra)
इसलिए महात्मा गांधी सन् 1893 में ’दादा अब्दुल्ला’ नामक व्यापारिक संस्था का मुकदमा लङने के लिए पैरवी करने हेतु बैरिस्टर के रूप में पहली बार दक्षिणी अफ्रीका के ट्रांसवाल की राजधानी प्रिटोरिया पहुँचे। साथ ही दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी को लीगल सर्विस का एक साल का कॉन्ट्रेक्ट मिला था इस कारण अप्रैल 1893 में वो साउथ अफ्रीकन स्टेट ऑफ नेटल के डरबन के लिए रवाना हो गए। वहाँ की श्वेत सरकार के नस्ल भेदभावी रवैये व नस्ल के आधार पर अश्वेतों पर अनेकों प्रतिबन्ध एवं अत्याचारों ने गांधीजी के मन को उद्वेलित कर दिया। डरबन के कोर्ट रूम में गाँधी जी को न्यायाधीश के द्वारा पगङी उतारने के लिए कहा गया जिसको गाँधी जी ने नहीं माना।
7 जून, 1893 जब गांधीजी प्रिटोरिया जा रहे थे, तभी एक अंग्रेज ने उनके प्रथम श्रेणी रेलवे कम्पार्टमेंट में बैठने पर आपत्ति की। जब गांधी के पास प्रथम श्रेणी का टिकट होने पर भी ’पिटरमार्टिजबर्ग स्टेशन’ पर ट्रेन से नीचे फैंक दिया गया, क्योंकि वह केवल गोरे लोगों के लिए आरक्षित था। किसी भी भारतीय या अश्वेत का प्रथम श्रेणी में यात्रा करना प्रतिबंधित था। कई होटलों में गांधी (Gadhi) के प्रवेश को भी निषेध कर दिया गया। इस घटना ने गांधी जी पर बहुत गहरा प्रभाव डाला और उन्होंने इसके विरुद्ध संघर्ष करने की ठान ली।
About Gandhiji in Hindi
गांधी जी (Gandhi ji) ने सितम्बर 1906 में दक्षिण अफ्रीका में सर्वप्रथम सत्याग्रह शब्द का प्रयोग किया। सरकार ने भारतीयों के पंजीकरण के सम्बन्ध में एक अपमान जनक अध्यादेश पेश किया। सितम्बर 1906 ई. में एशियाटिक ऑर्डिनेन्स के विरुद्ध महात्मा गांधी जी (Mahatma Gandhi ji) के नेतृत्व में जोहन्सबर्ग में भारतीयों ने प्रथम सत्याग्रह अभियान आरम्भ किया और सरकार ने अध्यादेश का उल्लंघन और दंड के लिए तत्पर रहने के लिए तत्पर रहने की शपथ ली। इस सत्याग्रह के द्वारा गाँधी जी ने अहिंसा की शक्ति का मूल महसूस किया जिसे कालांतर में भारत आकर अंग्रेजों के विरुद्ध उपयोग किया।
गाँधीजी (Gandhiji Information in Hindi) ने वहाँ ’सत्याग्रह’ का प्रयोग कर वहां के अश्वेतों, विभिन्न समुदाय के लोगों एवं भारतीयों को संगठित कर सरकारी नीतियों का व्यापक विरोध किया। वहाँ इन्हें कुछ सफलताएँ भी हासिल हुई। उनके साथ इस प्रयोग में सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों के लोग शामिल हुए। दक्षिणी अफ्रीका में इसी राजनीतिक प्रयोग के कारण गाँधीजी को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त हुई।
22 मई 1894 को गाँधी जी ने ’नटाल भारतीय कांग्रेस’ की स्थापना की। साथ ही प्रवासी भारतीयों के अधिकारों और ब्रिटिश शासकों की रंगभेद नीति के खिलाफ सफल आंदोलन किए। गांधी जी लियो टाॅलस्टाॅय की रचनाओं से प्रभावित थे। गांधी (Gadhi) ने दक्षिण अफ्रीका में 1910 में ’टाॅलस्टाय फार्म’ की स्थापना की। महात्मा गांधी (A Paragraph on Mahatma Gandhi in Hindi) अपना आध्यात्मिक गुरु ’लियो टाॅलस्टाॅय’ को मानते थे। गांधी जी ने 1904 में फीनिक्स फार्म की स्थापना की।
1904 में दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गाँधी द्वारा ने ’इंडियन ओपेनियन’ पत्रिका प्रकाशित की। 1896 में गांधी जी 6 महीने के लिए भारत लौटे तथा पत्नी, दो पुत्रों को नेटाल (अफ्रीका) ले गए। 1909 में ’सिविल डिसओबिडियन्स’ से प्रभावित होकर ’लियो टाॅल्सटाॅय’ से पत्राचार शुरू किया। जिनके ’किंगडम ऑफ गाॅड इज विदिन यू’ से गाँधी काफी प्रभावित थे। दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी (Gadhiji) 21 वर्षों तक रहे।
1906 ई. का जुलु युद्ध (Zulu War 1906)
- जुलू के द्वारा नए चुनाव कर के विरोध में दो अंग्रेजी अधिकारियों की हत्या की गयी जिसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों ने भी जुलू के खिलाफ युद्ध छेङ दिया।
- गाँधी जी ने इस युद्ध में भारतीयों की भर्ती की अपील की किन्तु अंग्रेजों ने अपनी सेना में भारतीय पद से इनकार कर दिया।
- इसके बाद भी गाँधी जी (Gandhi ji) ने घायल अंग्रेजों को भारतीयों के द्वारा स्ट्रेचर पर ले जाने के कार्य का नेतृत्व किया। ’जुलू’ विद्रोह के दौरान ’भारतीय एम्बुलेंस सेवा’ तैयार की।
- 21 जुलाई को गाँधी (Gandhi in Hindi) जी ने इंडियन ओपिनियन में अपनी राय लिखी और भारतीयों से इस युद्ध में शामिल होने की अपील की।
महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे (Mahatma Gandhi Dakshin Africa Se Bharat kab Laute)
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi Hindi) 46 वर्ष की आयु में 9 जनवरी, 1915 को दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आये। 9 जनवरी को भारत में ’प्रवासी भारतीय दिवस’ मनाया जाता है। उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में सरकार के युद्ध प्रयासों में मदद की जिसके लिए सरकार ने गांधी जी को ’केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि से सम्मानित किया।
गांधी जी के राजनीतिक गुरु कौन थे (Gandhi ji Ke Raajnitik Guru Kaun The)
भारत में गोपाल कृष्ण गोखले के विचार ने गांधी जी को सर्वाधिक प्रभावित किया, गांधी जी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।
गोपाल कृष्ण गोखले की सलाह से भारत की वास्तविक स्थिति का ज्ञान प्राप्त करने हेतु कुछ समय शांतिपूर्ण ढंग से व्यतीत करने का निश्चय किया। गांधी जी ने स्वदेश लौटने के बाद सर्वप्रथम सम्पूर्ण देश का भ्रमण किया। उनका आम भारतीयों की तरह रहना-सहना, बोलना-चालना, आचार-विचार, सर्वधर्म समभाव एवं नैतिकता के प्रति गहरी आस्था जैसी उनकी खूबियों ने उनकी जनता के बीच गहरी पैठ बना दी। गांधी जी ने मई, 1915 में गुजरात के अहमदाबाद के समीप साबरमती नदी के किनारे ’साबरमती आश्रम’ की स्थापना की। गांधी जी ने 1909 में लिखी अपनी पुस्तक ’हिन्द स्वराज्य’ में स्वराज (स्वशासन) की विस्तृत व्याख्या की। महात्मा गांधी को दार्शनिक अराजकतावादी माना जाता है।
’’ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो, ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।’’
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान
महात्मा गांधी के आंदोलन (Mahatma Gandhi ke Andolan in Hindi)
- गिरमिटिया प्रथा की समाप्ति
- चम्पारण आन्दोलन
- अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन
- खेङा सत्याग्रह
- रॉलेट एक्ट
- खिलाफत आन्दोलन
- असहयोग आन्दोलन
- सविनय अवज्ञा आन्दोलन
- भारत छोङो आन्दोलन
गिरमिटिया प्रथा की समाप्ति – Girmitiya Pratha Ki Samapti
- महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi in Hindi) का भारत आगमन के बाद राजनीतिक क्षेत्र में सर्वप्रथम कार्य अँग्रेजी उपनिवेशों की सहायतार्थ भारतीय मजदूरी की भर्ती करने की घृणित ’गिरिमिटिया प्रथा’ के विरुद्ध सशक्त आवाज उठाना तथा उसे पूरी तरह समाप्त करवाना था।
चम्पारण सत्याग्रह (Short Note on Champaran Satyagraha)
- महात्मा गाँधी (About Mahatma Gandhi in Hindi) ने भारत में सबसे पहला एवं महत्त्वपूर्ण सत्याग्रह बिहार के चम्पारण क्षेत्र में किया।
- चम्पारण में यूरोपीय नील उत्पादकों द्वारा स्थानीय किसानों का अंतहीन शोषण किया जा रहा था।
- राजकुमार शुक्ल द्वारा कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन (1917) में गाँधीजी को चम्पारण के नील किसानों की समस्याओं से अवगत कराया गया एवं उन्हें एक बार उनकी समस्याओं को सुनने हेतु वहाँ भ्रमण करने का आग्रह किया।
- महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) कुछ समय बाद जाँच हेतु चम्पारण क्षेत्र में गये परन्तु चम्पारण के जिलाधिकारी ने उन्हें अतिशीघ्र वहाँ से वापस चले जाने का आदेश दिया। गाँधीजी ने इस आदेश को मानने से इन्कार कर दिया।
- अन्ततः बिहार सरकार के प्रयासों से उन्हें वहाँ जाँच करने की अनुमति मिल गई।
- गाँधीजी (Gandhiji Thoughts in Hindi) ने जुलाई, 1917 में एक खुली जाँच बैठाई एवं चम्पारण के किसानों की शिकायतों को सारे देश के सम्मुख प्रस्तुत किया।
- अंततः अँग्रेज सरकार ने श्वेत नील प्लांटरों द्वारा किसानों पर की जा रही ज्यादतियों की शिकायत को स्वीकार कर लिया फलतः चम्पारण में ’तीनकठिया पद्धति’ को समाप्त कर दिया गया।
- चम्पारण सत्याग्रह में गांधी का साथ देने वाले नेता – राजेन्द्र प्रसाद, मजहरूल हक, जे.बी. कृपलानी, महादेव देसाई, अनुग्रह नारायण सिंह एवं श्रीकृष्ण सिंह।
- चंपारण सत्याग्रह के दौरान गांधी जी को रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा ’महात्मा’ (Mahatma) की उपाधि दी गयी।
अहमदाबाद मील मजदूर आंदोलन (Ahmedabad Mill Mazdoor Andolan)
- अहमदाबाद उन्नीसवीं सदी के अन्त में एक औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित होने लगा।
- 1917 ई. में यहाँ के मिल मालिकों ने मजदूरों को दिया जा रहा प्लेग बोनस बन्द करने का निर्णय लिया। इसके विपरीत बाजार में वस्तुओं की कीमतें बढ़ती जा रही थी।
- श्रमिकों ने प्लेग बोनस समाप्त करने के एवज में उनकी मजदूरी में 50 प्रतिशत वृद्धि करने की माँग की जबकि मालिक 20 प्रतिशत वृद्धि पर ही राजी हुए। फलतः मिल मजदूरों ने महात्मा गाँधी से सहायता एवं मार्गदर्शन का आग्रह किया।
- फरवरी-मार्च, 1918 में गाँधीजी ने मिल मालिकों एवं मजदूरों के बीच मध्यस्थता करना प्रारंभ किया।
- गाँधीजी के कहने पर हङताल की गई परंतु शीघ्र ही स्थिति ने विकट रूप धारण कर लिया।
- फलस्वरूप गाँधी जी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम ऐतिहासिक भूख हङताल प्रारंभ की। अंततः गाँधीजी के प्रयासों से मिल मालिक मजदूरों को मजदूरी में 35 प्रतिशत वृद्धि देने के लिए राजी हो गये।
- इसके बाद गाँधी जी ने श्रम-विवादों को शान्तिपूर्ण ढंग से निपटाने तथा श्रमिकों में चेतना उत्पन्न करने हेतु ’अहमदाबाद टैक्सटाइल लेबर एसोसिएशन’ की स्थापना की।
खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Satyagraha of 1918)
- स्वदेश वापसी के पश्चात् महात्मा गाँधी का तीसरा महत्त्वपूर्ण आंदोलन गुजरात के खेङा क्षेत्र के किसानों की समस्याओं के निपटारे हेतु किया गया सत्याग्रह था।
- खेङा में उस समय फसल बर्बाद हो जाने के कारण किसान मालगुजारी देने में असमर्थ थे। छोटे पाटीदारों (किसानों) की स्थिति समृद्ध किसानों (कम्बी पाटीदारों) की तुलना में अधिक खराब थी।
- साथ ही ’बरइया’ नामक निम्न जाति के खेतीहर मजदूर भी बढ़ती कीमतों की वजह से त्रस्त थी। गाँधी जी ने मार्च, 1918 में खेङा सत्याग्रह का नेतृत्व संभाला।
- इससे पूर्व मोहनलाल पाण्ड्या आदि स्थानीय नेता किसानों की समस्याओं को उठा रहे थे।
- जून, 1918 में सरकार द्वारा कुछ रियायतें देने के बाद यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
- इस आंदोलन का क्षेत्र सीमित था। खेङा आंदोलन से गाँधीजी का प्रभाव गुजरात में फैल गया। गाँधीजी के अहिंसा के सिद्धान्त एवं वैष्णव भक्ति के कारण पाटीदार किसानों ने महात्मा गाँधी का सदैव समर्थन किया।
- इस सत्याग्रह में इन्दुलाल याज्ञनिक ने गाँधीजी को पूरा सहयोग दिया। वल्लभभाई पटेल एवं शंकरलाल बैंकट ने भी गांधी जी का सहयोग किया।
रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act 1919 in Hindi)
- बढ़ रही क्रांतिकारी गतिविधियों को कुचलने के लिए सरकार ने 1917 में न्यायाधीश सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति को नियुक्त किया जिसे आतंकवाद को कुचलने के लिए एक प्रभावी योजना का निर्माण करना था।
- रॉलेट समिति के सुझावों के आधार पर फरवरी, 1919 को केन्द्रीय विधान परिषद् में दो विधेयक पेश किये गये, जिसमें एक विधेयक परिषद् के भारतीय सदस्यों के विरोध के बाद भी पास हो गया।
- 18 मार्च, 1919 को केन्द्रीय विधान परिषद् से पास हुआ विेधेयक रॉलेट एक्ट या रॉलेट अधिनियम के नाम से जाना गया।
- गांधीजी ने रॉलेट एक्ट को ’काला कानून’ कहकर इसकी आलोचना की। गांधी जी ने रॉलेट एक्ट की आलोचना करते हुए इसके विरुद्ध अखिल भारतीय स्तर पर सत्याग्रह करने के लिए सत्याग्रह सभा की स्थापना की।
- गांधीजी के नेतृत्व में 30 मार्च, 1919 की तिथि रॉलेट एक्ट के विरोध में एक अखिल भारतीय सत्याग्रह आन्दोलन के लिए निर्धारित की गई बाद में इसे बढ़ाकर 6 अप्रैल, 1919 कर दिया गया।
- गाँधीजी ने वायसराय को पत्र द्वारा हङताल की चेतावनी दी गई। राष्ट्रीय आंदोलन में ’हङताल’ शब्द का पहली बार प्रयोग किया गया।
- 6 अप्रैल, 1919 को सम्पूर्ण देश में हङताल रखी गई। यह सत्याग्रह सम्पूर्ण देश में पूरे जोर-शोर से आयोजित किया जा रहा था। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर (पंजाब) में वैशाखी के दिन जनरल डायर ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) को अंजाम दे दिया।
- गांधी जी (Gandhi ji) ने 18 अप्रैल को रोलेट सत्याग्रह स्थगित कर दिया। सत्याग्रह का सुफल यह हुआ कि रॉलेट एक्ट के तहत कोई कार्यवाही नहीं की गई एवं 3 वर्ष बाद उसे वापस ले लिया गया।
’’बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो।’’
खिलाफत आन्दोलन (Khilafat Movement UPSC)
- भारत के मुसलमान तुर्की (टर्की) के सुल्तान को इस्लाम का ’खलीफा’ मानते थे। प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की मित्र देशों के विरुद्ध लङ रहा था, युद्ध के समय ब्रिटिश राजनीतिज्ञों ने भारतीय मुसलमानों को वचन दिया था कि वे तुर्की साम्राज्य को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुँचायेंगे लेकिन युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार ने तुर्की साम्राज्य का विघटन करने का निश्चय किया, जिससे भारतीय मुसलमानों की सहानुभूति तुर्की के प्रति हो गई।
- अली बंधुओं (मोहम्मद और शौकात) ने अपने पत्र ’कामरेड’ में तुर्की एवं इस्लाम की परम्पराओं के प्रति सहानुभूति व्यक्त की।
- तुर्की साम्राज्य के विभाजन के विरुद्ध शुरू हुए खिलाफत आंदोलन ने उस समय अधिक जोर पकङ लिया जब उसमें राष्ट्रपति महात्मा गांधी (Rashtrapita Mahatma Gandhi) जी ने हिस्सेदारी की। गांधी ने खिलाफत आंदोलन को हिन्दू-मुस्लिम एकता का एक सुनहरा अवसर माना।
- 17 अक्टूबर, 1919 को अखिल भारतीय स्तर पर खिलाफत दिवस मनाया गया।
- सितम्बर, 1919 में ’अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी’ का गठन किया गया।
- दिल्ली में 24 नवम्बर, 1919 को होने वाले खिलाफत कमेटी के सम्मेलन की अध्यक्षता महात्मा गांधी को प्रदान की गई।
- सितम्बर, 1920 में लाला लाजपतराय की अध्यक्षता में कलकत्ता में हुए कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में कांग्रेस ने पहली बार भारत में विदेशी शासन के विरुद्ध सीधी कार्यवाही करने, विधानपरिषदों का बहिष्कार करने तथा असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारम्भ करने का निर्णय लिया।
- इस आंदोलन में अली बन्धु, हकीम अजमल खाँ, डाॅ. अन्सारी, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, हसरत मोहानी आदि प्रमुख तुर्की समर्थक व खिलाफत नेता थे।
असहयोग आन्दोलन (Why did Gandhiji started non cooperation movement )
- खिलाफत आंदोलन एवं भारत में उत्तरदायी शासन न करने के विरोध में गाँधीजी ने भारत में असहयोग आन्दोलन करने की घोषणा की।
- दिसम्बर, 1920 ई. नागपुर में कांग्रेस के वार्षिक सम्मेलन में इसका प्रस्ताव रखा तथा सितम्बर, 1920 ई. में कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन के प्रस्ताव की पुष्टि कर दी। असहयोग आन्दोलन 1 अगस्त, 1920 ई. से शुरू किया गया। इसी दिन प्रातःकाल तिलक का देहान्त हो गया।
- यह महात्मा गांधी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया पहला अखिल भारतीय स्तर का जन आंदोलन था।
यह आंदोलन निम्न मुख्य माँगों पर बल देने हेतु प्रारंभ किया गया था –
- खिलाफत मुद्दा
- रॉलेट एक्ट
- पंजाब में जलियावाला बाग एवं उसके बाद के उत्पीङन के विरुद्ध न्याय की मांग
- स्वराज्य प्राप्ति।
असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम के दो मुख्य पक्ष थे –
- नकारात्मक (विरोधात्मक)
- रचनात्मक।
कार्यक्रम के विरोधात्मक पक्ष –
- उपाधियों एवं अवैतनिक पदों का परित्याग करना।
- सरकारी शिक्षण संस्थाओं से बच्चों को निकालना। विद्यार्थियों ने स्कूल, काॅलेज छोङ दिये।
- वकीलों द्वारा अँग्रेज न्यायालयों का बहिष्कार। वकीलोें ने वकालात छोङ दी।
- विधान परिषदों के चुनावों के बहिष्कार एवं विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
कार्यक्रम के रचनात्मक पक्ष –
- न्यायालयों के स्थान पर पंच फैसला पीठों का गठन।
- राष्ट्रीय विद्यालयों व काॅलेजों की स्थापना।
- स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देना।
- चरखा एवं खादी को लोकप्रिय बनाना।
- सम्पूर्ण देश विशेषतः पश्चिमी भारत, बंगाल एवं उत्तरी भारत में असहयोग आन्दोलन को अभूतपूर्व सफलता मिली।
- अलीगढ़ में जामिया मिलिया इस्लामिया एवं काशी विद्यापीठ जैसी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना हुई।
चौरी चौरा कांड (Chauri Chaura incident in hindi)
- 17 नवम्बर, 1921 ई. को प्रिन्स ऑफ वेल्स के भारत आगमन के दिन पूरे देश में हङताल का आयोजन किया गया।
- दिसम्बर, 1921 में कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने की अनुमति दी गई।
- असहयोग आन्दोलन अपने चरम सीमा पर था लेकिन अचानक 5 फरवरी, 1922 ई. में ’चौरी चौरा’ (गोरखपुर उत्तरप्रदेश) नामक स्थान पर हिंसक भीङ ने पुलिस थाने को जला दिया, जिसमें 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। इसे ‘चौरी चौरा कांड’ कहा जाता है।
- इन हिंसक घटनाओं के कारण गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन को स्थगित करने की घोषणा कर दी तथा 12 फरवरी, 1922 को बारदोली आंदोलन गांधी जी के द्वारा वापस ले लिया गया।
- महात्मा गांधी (Information About Mahatma Gandhi in Hindi) के आन्दोलन को वापिस लेने के निर्णय का तीव्र एवं व्यापक विरोध हुआ, तो वहीं जिन्ना ने असहयोग आन्दोलन को गांधी की ’हिमालयी भूल’ कहा।
- असहयोग आन्दोलन के दौरान महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi Introduction in Hindi) ने अंग्रेजों द्वारा दी गई ’केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि वापस लौटा दी थी।
- गांधीजी के असहयोग आन्दोलन का सबसे सफल प्रभाव विदेशी कपङों का बहिष्कार कार्यक्रम था। कांग्रेस ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया।
- खादी का प्रयोग एवं स्वदेशी का प्रचार आगामी आन्दोलन का भाग बन गया। कांग्रेस अब राष्ट्रव्यापी संस्था बन चुकी थी।
- 1924 में कांग्रेस के ’बेलगाँव अधिवेशन’ की अध्यक्षता पहली बार महात्मा गांधी ने की थी। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) केवल एक बार ही कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन (Civil Disobedience Movement upsc)
- जनवरी, 1930 में महात्मा गाँधी ने 11 सूत्रीय माँगपत्र प्रस्ताव रखा, जिस पर वायसराय लाॅर्ड इरविन द्वारा कोई सकारात्मक जवाब न मिलने के कारण महात्मा गाँधी ने ’सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ शुरू करने की धमकी दी, जिसका प्रमुख उद्देश्य ’नमक कानून’ को तोङना था। क्योंकि अंग्रेजी सरकार ने उस समय नमक पर कर लगा दिया था, जो आम जनता की एक जरूरत थी।
- महात्मा गांधी ने लाॅर्ड इरविन को पत्र लिखा ’’मैंने घुटने टेककर रोटी माँगी थी और बदले में मुझे पत्थर मिला।’’ इसके बाद गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम थे –
- नमक कानून का उल्लंघन करना।
- स्कूलों का परित्याग एवं सरकारी नौकरियों से इस्तीफा।
- विदेशी कपङों की होली जलाना।
- स्त्रियों का शराब की दुकानों के आगे धरना देना।
दांडी मार्च (Explain Dandi March Class 10)
- 12 मार्च, 1930 में गांधी जी ने नमक कानून तोङने हेतु अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) से गुजरात तट के दाण्डी नामक स्थान के लिए 240 मील (लगभग 400 किलोमीटर) की पैदल यात्रा ’दांडी मार्च’ प्रारंभ किया।
- 6 अप्रैल, 1930 को गांधी जी ने एक मुट्ठी नमक हाथ में लेकर नमक कानून का उल्लंघन किया और इसी के साथ सम्पूर्ण देश में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारंभ हुआ।
- गांधीजी एवं कई बङे कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। जुलाई, 1930 तक आन्दोलन देशव्यापी हो गया। स्थान-स्थान पर ’मार्शल-लाॅ’ लगाया गया।
- इस आन्दोलन में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। नमक सत्याग्रह के दौरान धरसाणा में महिलाओं का नेतृत्व सरोजिनी नायडू के द्वारा किया गया।
प्रथम गोलमेज सम्मेलन (First Round Table Conference)
- प्रथम गोलमेज सम्मेलन 12 नवम्बर, 1930 से 13 जनवरी, 1931 तक लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
- प्रथम गोलमेज सम्मेलन में प्रमुख भारतीय नेताओं ने हिस्सा लिया था – तेजबहादुर सप्रु, श्रीनिवास शास्त्री, बीकानेर के गंगासिंह, अलवर के महाराजा जयसिंह, मुहम्मद अली, मुहम्मद शफी, आगा खाँ।
- यह ऐसी पहली वार्ता थी जिसमें ब्रिटिश शासकों द्वारा भारतीयों को बराबर का दर्जा दिया गया।
गांधी-इरविन समझौता
- गांधी और इरविन के बीच लम्बी बातचीत के बाद 5 मार्च 1931 एक समझौता हुआ जिसे गांधी-इरविन समझौते के नाम से जाना गया।
- इस वार्ता के बाद गांधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस ले लिया एवं द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना स्वीकार कर लिया गया था।
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference)
- दूसरा गोलमेज सम्मेलन लंदन में 7 सितम्बर, 1931 से 1 दिसम्बर, 1931 तक चला। इसमें कांग्रेस के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में गांधी जी (Gandhi ji) ने हिस्सा लिया। भारतीय महिलाओं के प्रतिनिधि के रूप में सरोजनी नायडू ने भाग लिया।
- इस सम्मेलन का आयोजन लंदन के ’सेंट पैलेस’ में किया गया।
- दक्षिणपंथी नेता विंस्टन चर्चिल ने ब्रिटिश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह (सरकार) ’देशद्रोही फकीर’ (गांधी जी) को बराबर का दर्जा देकर बात कर रही है।
- फ्रेंकमोरेस नामक ब्रिटिश नागरिक ने गांधी जी के बारे में इसी समय कहा कि ’’अर्ध नंगे फकीर’’ के ब्रिटिश प्रधानमंत्री से वार्ता हेतु सेण्टपाल पैलेस की सीढ़िया चढ़ने का दृश्य अपने आप में एक अनोखा और दिव्य प्रभाव उत्पन्न कर रहा था।
- इस सम्मेलन में सर आगा खाँ द्वारा मुस्लिम लीग के लिए साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली को स्थायी बनाने और डाॅ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दलित वर्ग के लिए पृथक् निर्वाचन मण्डल की मांग की गई। अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण मुद्दे पर मोहम्मद अली जिन्ना एवं अन्य साम्प्रदायिक दलों के प्रतिनिधियों की हठधर्मिता से सम्मेलन असफल हो गया।
द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन (Second civil disobedience movement)
- 1 जनवरी, 1932 को कांग्रेस कार्यसमिति ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया। आंदोलन शुरू होने के शीघ्र बाद चोटी के नेता गांधी, नेहरू, खान अब्दुल गफ्फार आदि को गिरफ्तार कर सरकार ने कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर उसकी सम्पत्ति को जब्त कर लिया।
- जिस समय आंदोलन अपने चरम पर था उसी समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री ’रैम्जे मैकडोनाल्ड’ ने अपना प्रसिद्ध ’साम्प्रदायिक पंचाट’ की घोषणा कर आंदोलन की दिशा बदल ली।
साम्प्रदायिक पंचाट (Saampradaayik Panchaat)
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने 16 अगस्त, 1932 को विभिन्न सम्प्रदायों के प्रतिनिधित्व के विषय पर एक पंचाट जारी किया जिसे ’साम्प्रदायिक पंचाट’ (कम्युनल एवार्ड) कहा गया।
- इस पंचाट में पृथक निर्वाचक पद्धति को न केवल मुसलमानों के लिए जारी रखा गया बल्कि इसे दलित वर्गों पर भी लागू कर दिया गया।
- दलित वर्ग को पृथक् निर्वाचक मण्डल की सुविधा दिये जाने के विरोध में महात्मा गांधी ने जेल में ही 20 सितम्बर, 1932 को आमरण अनशन शुरू कर दिया।
पूना समझौता (Puna Samjhauta)
- मदनमोहन मालवीय, डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, पुरूषोत्तम दास, सी. राजगोपालचारी आदि के प्रयत्नों से गांधी जी (Gandhi ji) के उपवास के 5 दिन बाद 26 सितम्बर, 1932 को गांधी जी और दलित नेता अम्बेडकर में ’पूना समझौता’ हुआ।
- पूना पैक्ट के अनुसार दलितों के लिए पृथक निर्वाचन व्यवस्था समाप्त कर दी गई तथा विभिन्न प्रांतीय विधान मण्डलों में दलित वर्ग के लिए 148 सीटें आरक्षित की गई, दूसरे केन्द्रीय विधानमण्डल में 18 प्रतिशत सीटें दलित वर्ग के लिए आरक्षित की गई।
द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन का स्थगन
- अक्टूबर, 1934 को गांधी जी ने अपने को सक्रिय राजनीति से अलग कर हरिजनोत्थान से जोङ लिया।
- सरोजिनी नायडू ने इरविन और गांधीजी को ’दो महात्मा’ कहा।
तृतीय गोलमेज सम्मेलन (Third Round Table Conference)
- 17 नवम्बर, 1932 से 24 दिसम्बर, 1932 तक तृतीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया।
- इसमें केवल राजभक्तों और साम्प्रदायिकतावादियों ने ही भाग लिया।
- कांग्रेस ने इस सम्मेलन में अपनी ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं भेजा।
- तीनों गोलमेज सम्मेलनों के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने मार्च, 1933 में एक ’श्वेत पत्र’ प्रकाशित किया, जिसके आधार पर ’भारत सरकार अधिनियम’ 1935 पारित किया गया।
भारत छोड़ो आन्दोलन (Bharat Chodo Andolan)
- क्रिप्स मिशन के असफल होने के कारण कांग्रेस एवं सरकार में कोई समझौता न हो पाने के कारण तथा अन्ततः कांग्रेस ने एक ठोस व प्रभावी आन्दोलन करने का निर्णय लिया।
- 14 जुलाई, 1942 को कांग्रेस कार्यसमिति ने वर्धा में अपनी बैठक में आंदोलन प्रारंभ करने हेतु गांधीजी को अधिकृत कर दिया। वर्धा बैठक में गांधीजी ने कहा कि ’’भारतीय समस्या का हल अँग्रेजों द्वारा भारत छोङ देने में ही है।’’ गांधीजी के इस प्रस्ताव को ’वर्धा प्रस्ताव’ कहते हैं।
- महात्मा गांधी ने कांग्रेस अधिवेशन के दौरान भारत छोङो आंदोलन प्रारम्भ करने का प्रस्ताव रखा और नहीं मनाने पर धमकी दी, कि ”मैं बालू से भी कांग्रेस से बङा आंदोलन खङा कर सकता हूँ।”
- 8 अगस्त, 1942 की अर्द्धरात्रि को बंबई में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में महात्मा गांधी द्वारा ’भारत छोङो प्रस्ताव’ पारित किया गया। गांधीजी ने कहा कि या तो हम भारत को पूर्ण स्वतंत्र करायेंगे या फिर इस प्रयास में मर मिटेंगे। इसी अधिवेशन में महात्मा गांधी ने ’करो या मरो’ का नारा दिया एवं कहा कि अब कांग्रेस पूर्ण स्वराज्य से कम के किसी भी सरकारी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगी।
- अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बम्बई के ’ग्वालियर टैंक मैदान’ में मौलाना आजाद की अध्यक्षता में हुई। जवाहरलाल नेहरू द्वारा ’भारत छोङो आन्दोलन’ का प्रस्ताव रखा गया। प्रस्ताव में कहा गया कि ’’भारत में ब्रिटिश शासन का तत्काल अंत, भारत के लिए एवं मित्र राष्ट्रों के आदर्श के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस पर ही युद्ध का भविष्य एवं स्वतंत्रता और प्रजातंत्र की सफलता निर्भर है।’’
- भारत छोङो आन्दोलन की शुरूआत 8 अगस्त 1942 हो चुकी थी, लेकिन भारत छोङो आन्दोलन का प्रारंभ 9 अगस्त 1942 को बारदोली से महात्मा गांधी ने किया था।
- इस आन्दोलन का मुस्लिम लीग, यूनियनिस्ट पार्टी, कम्यूनिस्ट पार्टी और भीमराव अम्बेडकर ने विरोध किया। डाॅ. अम्बेडकर ने इस आंदोलन को अनुत्तरदायित्त्वपूर्ण कार्य बताया।
भारत छोङो आन्दोलन के उद्देश्य –
- सार्वजनिक सभाएँ करना।
- लगान नहीं देना।
- हङतालें करना।
- सरकार के कार्यों में असहयोग देना।
भारत छोड़ो आन्दोलन की सफलता (Quit India Movement Successful)
- इस आंदोलन के दूसरे ही दिन कांग्रेस के नेता महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। महात्मा गांधी को पुणे के आगा खाँ महल में बन्दी बनाकर रखा गया और ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन का दमन तेज कर दिया।
- इस दमन के विरोध में महात्मा गांधी ने अनशन करने का निर्णय लिया। सम्पूर्ण देश में गाँधीजी के प्रति सहानुभूति जाग गयी और आंदोलन हिंसक होने लगा।
- भारत छोङो आन्दोलन अब तक का सबसे बङा अहिंसक आन्दोलन नहीं, बल्कि हिंसक आन्दोलन था जिसमें अंग्रेजी सरकार ने भी हिंसक दमन चक्र ‘Operation Zero Hour’ चलाया।
- इस आन्दोलन के फलस्वरूप गांधीजी सहित सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
- जयप्रकाश नारायण को हजारी बाग सेन्ट्रल जेल में रखा गया। कालान्तर में जयप्रकाश नारायण जले की दीवार फाँदकर फरार हो गये तथा उन्होंने ’आजाद दस्ता’ का गठन किया।
- इसी दौरान उषा मेहता, राम मनोहर लोहिया, प्रिंटर व अन्य ने एक भूमिगत रेडियो स्टेशन का संचालन किया, जिसके माध्यम से आंदोलन का प्रचार एवं रूपरेखा आम जनता तक पहुँचाते थे।
- इसी दौरान बलिया (उत्तरप्रदेश), सतारा (महाराष्ट्र), तामलुक (प. बंगाल) में समानांतर सरकारें स्थापित हुई। वहाँ अंग्रेजी शासन को समाप्त कर स्थानीय शासन को लागू किया गया।
- यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता के लिए किया गया सबसे महान प्रयास था। भारत छोङो आन्दोलन के बाद इस तरह का कोई वृहद् स्तर का जन आन्दोलन नहीं हुआ। परन्तु धीरे-धीरे की गई राजनीतिक कार्यवाहियों एवं प्रयासों से अन्ततः 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ जिसमें महात्मा गांधी के निःस्वार्थ एवं अविस्मरणीय योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
गांधी जी के पुरस्कार (Gandhi ji Ke Award)
- टाईम मैगजीन ने गांधी जी (Gandhi ji) को वर्ष 1930 में ’मैन ऑफ द ईयर’ चुना।
- 2011 में टाईम मैगजीन ने इन्हें विश्व के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे 25 राजनीतिक व्यक्तियों में से एक चुना।
- गांधीजी को कभी नोबल पुरस्कार नहीं मिला परन्तु 1937 से लेकर 1948 तक पाँच बार इन्हें ’नोबल पुरस्कार’ के लिए नामित किया गया।
- 2 अक्टूबर को अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है।
- 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।
- 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को ‘’भर्ती करने वाले सार्जेण्ट’’ कहा जाता है।
’’मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।’’
महात्मा गांधी का सत्याग्रह (Mahatma Gandhi Ka Satyagraha)
- सत्याग्रह (Satyagraha) की प्रेरणा गांधीजी ने डेविड थोरो के लेख ’ सिवल डिसओबिडियन्स’, लियो टाॅलस्टाय के ’किंगडम ऑफ गाॅड इज विदिन यू’, जाॅन रस्किन की ’अनटू दि लास्ट’ के विचारों से ली थी।
- सत्याग्रह सत्य और अहिंसा पर आधरित था।
- सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ सत्य के लिए आग्रह (सत्य के प्रति समर्पण) होता है।
- गांधी जी इस बात से चिंतित थे कि सत्याग्रह को कैसे निष्क्रिय प्रतिरोध से अलग किया जाए क्योंकि सत्याग्रह एक अलग तकनीक पर आधारित था जिसमें उपवास, हिजरत तथा हङताल प्रमुख था।
- गांधी जी खादी को आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक मानते थे।
गांधी जी और हरिजनोत्थान
- सितम्बर, 1932 में गांधी जी ने हरिजन कल्याण हेतु ’अखिल भारतीय हरिजन संघ’ की स्थापना की।
- अछूतों को गांधी जी ने ’हरिजन’ नाम दिया।
- जनवरी, 1933 में ’हरिजन’ नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया।
- हरिजन उत्थान कार्यक्रम को अपना मुख्य लक्ष्य बना लिया।
- महात्मा गांधी ने गौ रक्षा के अति महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए गोरक्षा संघ बनाया।
महात्मा गांधी की मृत्यु कब हुई (Mahatma Gandhi ki Mrityu kab Hui)
- 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने (Rashtrapita Mahatma Gandhi) नई दिल्ली के ’बिरला हाउस’ से प्रेयर मीटिंग के लिए प्रस्थान किया।
- उसी दिन शाम 5 बजकर 17 मिनट पर नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) और उनके सहयोगी गोपालदास ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। गोडसे ने गांधी जी (Gandhi ji) पर 3 गोलियाँ चलायी।
- गोडसे एक हिन्दू राष्ट्रवादी और हिन्दू महासभा का सदस्य था। वह गांधी जी के अहिंसावादी सिद्धान्त का विरोधी था।
- गांधी जी की हत्या के आरोप में नाथू राम गोडसे (Nathu Ram Godse) को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और नाथूराम गोडसे पर गांधी जी की हत्या का केस चलाया गया। इस मुकदमे में गोडसे (Godse) को दोषी ठहराया गया और उनको मृत्यु की सजा सुनाई गई। नाथूराम गोडसे को 1949 ई. में फांसी लगाई गई।
- अपने जीवन के अंतिम समय में गांधी के मुख से ’हे राम’ शब्द निकले। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का समाधि स्थल नई दिल्ली के राजघाट में बनाया गया।
- जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तब अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था, ’’कोई विश्वास नहीं करेगा कि ऐसे शरीर और आत्मा वाला कोई आदमी कभी इस धरती पर चला था।’’
FAQ – About Mahatma Gandhi ka jivan Parichay
1. महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर – 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में
2. महात्मा गांधी के पिता का नाम क्या था ?
उत्तर – करमचंद गांधी
3. करमचंद गांधी कहां ही रियासत के दीवान थे ?
उत्तर – राजकोट (पोरबंदर)
4. महात्मा गांधी की माता का नाम क्या था ?
उत्तर – पुतलीबाई
5. महात्मा गांधी के जीवन पर किसका बहुत गहरा प्रभाव पङा ?
उत्तर – माता पुतलीबाई
6. गांधीजी के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर – मोहनदास
7. महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या था ?
उत्तर – मोहनदास करमचंद गांधी
8. गांधीजी का जब विवाह हुआ तो, उस समय उनकी उम्र क्या थी ?
उत्तर – 13 वर्ष
9. गांधी जी की पत्नी का क्या नाम था ?
उत्तर – कस्तूरबा गांधी
10. महात्मा गांधी बैरिस्टर (वकालत) की पढ़ाई करने के लिए लंदन कब गए थे ?
उत्तर – 4 सितम्बर 1888 ई.
11. महात्मा गांधी को किन नामों से जाना जाता है ?
उत्तर – बापू, महात्मा जी, गाँधी जी
12. गांधीजी को ’महात्मा’ की उपाधि किसने दी ?
उत्तर – रवीन्द्रनाथ टैगोर
13. महात्मा गांधी को सबसे पहले ’राष्ट्रपिता’ किसने बुलाया था ?
उत्तर – सुभाष चंद्र बोस
14. महात्मा गांधी को ’अर्द्धनग्न फकीर’ किसने कहा था ?
उत्तर – विंस्टन चर्चिल
15. गांधी जी को क्या माना जाता है ?
उत्तर – दार्शनिक अराजकतावादी
16. गांधी जी के जन्मदिवस को किस दिवस के रूप में मनाया जाता है ?
उत्तर – अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस
17. महात्मा गांधी के कितने बेटेे थे ?
उत्तर – चार बेटे – हरीलाल गांधी (1888 ई.), मणिलाल गांधी (1892 ई.) , रामदास गांधी (1897 ई.) व देवदास गांधी (1900 ई.)।
18. महात्मा गांधी किसकी कृतियों से अत्यधिक प्रभावित थे ?
उत्तर – लियो टाॅलस्टाॅय
19. गांधी ने टाॅलस्टाॅय फार्म दक्षिण अफ्रीका में कब शुरू किया था ?
उत्तर – 1910 में
20. टाइम मैगजीन ने किस वर्ष में महात्मा गांधी को ’मैन ऑफ द ईयर’ घोषित किया था ?
उत्तर – 1930
21. महात्मा गांधी ने किस आश्रम की स्थापना की ?
उत्तर – मई, 1915 में साबरमती आश्रम
22. साबरमती आश्रम कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर – अहमदाबाद (गुजरात)
23. महात्मा गांधी को किसकी कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण अफ्रीका जाना पङा था?
उत्तर – दादा अब्दुल्ला
24. गांधीजी दक्षिण अफ्रीका कब गए ?
उत्तर – 1893
25. महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम सत्याग्रह का प्रयोग कब और कहाँ किया?
उत्तर – सितम्बर 1906 में दक्षिण अफ्रीका में
26. नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना गांधीजी ने कहां की थी ?
उत्तर – दक्षिण अफ्रीका में
27. नटाल भारतीय कांग्रेस की स्थापना गांधीजी ने कब की थी ?
उत्तर – 22 मई 1894
28. गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे ?
उत्तर – 9 जनवरी 1915
29. प्रवासी भारतीय दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर – 9 जनवरी को
30. 1915 में गांधी जी को ब्रिटिश सरकार ने किस उपाधि से सम्मानित किया था ?
उत्तर – केसर-ए-हिन्द
31. किस आंदोलन के साथ महात्मा गांधी ने भारतीय राजनीति में पदार्पण किया था ?
उत्तर – चंपारण आंदोलन
32. भारत में गांधीजी ने पहला सत्याग्रह का प्रयोग कहां किया ?
उत्तर – चम्पारण आन्दोलन
33. चंपारण सत्याग्रह कब शुरू किया गया था ?
उत्तर – 1917 में बिहार के चंपारण जिले में
34. बिहार के किस नेता ने गांधीजी के साथ किसान आंदोलन का नेतृत्व किया ?
उत्तर – राजेन्द्र प्रसाद
35. चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी के साथ कौन शामिल थे ?
उत्तर – राजेंद्र प्रसाद, मजहरूल हक, जे.बी. कृपलानी, महादेव देसाई, अनुग्रह नारायण सिंह एवं श्रीकृष्ण सिंह।
36. गांधीजी के नाम के साथ महात्मा कब जोङा गया था ?
उत्तर – चंपारण सत्याग्रह के दौरान
37. भारत में गांधी जी का तीसरा सत्याग्रह कौनसा था ?
उत्तर – खेङा सत्याग्रह
38. खेङा सत्याग्रह कब हुआ था ?
उत्तर – 1918
39. महात्मा गांधी ने दांडी मार्च नमक यात्रा कब और कहाँ से शुरू की ?
उत्तर – 12 मार्च, 1930 को अहमदाबाद से
40. महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक की यात्रा को कितने दिनों में तय किया था ?
उत्तर – 24 दिन
41. गांधीजी ने नमक कानून कब तोङा ?
उत्तर – 6 अप्रैल, 1930
42. दांडी यात्रा में गांधीजी ने कितनी दूरी तय करके नमक कानून का विरोध किया था ?
उत्तर – 240 मील (लगभग 400 किलोमीटर)
43. नमक कानून तोङने के लिए गांधी के द्वारा कौन-सा आंदोलन चलाया गया था ?
उत्तर – सविनय अवज्ञा आन्दोलन
44. गांधीजी के साथ नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किसने किया ?
उत्तर – सरोजिनी नायडू
45. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू किया गया था ?
उत्तर – 1930
46. महात्मा गांधी ने वर्ष 1906 में किस विद्रोह के दरमियान भारतीय एंबुलेंस सेवा शुरू की थी ?
उत्तर – जुलू विद्रोह
47. महात्मा गांधी के राजनैतिक गुरु कौन थे ?
उत्तर – गोपाल कृष्ण गोखले
48. महात्मा गांधी के द्वारा शुरू की गई साप्ताहिक पत्रिकाएँ कौनसी है ?
उत्तर – यंग इंडिया, इंडियन ओपिनियन, नवजीवन
49. गांधीजी ने यंग इंडिया और नवजीवन समाचार पत्र की शुरुआत कब की थी ?
उत्तर – यंग इण्डिया – 1919, नवजीवन – 1 नवंबर 1947
50. महात्मा गांधी की आत्मकथा का क्या नाम है ?
उत्तर – सत्य के साथ मेरे प्रयोग
51. गांधी जी ने अपनी आत्मकथा किस भाषा में लिखी ?
उत्तर – गुजराती भाषा में
52. गांधी जी की आत्मकथा प्रथम बार कब प्रकाशित हुई ?
उत्तर – 1927
53. गांधी जी की आत्मकथा का अंग्रेजी में अनुवाद किसने किया था ?
उत्तर – महादेव देसाई
54. महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका के किस रेलवे स्टेशन से बाहर कर दिया गया ?
उत्तर – पिटरमार्टिजबर्ग रेलवे स्टेशन से
55. गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में कितने वर्ष रहें ?
उत्तर – 21 वर्ष
56. दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी द्वारा प्रकाशित पत्रिका का नाम क्या था ?
उत्तर – इंडियन ओपिनियन (1904)
57. ’सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ पुस्तक किसने लिखी थी ?
उत्तर – महात्मा गांधी
58. गांधीजी ने ’हिन्द स्वराज’ का प्रकाशन कब किया ?
उत्तर – 1908
59. कौनसा आंदोलन मुस्लिमों द्वारा तुर्की के खलीफा पद की दोबारा स्थापना करने के लिए चलाया गया था ?
उत्तर – खिलाफत आंदोलन (1919-1924)
60. गांधी जी ने किस कानून को काला कानून कहा था ?
उत्तर – रॉलेट एक्ट
61. रॉलेट एक्ट कब पास हुआ था जिसमें भारतीयों के आम अधिकार छीने गए थे ?
उत्तर – 18 मार्च, 1919
62. महात्मा गांधी किस गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए थे ?
उत्तर – द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 1931
63. महात्मा गांधी का प्रसिद्ध नारा किया था ?
उत्तर – करो या मरो
64. ’द वर्ड्स ऑफ गांधी’ पुस्तक के लेखक कौन है ?
उत्तर – महात्मा गांधी
65. महात्मा गांधी ने किस साल अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की ?
उत्तर – सितम्बर, 1932
66. महात्मा गांधी ने हरिजन समाचार-पत्र का प्रकाशन कब किया था ?
उत्तर – 1933 में
67. गांधी-इरविन समझौता कब हुआ ?
उत्तर – 5 मार्च 1931
68. गांधी-इरविन समझौता किसके सम्बन्ध में हुआ ?
उत्तर – सविनय अवज्ञा आन्दोलन
69. गांधीजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष कितनी बार बने ?
उत्तर – एक बार
70. किस एकमात्र कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता गांधी जी ने की थी ?
उत्तर – बेलगाँव अधिवेशन (1924)़
71. फीनिक्स फार्म की स्थापना किसने की ?
उत्तर – महात्मा गांधी ने
72. असहयोग आन्दोलन की शुरूआत किसने और कब की ?
उत्तर – महात्मा गांधी ने, 1 अगस्त 1920 ई.
73. असहयोग आंदोलन को क्यों बीच में बंद करना पङा ?
उत्तर – चौरी-चौरी में हुई हिंसक घटना के कारण
74. चौरी-चौरी काण्ड कब हुआ था ?
उत्तर – 5 फरवरी 1922 ई.
75. महात्मा गांधी ने अपनी ’केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि कब वापस लौटा दी थी ?
उत्तर – असहयोग आन्दोलन के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों द्वारा दी गई ’केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि वापस लौटा दी थी।
76. महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को कब समाप्त कर दिया था ?
उत्तर – 12 फरवरी, 1922
77. 1942 में भारत छोङो आंदोलन आरंभ करने के बाद कौन-सा मुख्य कारण था ?
उत्तर – क्रिप्स मिशन की विफलता
78. ’भारत छोङो आंदोलन’ का नारा किसने दिया था ?
उत्तर – महात्मा गांधी
79. भारत छोङो आन्दोलन के समय इंग्लैण्ड का प्रधानमंत्री कौन था ?
उत्तर – विंस्टन चर्चिल
80. भारत छोङो आंदोलन कब प्रारंभ हुआ ?
उत्तर – 9 अगस्त 1942
81. भारत छोङो आन्दोलन कहाँ शुरू किया गया ?
उत्तर – बारदोली
82. महात्मा गांधी ने किस आंदोलन में करो या मरो का नारा दिया था ?
उत्तर – भारत छोङो आन्दोलन के दौरान
83. भारत छोङो आंदोलन के दौरान ’समांतर सरकार’ का गठन कहाँ किया गया था?
उत्तर – बलिया
84. भारत छोङो प्रस्ताव पारित होने के बाद गांधी जी को कैद करके कहाँ रखा गया
उत्तर – आगा खां पैलेस
85. गांधीजी का सत्याग्रह किन सिद्धांतों पर आधारित था ?
उत्तर – सत्य और अहिंसा पर
86. गांधीजी को कितनी बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया ?
उत्तर – 5 बार (1937-1948)
87. महात्मा गांधी की हत्या किसने की ?
उत्तर – नाथूराम गोडसे ने
88. महात्मा गांधी की मृत्यु कब व कहाँ हुई ?
उत्तर – 30 जनवरी 1948 नई दिल्ली के ’बिरला हाउस’ में
89. महात्मा गांधी ने मरते समय किस शब्द का प्रयोग किया था ?
उत्तर – हे राम!
90. महात्मा गांधी की समाधि कहाँ पर है ?
उत्तर – नई दिल्ली के राजघाट
91. शहीद दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर – 30 जनवरी (महात्मा गांधी के मृत्युदिवस पर)
92. यह कथन किसने कहा ’ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो, ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो’?
उत्तर – महात्मा गांधी
93. महात्मा गांधी को मलंग बाबा की उपाधि किसने दी थी ?
उत्तर – खुदाई खिदमतगार ने
94. महात्मा गांधी को ’बापू’ किसने कहा था ?
उत्तर – जवाहरलाल नेहरू
95. महात्मा गांधी को ’जादूगर’ की उपाधि किसने दी थी ?
उत्तर – शेख मुजीब उर रहमान
96. महात्मा गांधी को ’वन-मैन बाउंड्री फोर्स’ किसने कहा था ?
उत्तर – लार्ड माउंटबेटन
97. ’’भर्ती करने वाले सार्जेण्ट’’ किन्हें कहा गया है ?
उत्तर – महात्मा गांधी को
98. ’साम्प्रदायिक पंचाट’ की घोषणा कब और किसने की ?
उत्तर – ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने 16 अगस्त, 1932 को
99. ’पूना समझौता’ कब और किनके बीच हुआ ?
उत्तर – 26 सितम्बर, 1932 को गांधी जी और दलित नेता अम्बेडकर के बीच ’पूना समझौता’ हुआ।
100. ’’मैं बालू से भी कांग्रेस से बङा आंदोलन खङा कर सकता हूँ।’’ यह कथन महात्मा गांधी ने किस आंदोलन के दौरान दिया था?
उत्तर – भारत छोङो आन्दोलन
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