नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020(NEP 2020 IN HINDI): एनईपी 2020 (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020) भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को लागू की गई एक नई शिक्षा नीति है, जिसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार लाना है। यह नीति 1986 में लागू की गई पिछली शिक्षा नीति की जगह लेती है और 34 वर्षों के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को लागू की गई एक व्यापक नीति है, जिसका उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार करना और इसे 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप बनाना है। यह नीति 1986 की शिक्षा नीति को बदलकर आई है और लगभग 34 साल बाद भारतीय शिक्षा में व्यापक बदलाव लाने का प्रयास करती है। नवीन शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को अधिक समावेशी, लचीला और आधुनिक बनाना और शिक्षा प्रणाली को रोजगारोन्मुख और ज्ञान आधारित बनाना है।
Rashtriya Shiksha Niti 2020
शिक्षा नीति नाम | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020(NEP) |
समिति नाम | के. कस्तूरीरंगन समिति |
कस्तूरी रंगन कमेटी का गठन | 2017 में (आठ सदस्य) |
भाग | 4 |
अध्याय | 27 |
समिति अध्यक्षता | डॉ. के. कस्तूरीरंगन |
मंजूरी मिली | 29 जुलाई, 2020 |
प्रतिस्थापित हुई | राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई) 1986 |
शिक्षा का स्वरूप | 5+3+3+4(नया पेटर्न) |
मूलभूत स्तंभ | पहुंच , इक्विटी , गुणवत्ता , सामर्थ्य और जवाबदेही |
उद्देश्य | भारत को वैश्विक शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी स्थान दिलवाना |
परीक्षापयोगी तथ्य(नई शिक्षा नीति 2020) आर्टिकल के अंत में शोर्ट नोट्स जरुर देखें।
- स्वतंत्र भारत की पहली शिक्षा नीति 1968 में बनाई गई थी।
- स्वतंत्र भारत की दूसरी शिक्षा नीति 1986 में राजीव गांधी सरकार ने लागू की।
- शिक्षा नीति 1986 में कुछ संशोधन के तहत 1992 – Plan of Action (POA): इसमें तीन शब्द जोड़े – प्रासंगिकता, गुणवत्ता, लचीलापन।
- NCE 2005 – यशपाल कमेटी की सिफारिश से जोड़ा गया।
- RTE 2009 – निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम।
एनईपी(NEP) 2020 क्या है?
NEP 2020 KYA HAI: एनईपी 2020 केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जुलाई 2020 में पेश की गयी भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) है । यह नीति 1986 में लागू की गई पुरानी शिक्षा प्रणाली का स्थान लेती है। NEP 2020 का मुख्य उद्देश्य भारत में शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव करना है। यह नीति भारतीय परंपराओं और मूल्यों को समाहित करते हुए उच्च-स्तरीय गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने पर जोर देती है। इसका दीर्घकालिक लक्ष्य भारत को वैश्विक शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर लाना है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की पृष्ठभूमि
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारत सरकार द्वारा भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार और आधुनिकीकरण के उद्देश्य से लाई गई एक व्यापक नीति है। इसकी पृष्ठभूमि में भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था और वैश्विक परिदृश्य में तेजी से हो रहे बदलावों के साथ-साथ भारतीय शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों और अवसरों का गहराई से विश्लेषण शामिल है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की पृष्ठभूमि के संदर्भ में दो समितियों का गठन किया गया –
(1) TSR सुब्रह्मण्यन समिति (2015) –
TSR सुब्रह्मण्यन समिति का गठन 2015 में पूर्व केबिनेट सचिव TSR सुब्रह्मण्यन की अध्यक्षता में किया गया। इसमें 5 सदस्य थे। इसके पूर्व कैबिनेट सचिन को बनाया गया। सतत विकास एजेंडा के तहत प्रत्येक राष्ट्र को सार्वभौमिक/गुणवत्तापूर्ण/प्रारंभिक शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए TSR सुब्रह्मण्यन समिति का गठन किया गया। इस समिति ने अपना सुझाव मई 2016 में प्रस्तुत किया। लेकिन इस समिति के सुझावों को अनुकूल नहीं माना गया।
मुख्य फोकस : शिक्षा में समानता और गुणवत्ता को बढ़ावा देना।
(2) के. कस्तूरीरंगन समिति (2017) –
नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिये जून, 2017 में पूर्व इसरो के प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने 31 मई, 2019 में ’राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ कैबिनेट को प्रस्तुत किया। इसने भारतीय मूल्यों, परंपराओं और आधुनिकता का समन्वय करते हुए एक व्यापक रिपोर्ट पेश की।
मुख्य फोकस: शिक्षा को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने और तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित।
3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी – 29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई ।
मुख्य फोकस : भारतीय मूल्यों, परंपराओं और आधुनिकता का समन्वय
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुख्य बिंदु(Aims and objectives of NEP 2020)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को आधुनिक, समावेशी और रोजगारोन्मुख बनाना है। इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. स्कूली शिक्षा में सुधार:
- 5+3+3+4 संरचना लागू करना
- मातृभाषा में शिक्षा
- कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा
- कला, संगीत, खेल का समावेश
- समग्र मूल्यांकन प्रणाली
2. उच्च शिक्षा में सुधार
- मल्टीपल एंट्री और एग्जिट विकल्प
- क्रेडिट बैंक प्रणाली
- एकल नियामक निकाय (HECI)
- चार वर्षीय स्नातक प्रोग्राम
3. शिक्षकों और शिक्षण प्रणाली में सुधार
4. डिजिटल शिक्षा और तकनीकी सुधार
5. व्यावसायिक शिक्षा पर जोर
6. समावेशी शिक्षा
7. अनुसंधान और विकास
8. नई भाषा नीति
9. ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो (GER)
10. राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र (PARAKH)
11. भारतीय मूल्यों और संस्कृति का संरक्षण
नवीन शिक्षा नीति 2020 की मुख्य बातें
- केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 29 जुलाई 2020 को नवीन शिक्षा नीति 2020 जारी की।
- 29 जुलाई, 2020 को केन्द्रीय मंत्रीमण्डल (केन्द्र सरकार) द्वारा इस नीति को मंजूरी मिली।
- यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी ’राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ 1986 को प्रतिस्थापित करेगी।
- यह 21 वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है।
- ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है।
- NEP-2020 के तहत केन्द्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला प्रथम राज्य कर्नाटक है।
- NEP 2020 बालक को केन्द्र में रखती है तथा सीखने में नवीन परिस्थिति के अनुसार परिवर्तनों पर बल देती हैं।
- यह जिज्ञासा, खेल अनुभव, समस्या समाधान, संवाद को सिखाने में महत्वपूर्ण मानती हैं।
- नवीन शिक्षा नीति 2020 को 27 अध्याय तथा 04 भागों (स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, केंद्रीय विचारणीय मुद्दे और क्रियान्वित मुद्दे) में विभक्त किया गया है।
- इस शिक्षा नीति के पांच आधारभूत स्तंभ माने गए हैं जो कि निम्न हैं – पहुंच (Access), सामान्य (Equality), गुणवत्ता (Quality), वहनीयता/किफायती (Affordability) और जबावदेही (Accountability)।
NEP 2020 के 5 आधारभूत स्तंभ(5 Pillars of NEP 2020 in Hindi)
NEP 2020 के 5 आधारभूत स्तंभ: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) को भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार और विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह नीति 5 मुख्य आधारभूत स्तंभों पर आधारित है, जो इसे समग्र और दूरदर्शी बनाते हैं। ये स्तंभ शिक्षा के हर स्तर पर गुणवत्ता, समावेशिता, और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करते हैं। NEP 2020 पांच स्तंभों पर आधारित है –
1. पहुंच (Access)
- शिक्षा को समाज के हर वर्ग तक सुलभ बनाना।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना।
- वंचित और कमजोर वर्गों (SC, ST, OBC, दिव्यांग और ट्रांसजेंडर) को शिक्षा की मुख्यधारा में लाना।
- डिजिटल संसाधनों और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंच सुनिश्चित करना।
2. समानता (Equity)
- सभी छात्रों को उनकी सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद समान अवसर प्रदान करना।
- लड़कियों, ट्रांसजेंडर छात्रों, और वंचित वर्गों को शिक्षा में विशेष सुविधाएं।
- “जेंडर समावेशी निधि” और “समावेशी शिक्षा योजनाओं” के माध्यम से लैंगिक और सामाजिक असमानता को कम करना।
- छात्रों को उनकी आवश्यकता के अनुसार समान रूप से व्यक्तिगत सहायता प्रदान करवाना।
3. गुणवत्ता (Quality)
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को हर स्तर पर सुनिश्चित करना।
- पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धतियों को आधुनिक और प्रभावी बनाना।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण और सतत व्यावसायिक विकास (CPD) पर जोर।
- समग्र और बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाकर छात्रों के कौशल और व्यक्तित्व का विकास।
4. वहनीयता (Affordability)
- सभी के लिए शिक्षा को किफायती बनाना।
- 3 से 18 साल तक के छात्रों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाए।
- वंचित वर्गों के लिए मुफ्त या रियायती शिक्षा सुनिश्चित करना।
- छात्रवृत्ति योजनाओं और वित्तीय सहायता के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद करना।
- डिजिटल शिक्षा को वहनीय बनाना।
5. जवाबदेही (Accountability)
- शिक्षा प्रणाली को जिम्मेदार, पारदर्शी और प्रभावी बनाना।
- छात्रों, शिक्षकों और संस्थानों के प्रदर्शन का समुचित मूल्यांकन।
- “राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र (PARAKH)” के माध्यम से मूल्यांकन प्रणाली को समग्र और पारदर्शी बनाना।
- उच्च शिक्षा में “ग्रेडेड स्वायत्तता” और “नियमित संस्थानों” की स्थापना।
- यह सभी छात्रों के लिए शैक्षिक परिणामों में सुधार करने और आवश्यक सुधारों को प्रबल करने और सुगम बनाने के लिए स्कूलों और जिला स्तरीय विद्यालयों को जवाबदेह ठहराने के लिए उपयोग की जाने वाली नीतियों और प्रक्रियाओं का संग्रह है।
MHRD के नाम में परिवर्तन – Rashtriya Shiksha Niti 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य(Objectives of National Education Policy 2020)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को आधुनिक, समावेशी और कौशल आधारित बनाकर 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करना है। इस नीति का लक्ष्य छात्रों को उनकी क्षमताओं और रुचियों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
मुख्य उद्देश्य:
1. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना:
- शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देना और हर स्तर पर सुलभ बनाना।
- आधुनिक तकनीकी और नवाचार का उपयोग कर शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाना।
2. शिक्षा में समानता और समावेशिता:
- समाज के वंचित और कमजोर वर्गों (SC, ST, OBC, दिव्यांग, और महिलाओं) के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच शिक्षा के अंतर को पाटना।
3. समग्र और बहुआयामी विकास:
- छात्रों के मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक विकास के लिए समग्र शिक्षा प्रणाली लागू करना।
- पाठ्यक्रम में सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे कला, खेल, और संगीत को शामिल करना।
4. 21वीं सदी के कौशल विकसित करना:
- रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच, समस्या-समाधान और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।
- छात्रों को रोजगार योग्य और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करना।
5. भारतीय संस्कृति और मूल्यों का संरक्षण:
- शिक्षा में भारतीय परंपराओं, संस्कृति और नैतिक मूल्यों का समावेश।
- मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता देकर भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना।
6. शिक्षा का वैश्वीकरण:
- भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना।
- भारत को शिक्षा और ज्ञान का वैश्विक केंद्र बनाना।
7. अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना:
- शोध और विकास के लिए “राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF)” की स्थापना।
- छात्रों और शिक्षकों को अनुसंधान में भाग लेने के लिए प्रेरित करना।
8. शिक्षा में लचीलापन लाना:
- मल्टीपल एंट्री और एग्जिट प्रणाली लागू करना।
- छात्रों को उनके पसंदीदा विषयों और क्षेत्रों में पढ़ाई करने की स्वतंत्रता।
9. डिजिटल और तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहन:
- तकनीकी और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना।
- ई-लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधन उपलब्ध कराना।
10. शिक्षक प्रशिक्षण और विकास:
- शिक्षकों की गुणवत्ता और प्रशिक्षण में सुधार।
- शिक्षकों के पेशेवर विकास के लिए सुविधाएं प्रदान करना।
11. व्यावसायिक शिक्षा का प्रचार:
- कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करना।
- वर्ष 2025 तक 50% छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य।
12. ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो (GER) बढ़ाना:
- 2030 तक उच्च शिक्षा में GER को 100% तक बढ़ाना।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सिद्धांत(Guiding Principles of National Education Policy 2020)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारत की शिक्षा प्रणाली को समावेशी, लचीला, और 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इस नीति के सिद्धांत शिक्षा के हर स्तर पर व्यापक सुधार और नवाचार को सुनिश्चित करते हैं।
- हर बच्चे को विशिष्ट क्षमताओं की स्वीकृति, पहचान और उसके विकास हेतु प्रयास करना।
- बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को सर्वाधिक प्राथमिकता देना – निपुण भारत अभियान के तहत कक्षा 3 तक या 9 वर्ष तक साक्षरता में संख्या ज्ञान को प्राथमिकता देना।
- लचीलापन – विद्यार्थियों को रुचि में योग्यताओं के अनुसार विषय चुनने की स्वतंत्रता हो।
- सम्बद्धता – सभी ज्ञान की एकता में अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सभी विषयों को जोड़कर पढ़ाना।
- अवधारणात्मक समझ कर जोर देना – रहने न केवल परीक्षा पर बल देने का विरोध करता है।
- रचनात्मक व तार्किक सोच – तार्किक निर्णय लेने व नवाचारों पर बल देना।
- नैतिकता, मानवीय और संवैधानिक मूल्यों पर बल देना।
- बहुभाषिकता – प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाषा में देते हुए बहुभाषिकता पर बल देना।
- जीवन कौशल पर बल देना।
- सीखने के लिए सतत मूल्यांकन पर जोर देना।
- तकनीकी के यथासंभव उपयोग पर जोर देना।
- विविधता और स्थानीय परिवेश के लिए एक समान प्रभाव देना।
- सभी शैक्षणिक निर्णयों की आधारशिला के रूप में पूर्ण समता और समावेशन तथा शिक्षा को लोगों की पहुंच और सामर्थ्य के दायरे में रखना।
- शिक्षकों और संकाय को सीखने की प्रक्रिया का केन्द्र मानना।
- अखंडता, पारदर्शिता और संसाधन कुशलता, ऑडिट के लिए हल्का लेकिन प्रभावी नियामक ढांचा बनाना।
- उत्कृष्ट सरकार का शोध – निरंतर व नियमित परिवर्तन के लिए अनुसंधान पर बल देना।
- भारतीय जड़ों और गौरव से बनते रहने पर बल देना।
- शिक्षा एक सार्वजनिक सेवा है, लेकिन इसके बावजूद निजी न परोपकारी प्रयासों को शामिल करने का प्रयास किया गया हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अध्याय
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) शिक्षा के विभिन्न स्तरों को व्यापक रूप से कवर करने के लिए संरचित है। इसे 4 प्रमुख भागों और 27 अध्यायों में विभाजित किया गया है, जो स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षा के डिजिटलरण तक सभी पहलुओं को शामिल करते हैं।
अध्याय – 01 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education – ECCE )
- प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE ) को सीखने की नींव कहा जाता है। जिसका लक्ष्य 2030 रखा गया हैं। जिसमें शिक्षा औपचारिक व अनौपचारिक दोनों माध्यम से दी जाएगी। अनौपचारिक शिक्षा 3 से 6 वर्ष के बालक को बालवाटिका के माध्यम से तथा औपचारिक शिक्षा 6 से 8 वर्ष के बालक को कक्षा 1 व 2 के माध्यम से।
ECCE क्या है?
ECCE (Early Childhood Care and Education) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक प्रमुख घटक है, जिसका उद्देश्य 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना है। यह बचपन के शुरुआती वर्षों में बच्चों के समग्र विकास (संज्ञानात्मक, सामाजिक, भावनात्मक, और शारीरिक) पर केंद्रित है।
- बच्चों के मस्तिष्क का 85% विकास 6 वर्ष की अवस्था से पूर्व ही हो जाता हैं।
- 3 वर्ष के बच्चों को शिक्षा (3+4+5) देना।
- इसका उद्देश्य बच्चों के सर्वांगीण पहलुओं का विकास करता है।
- NCERT द्वारा 8 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों के लिए दो भागों में प्रारम्भिक बाल्यावस्था (NCFECCE ) की शिक्षा का विकास किया जाएगा। (इसमें दो सबफ्रेम होंगी – वर्ष 0-3 सबफ्रेम और 3-8 सबफ्रेम)
- ECCE के माध्यम से आंगनबाड़ी/बाल वाटिका (अनौपचारिक शिक्षा), आदिवासी क्षेत्र की आश्रम शालाओं, पूर्व प्राथमिक विद्यालय, आंगनवाड़ी से जुड़े प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा प्रदान की जाएगी।
- इसमें आठ अध्याय है।
- 5 वर्ष की आयु से पहले हर बच्चा एक प्रारंभिक कक्षा या ‘बाल बाटिका’ में स्थानांतरित हो जाएगा।
- इस कार्यक्रम को महिला बाल विभाग, शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय, जनजाति मंत्रालय मिलकर चलायेंगे।
अध्याय 2 – बुनियादी साक्षरता व संख्या ज्ञान (Foundational Literacy and Numeracy FLN)
- सीखने के लिए एक तात्कालिक आवश्यकता और पूर्व शर्तें – कक्षा 3 तक के प्रत्येक बालक (39 वर्ष) को सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता (पढ़ना लिखना, अंकगणित) व संख्या ज्ञान को वर्ष 2025 तक का प्राप्त करना होगा।
- सामान्य विद्यालय में छात्र : शिक्षक – 30 : 1 ( से कम)
- पिछड़े न दुर्बल विद्यालय में छात्र शिक्षक 25 : 1 (से कम)
- बच्चा दूसरे बच्चे को पढ़ाएगा तथा बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाएगा।
अध्याय 3 – ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या कम करना और सभी स्तरों पर शिक्षा की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना –
- 2030 तक प्री स्कूल से माध्यमिक स्तर तक 100% सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio – GER) को प्राप्त करना व ड्रॉप आउट दर को कम करना होगा।
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूल (NIOS) तथा स्टेट ओपन स्कूल (SOS) द्वारा A, B व C लेबल के पाठ्यक्रम जो कक्षा 10 में 12 के समकक्ष होंगे।
- सामाजिक, आर्थिक वंचित वर्ग पर विशेष बल देना।
अध्याय 4 – स्कूलों में पाठ्यक्रम और शिक्षण शास्त्र : अधिगम समग्र एकीकृत आनंददायी और रुचिकर बनाना
राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 द्वारा अनुशांति स्कूली शिक्षा की संरचना 5+3+3+4 हैं। जो कि निम्न हैं –
(1) फाउंडेशनल स्टेज (उम्र 3 से 8 वर्ष) –
- इसमें 5 वर्ष शिक्षा दी जाती है।
- फाउण्डेशन स्टेज (प्रथम चरण) की शिक्षा के 2 स्टेज हैं –
आँगनवाड़ी – 3 से 6 वर्ष तक
पूर्व प्राथमिक (विद्यालयों में) – 6 से 8 वर्ष तक - यह 3 वर्ष आंगनबाड़ी व प्री स्कूल के लिए और 2 वर्ष कक्षा 1-2 प्राथमिक स्कूल के लिए हैं।
- इसमें कक्षा 1 एवं 2 सम्मिलित है।
- इसके तीन पहलू हैं – मस्तिष्क विकास, खेल और स्वयं खोज आधारित सीखना इसमें शामिल हैं।
- राजस्थान की मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने हाल ही में 25 हजार नन्द घर विकसित करने के आदेश दिए गए हैं।
(2) प्रीप्रेरटी स्टेज (उम्र 8 से 11 वर्ष) –
- इसमें 3 वर्ष शिक्षा दी जाती है।
- इस स्टेज में कक्षा 3 से 5 तक विद्यार्थियों को शामिल किया गया है, जिनकी उम्र 8 से 11 वर्ष के बीच हो सकती है।
- इस कक्षाओं के छात्र अपनी मातृभाषा तथा स्थानीय भाषा में भी पढ़ाई कर सकते हैं।
- इसके पाठ्यक्रम में पढ़ना, लिखना, बोलना, कला, शारीरिक शिक्षा, भाषा, गणित व विज्ञान शामिल हैं।
- नई शिक्षा नीति के तहत ये कदम इसी सोच के लिए उठाया गया है कि अपनी भाषा में ज्ञान अर्जित करना ज्यादा रोचक व सरल होता है।
(3) मिडिल स्कूल स्टेज (उम्र 11 से 14 वर्ष) –
- इस स्टेज में कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को शामिल किया गया है जिनकी आयु 11 से 14 वर्ष के बीच हो सकती है।
- इसमें विषय अवधारणाओं को सीखना व पाठ्यक्रम में अमूर्त अवधारणा, विज्ञानं, गणित, कला, खेल, सामाजिक विज्ञान, मानविकी व व्यावसायिक विषय होंगे।
- इस कक्षा से कम्प्यूटर ज्ञान और कोडिंग की जानकारी दी जाने लगेगी।
- सभी को आवश्यक रूप से रुचि के अनुसार व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
- इस चरण में बच्चों को बाकी सब्जेक्ट्स के साथ कोई भी एक भारतीय भाषा (जैसे क्षेत्रीय भाषा) का भी आवश्यक रूप से ज्ञान दिया जाएगा।
(4) हाई स्कूल/सेकेंडरी स्टेज (उम्र 14 से 18 वर्ष) –
- इस स्टेच में कक्षा 9 से 12 (पहला फेज कक्षा 9 से 10 और दूसरा फेज कक्षा 11 से 12) तक के विद्यार्थियों को शामिल किया गया है जिनकी आयु 14 से 18 वर्ष तक हो।
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार अब कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को सेमेस्टर वाइज परीक्षा देनी पड़ेगी जबकि पहले परीक्षा सालभर में एक बार होती थी।
- इसके पाठ्यक्रम में गहराई में आलोचनात्मक सोच, जीवन आकांक्षा पर ध्यान न विषय चुनाव का लचीलापन होगा।
- नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों को आर्ट्स, साइन्स और कॉमर्स में से किसी एक विषय को ही पढ़ने की बाध्यता खत्म कर दी गई है।
- अब छात्र चाहे तो साइन्स, कॉमर्स के विषय के साथ आर्ट्स के विषय भी ले सकता है।
विशेष :
- राजस्थान में 20 अक्टूबर 2022 को फाउंडेशन स्टेज का कार्यक्रम NCF-FS के तहत शुरू कर दिया गया हैं।
- विद्यार्थियों के समग्र विकास पर बल देना।
- कोर्स चुनाव पर बल देना – सेमेस्टर के माध्यम से पढ़ाना न सभी विषयों का ज्ञान देना।
- बहुभाषावाद और भाषा की शक्ति विकसित करना।
- योगात्मक आकलन के स्थान पर रचनात्मक आकलन को बढ़ावा देना।
- राष्ट्रीय आकलन केंद्र द्वारा 360° प्रोग्रेस कार्ड बनाना।
- राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र परख (PARAKH Performance Assessment Review and Analysis of Knowledge for Holistic Development) समय निकाल के लिए ज्ञान का प्रदर्शन, मूल्यांकन, समीक्षा और विश्लेषण।
- प्रतिभाशाली बच्चों के लिए संवर्धन सामग्री, विभिन्न प्रोजेक्ट सर्कल ओलंपियाई प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
अध्याय 5 – शिक्षक से संबंधित –
- वर्ष 2030 तक शिक्षण के लिए न्यूनतम योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत बीएड डिग्री होगी ।
- प्रत्येक शिक्षक को प्रतिवर्ष लगभग 50 घण्टे का सतत व्यवसायिक विकास (CPD) में हिस्सा लेना होगा|
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सतत व्यावसायिक विकास CPD (Continuous Professional Development) क्या है?
सतत व्यावसायिक विकास (CPD) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षकों और स्कूल नेतृत्व के लिए एक प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य शिक्षकों को निरंतर सीखने और नए कौशल विकसित करने के अवसर प्रदान करना है, ताकि वे बदलते समय, तकनीकी उन्नति, और छात्रों की विविध आवश्यकताओं के अनुरूप प्रभावी ढंग से शिक्षा दे सकें।
- 4 वर्षीय एकीकृत B.Ed में ग्रामीण क्षेत्रों को मेरिट आधारित छात्रवृत्ति दी जाएगी।
- किसी विशेष परिस्थिति में ही शिक्षा ऑनलाइन शॉल आधारित स्थानांतरण होगा।
- शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को विस्तृत व मजबूत किया जाएगा तथा थर्ड ग्रेड, सेकंड ग्रेड और फर्स्ट ग्रेड में भी लागू किया जाएगा।
- साथ ही साक्षात्कार व कक्षा में पढ़ने का प्रदर्शन व स्थानीय भाषा के ज्ञान का आकलन किया जाएगा।
- शिक्षकों की भर्ती के लिए स्कूल परिसर की स्थापना की जाएगी।
- शिक्षकों को गैर शिक्षण गतिविधियों से मुक्त किया जाएगा।
- शिक्षक अपने तरीके से पढ़ सकता है।
- शिक्षकों के कैरियर मैनेजमेंट प्रोग्रेस (CMP) हेतु उनकी पदोन्नति व वेतन वृद्धि की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों के कैरियर प्रबंधन प्रगति CMP (Career Management and Progress) क्या है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कैरियर मैनेजमेंट और प्रगति (Career Management and Progress – CMP) शिक्षकों के लिए पेशेवर विकास, करियर उन्नति, और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य शिक्षकों को प्रेरित करना, उनकी पेशेवर क्षमताओं को बढ़ाना और शिक्षा प्रणाली में उनकी भूमिका को सशक्त बनाना है।
- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ’अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2021 का विकास किया जायेगा।
- संविदा शिक्षक रखने की बजाय नियमित शिक्षक भर्ती करने पर जोर दिया।
- NCTE द्वारा NCERT के परामर्श से एक नवीन अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFTE) तथा नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स फॉर टीचर्स (NPST) तैयार किया जाएगा।
- शिक्षकों के लिए ’नेशनल मेंटरिग प्लान’ बनाया गया है। इससे शिक्षकों का उन्नयन किया जायेगा।
- प्रत्येक स्कूल में शिक्षक छात्रों का अनुपात (PTR 30:1 से कम हो तथा सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित बच्चों की अधिकता वाले छात्रों के स्कूलों में यह अनुपात 25: 1 से कम हो।
- शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा तथा पदोन्नति भी अब योग्यता आधारित होगी।
- शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा वर्ष 2022 तक राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (NPST) तैयार किया जाएगा।
- ECCE शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए NCERT द्वारा 6 माह का डिप्लोमा कार्यक्रम कराया जाएगा।
अध्याय 6 (समतामूलक और समावेशी) –
- NEP 2020 में यह सिफारिश की गई है कि शैक्षिक रूप से सामाजिक व आर्थिक रूप से वंचित बड़ी आबादी वाले कुछ क्षेत्रों की विशेष शिक्षा क्षेत्र (Special Education Zone SEZ) घोषित किया जाना चाहिए।
- शिक्षा सभी के लिए अधिगम सामाजिक व आर्थिक रूप से वंचित समूह तक शिक्षा देने के लिए परिवहन, निःशुल्क आवास तथा सहायक उपकरण उपलब्ध करवाना उद्देश्य हैं।
- केंद्र सरकार सभी लड़कियों में ट्रांसजेंडर छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु जेंडर समावेशी निधि का गठन करेगी।
विशेष :
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में जेंडर समावेशी निधि GIF (Gender Inclusion Fund) क्या है?
जेंडर समावेशी निधि (Gender Inclusion Fund) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका उद्देश्य लड़कियों और अन्य वंचित वर्गों को शिक्षा के सभी स्तरों पर सशक्त और समान अवसर प्रदान करना है। यह निधि शिक्षा में लैंगिक असमानता को कम करने और लड़कियों, ट्रांसजेंडर छात्रों, और सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए वित्तीय और संरचनात्मक सहायता प्रदान करती है।
अध्याय 7 (स्कूल परिसर की स्थापना) –
- राज्य व केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों के द्वारा 2025 तक स्कूलों के समूह बनाकर स्कूल परिसर बनाकर 5 से 10 किलोमीटर के दायरे में एक माध्यमिक विद्यालय होगा जिसमें आसपास के सभी छोटे विद्यालय में आंगनवाड़ी केंद्र शामिल होंगे।
- इसका सर्वप्रथम सुझाव कोठारी शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा दिया गया था, लेकिन लागू नहीं किया गया।
- इसका नेतृत्व CDEO व CBEO करेंगे।
अध्याय 8 (स्कूल शिक्षा के लिए मानक निर्धारण और प्रमाणन) –
- सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के सेवा प्रावधान व शैक्षिक संचालन की जिम्मेदारी स्कूल शिक्षा निदेशालय की होगी।
- राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा स्कूल स्टेट स्टैंडर्ड अथॉरिटी (SSSA) की स्थापना की जाए जो न्यूनतम व्यावसायिक म गुणवता मानक का निर्धारण करें।
- SCERT सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन तथा प्रत्यायन फ्रेमवर्क (SQAAF- State Quality Assessment and Accreditation Framework) विकसित करेगा।
- राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण बनाया जाएगा जिसके द्वारा बनाए गए मानकों का पालन सभी विद्यालयों को करना होगा।
- राज्य में अकादमी मानक व पाठ्यक्रम सहित शैक्षणिक मामले RSCRT के नेतृत्व में होंगे।
नई शिक्षा नीति 2020 के अंतिम प्रारूप में शामिल नई बातें – - कक्षा 1 से 12 के छात्रों को महीने में 10 दिन बस्ता नहीं लाना होगा।
- कक्षा एक में दो के विद्यार्थियों के लिए क्लास वर्क के लिए एक नोटबुक तथा कक्षा तीन से पांच के लिए दो नोटबुक रखनी होंगी।
- नवीन शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला पहला राज्य कर्नाटक तथा दूसरा राज्य मध्य प्रदेश हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: मुख्य विशेषताएं
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की विशेषताएं : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य से बनाई गई है। यह नीति स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, हर स्तर पर व्यापक बदलाव और सुधार का प्रस्ताव करती है। इसकी विशेषताएं इसे समावेशी, लचीला, और 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप बनाती हैं।
1. शिक्षा की संरचना में बदलाव – पुरानी शिक्षा नीति के स्थान पर 5+3+3+4 संरचना को लागू किया गया है। इसमें फाउंडेशनल, प्रिपरेटरी, मिडिल और सेकेंडरी स्टेज को शामिल किया गया है।
2. उच्च शिक्षा में सुधार – उच्च शिक्षा में छात्र अपनी पढ़ाई को लगातार जारी रख सकता है। छात्रों को 3 साल के स्नातक पाठ्यक्रम के विकल्प दिए गए है। छात्र द्वारा किसी कारणवश बीच में पढ़ाई छोड़ने पर से पुनः प्रवेश और निकास का विकल्प मिलेगा और साथ ही सर्टिफिकेट (1 साल), डिप्लोमा (2 साल) और डिग्री (3 साल) प्रदान की जायेगी। इस प्रकार वो अपनी शिक्षा को बहुत सुनिश्चित और प्रभावी तरीके से पूरा कर सकते है।
3. डिजिटल शिक्षा – छात्रों को ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसके लिए विशेष ई-लर्निंग और डिटिजल संसाधन का उपयोग किया जाएगा।
4. शिक्षकों का प्रशिक्षण एवं विकास – शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि वे अपने शिक्षण में सुधार कर सकें। इसके अतिरिक्त शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा और तकनीकी साधनों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। श्रेेष्ठ शिक्षकों को प्रोत्साहन और पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे।
5. बच्चों का कौशल विकास – बच्चों को किताबों का ज्ञान देने के साथ-साथ उनमें सोचने-समझने, विश्लेषण करने और रचनात्मकता करने की क्षमता की विकसित की जाती है।
6. मल्टी-डिसिप्लिनरी शिक्षा – बच्चों को प्रत्येक क्षेत्र में उनकी योग्यता के अनुसार कुशल बनाया गया है। इस शिक्षा के अंतर्गत कला, विज्ञान, खेल, व्यावसायिक शिक्षा को शामिल किया गया है। विद्यार्थी अपने रुचि के अनुसार कोई भी विषय को चुन सकता है।
7. मातृभाषा में पढ़ाई – कक्षा 5 तक शिक्षा मातृभाषा,स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में दी जाती है। जिससे बच्चे ज्यादा बेहतरीन तरीके से समझ व सीख सकते है।
8. व्यावसायिक शिक्षा का समावेश – कक्षा 6 से बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जायेगी। उनको इंटर्नशिप और प्रैक्टिल करने के अवसर भी प्रदान किये जायेंगे। जिससे उनको नये अनुभव प्राप्त होंगे और उनके कौशल का विकास होगा।
9. शिक्षा में समावेशिता – इस नीति के अंतर्गत सभी को समान रूप से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। जाति, धर्म, पंथ, लिंग और स्थान को लेकर किसी भी छात्र के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा। इसके अतिरिक्त कमजोर वर्गों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों और ग्रामीण इलाकों के छात्रों के लिए विशेष प्रयास किये जायेंगे। साथ ही शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता को भी बढ़ाया जायेगा।
10. पर्यावरण और नैतिक शिक्षा – छात्रों को नैतिक शिक्षा प्रदान करना। उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति आगाह करना।
11. वैश्विक स्तर पर आधारित शिक्षा – भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोले जायेंगे, ताकि भारतीय शिक्षा को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जा सके।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दोष
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दोष: हालांकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य से एक व्यापक और दूरदर्शी पहल है, लेकिन इसके कार्यान्वयन और प्रावधानों को लेकर कुछ चुनौतियां और आलोचनाएं भी हैं। ये दोष नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने में बाधा बन सकते हैं।
1. पाठ्यक्रम का व्यापक दायरा – नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत किताबों का पाठ्यक्रम बहुत बड़ा हो गया है। इसी कारण बच्चों पर पढ़ाई को बोझ बढ़ गया है। इसके अतिरिक्त पुराने पाठ्यक्रम को नये पाठ्यक्रम से बदलने में भी काफी समय लगेगा।
2. कार्यान्वयन में कठिनाई – नयी शिक्षा नीति 2020 के कई महत्त्वाकांक्षी प्रावधान को लागू करना एक चुनौती है। राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना कठिन समस्या है। सभी राज्य इस नीति को लागू करने से सहमत होने चाहिए। कई राज्यों में वित्तीय संसाधनों की कमी है, जिससे वहाँ के छात्र निर्धारित स्तर तक पहुंच नहीं सकते, जिससे इस नीति के लक्ष्य भी बाधित होंगे। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित होना भी जरूरी है।
3. डिजिटल संसाधनों की कमी – ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में इंटरनेट और डिजिटल संसाधनों की कमी होती है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्र के छात्र डिजिटल शिक्षा से वंचित रह जायेंगे और शहरी क्षेत्रों के छात्र डिजिटल शिक्षा प्राप्त करके अपनी गुणवत्ता में अधिक बढ़ोतरी कर लेंगे। जिससे ग्रामीण छात्रों और शहरी छात्रों के बीच शिक्षा की असमानता का स्तर बढ़ जायेगा।
4. मातृभाषा में शिक्षा की कठिनता – हमारे भारत देश में भाषायी विविधता है, जिससे प्रत्येक राज्य की भाषा के अनुसार शिक्षा देना कठिन है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक क्षेत्र की मातृभाषा के अनुरूप शिक्षा देने के लिए पर्याप्त किताबें और शिक्षक उपलब्ध कराना भी मुश्किल है।
5. विदेशी शिक्षा का नकारात्मक प्रभाव – भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोले जायेंगे तो इससे भारत की स्थानीय संस्थानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विदेशी शिक्षा का स्तर काफी महंगा होता है। इस महंगे स्तर की पहुंच के दायरे में ग्रामीण छात्र नहीं हो पाते। जिससे शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक असमानता बढ़ सकती है। विदेशी विश्वविद्यालयों की महंगी शिक्षा भारत की शिक्षा को भी महंगी बना देगी।
6. जटिलतापूर्ण मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम – स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम को लागू करना कठिन है, क्योंकि संस्थानों द्वारा इस सिस्टम को लागू करना एक जटिल कार्य हो सकता है।
7. शिक्षकों को नया प्रशिक्षण एक चुनौती – सभी शिक्षकों को नए तरीकों से पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह यह एक लंबी प्रक्रिया है। शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए एक सुनियोजित योजना की आवश्यकता है।
8. सामाजिक असमानता – ग्रामीण व वंचित वर्गों के छात्रों और शहरी छात्रों के स्तर को बराबर लाने के लिए एक सुनियोजित पहल की जरूरत है। ग्रामीण छात्रों को शिक्षा के उचित संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते। जिससे वह शहरी छात्रों से पिछड़ी अवस्था में आ जाते है और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती। जिससे ग्रामीण छात्रों और शहरी छात्रों के बीच काफी असमानता बढ़ जाती है।
NEP – 2020 के सुझावों पर राज्य की वर्तमान स्थिति –
1. SCF (स्टेट करिकुलम फ्रेमवर्क) का विकास – RSCERT उदयपुर द्वारा 4 SCF (SCFECCE, SCFSE, SCFTE तभा SCFAE) के विकास हेतु राज्य की सात डाइट्स (अलबर भरतपुर, जोधपुर, बीकानेर, राजसमंद, टोंक तथा कोटा) को DLC के लिए प्राधिकृत किया गया है। इन चार प्रकार के SCP हेतु राजस्थान सरकार द्वारा तीन स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया है।
2. स्कूली शिक्षा से पहले बच्चों को तैयार करने हेतु RSCERT द्वारा “स्कूल रेजनेस कार्यक्रम” तैयार किया गया।
3. एकीकृत बाल विकास सेवाएं (ICDS) के तहत 3 से 4 वर्ष के लिए ‘किलकारी’, 4 से 5 वर्ष के लिए ‘उमंग’ तथा 5 से 6 वर्ष के लिए ‘तरंग’ नाम वर्क बुक्स बनाई गई हैं।
4. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में RSCERT की भूमिका –
- Leadership
- SQAAF
- Change Management Process
5. NEP – 2020 को राज्य में क्रियान्वयन करने हेतु राजस्थान सरकार प्रशासनिक सुधार (अनुच्छेद – 03) विभाग के द्वारा समूह है पर निम्नलिखित क्रियान्वयन समितियां का गठन किया गया –
समूह 1 – Early Childhood Care and Education & Foundation Literacy and Numeracy (ECCF & FLN) – 10 सदस्यीय समिति, इस समूह का अध्यक्ष राज्य परियोजना निदेशक, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद।
समूह 2 – Dropout Universal Access, Equitable and Inclusive Education, Effective Governance and Accreditation – 15 सदस्यीय समिति इस समूह का अध्यक्ष राज्य परियोजना निदेशक, राज्य शिक्षा परिषद।
समूह 3 – Curriculum Pedagogy. Vocational Education and Promotion of India Language Art and Culture – 11 सदस्यीय समिति, इस समूह का अध्यक्ष निदेशक RSCERT
समूह 4 – Teacher’s and Teacher Education – 9 सदस्यीय समिति, इस समूह का अध्यक्ष निदेशक RSCERT)
समूह 5 – Online and Digital Education – 8 सदस्यीय समिति इस समूह का अध्यक्ष निदेशक प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा, बीकानेर।
समूह 6 – Finance, Adult Education and Implementation – 11 सदस्यीय समिति, इस समूह का अध्यक्ष राज्य परियोजना निदेशक, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद।
विशेष :
- राजस्थान में महिला व बाल विकास मंत्रालय द्वारा 62022 आंगनबाड़ी या मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा हैं।
- ECCE को लागू कर दिया गया हैं।
- बुनियादी साक्षरता में संख्या ज्ञान अशा एक दो में 8436 विद्यालयों में ABL किट दिया गया है।
- राजस्थान में नई शिक्षा नीति के लिए एक सार्थक योजना के माध्यम से एक वर्ष की क्रियान्वयन योजना का निर्माण किया जाएगा।
- स्कूल परिसर की स्थापना की गई हैं।
- असेसमेंट सेल की स्थापना की गई हैं।
निष्कर्ष : National Education Policy 2020 in Hindi
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय शिक्षा प्रणाली के मौजूदा हालात, समाज और अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलावों, और वैश्विक शिक्षा की दिशा में चल रहे प्रयासों से प्रेरित है। यह नीति न केवल शिक्षा को आधुनिक युग के अनुरूप ढालती है, बल्कि भारतीय मूल्यों और परंपराओं को भी प्राथमिकता देती है। एनईपी 2020 भारत की शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, लचीला और रोजगारोन्मुख बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह छात्रों को उनकी प्रतिभा और रुचि के अनुसार पढ़ाई और कौशल विकसित करने का अवसर प्रदान करती है।
परीक्षापयोगी तथ्य(नई शिक्षा नीति 2020)
- नई शिक्षा नीति: 2020 जारी करने की तिथि 29 जुलाई 2020
- जारीकर्ता – मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
- नीति निर्माण समिति के अध्यक्ष – डॉ. के. कस्तूरीरंगन
- नई नीति के द्वारा प्रतिस्थापित नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 वर्ष 1968 और 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।
- मानव संशाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर ‘शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया गया है।
- नया शैक्षणिक और पाठ्यक्रम ढाँचा 5 + 3 +3 +4 मॉडल
- नया स्कूल पाठ्यक्रम संरचना 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 वर्ष की आयु यानि 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हैं।
- कक्षा 9 से ही विषय चुनने की आजादी होगी।
- कक्षा 5 तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षण कार्य करवाया जायेगा ।
- कक्षा 6 से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जायेंगें।
- नई शिक्षा नीति- 2020 के अनुसार शोध करने वाले छात्रों के लिए स्नातक डिग्री की अवधि को 4 वर्ष कर दिया गया है।
- स्नातक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई 3-4 वर्ष होगी।
- अब स्नातक एक वर्ष में प्रमाण पत्र,दो वर्ष पूरा ‘करने पर डिप्लोमा तीन वर्ष पूरा करने पर डिग्री और चार वर्ष पूरा करने पर शोध के साथ डिग्री मिलेगी
- नई शिक्षा नीति 2020 में एम.फिल को समाप्त कर दिया गया है ।
- अब 4 वर्षीय स्नातक के पश्चात P.H.D या डी. फिल के लिए प्रवेश ले सकते हैं।
- शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ का गठन किया जायेगा।
- स्कूलों से दूर हो रहे 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में लाया जायेगा।
- शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय को बढ़ाकर GDP के 6% के बराबर करना, जोकि वर्तमान में 4.43% है।
- वर्ष 2030 तक स्कूलों में 100 % नामांकन का लक्ष्य निर्धारित है।
- वर्ष 2035 तक उच्च्च शिक्षा में पंजीकरण 50 प्रतिशत करना।
- स्कूल मे बोर्ड की परीक्षा वार्षिक के स्थान पर सेमेस्टर के आधार पर होगी ।
- एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए ‘राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ‘रूपरेखा’ एनसीएफएसई, 2020-21 NCERT द्वारा विकसित की जायेगी।
- UGC, AICTC, NCTE को हटाकर Higher Education Commission of India का निर्माण किया जायेगा।
- छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिए मानक निर्धारक निकाय के रूप में परख (PARAKH) नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केन्द्र’ की स्थापना की जायेगी।
- ‘अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ की स्थापना होगी, जो शिक्षा के पश्चात नौकरी में भी लाभदायक होगी।
- शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जायेगा।
- सीखने, मूल्यांकन करने, योजना बनाने, प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर विचारों का मुक्त आदान-प्रदान करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (NETF) का निर्माण किया जायेगा।
- सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, इस नीति द्वारा पानी, फारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (IITI ) नामक राष्ट्रीय संस्था की स्थापना की जायेगी।
नीति का विजन
भारतीय मूल्यों से विकसित शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना, जो सभी को उच्चतर गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करे और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाकर एक जीवंत और न्यायसंगत ज्ञान समाज में बदलने के लिए प्रत्यक्ष रूप से। योगदान करे।
FAQs – NEP 2020 IN HINDI
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य क्या है?
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उद्देश्य शिक्षा की पहुंच, समानता, गुणवता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देता है।
- वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100 प्रतिशत नामांकन अनुपात प्राप्त करना है।
- 2025 तक कक्षा-3 तक के विद्यार्थियों को मूलभूत साक्षरता का ज्ञान सुनिश्चित किया जाना है।
- छात्रों को जरूरी कौशलों एवं ज्ञान से लैस करना और विज्ञान, टेक्नोलॉजी, अकादमिक क्षेत्र और इण्डस्ट्री में कुशल लोगों की कमी को दूर करते हुए देश को ज्ञान आधारित सुपर पॉवर के रूप में स्थापित करना है।
- शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करना।
- भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिए शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिए तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल देना।
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