मेवाङ प्रजामण्डल(Mewar Prajamandal): 24 अप्रैल, 1938 में मेवाङ प्रजामण्डल की स्थापना हुई। इस संस्था के प्रथम अध्यक्ष बलवंतसिंह मेहता और उपाध्यक्ष भूरेलाल बयां बनाये गये। नवम्बर, 1941 में मेवाङ प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन ’माणिक्य लाल वर्मा’ के सभापतित्व में उदयपुर की शाहपुरा हवेली में हुआ।
मेवाङ प्रजामण्डल – Mewar Prajamandal
स्थापना | 24 अप्रैल 1938 |
संस्थापक | माणिक्यलाल वर्मा |
अध्यक्ष | बलवंतसिंह मेहता |
उपाध्यक्ष | भूरेलाल बयां |
प्रथम अधिवेशन | नवम्बर, 1941 |
- बिजौलिया सत्याग्रह और बेगूं किसान आंदोलन की सफलता से प्रेरित होकर माणिक्य लाल वर्मा ने बलवंत सिंह मेहता, हीरालाल कोठारी, भूरेलाल बयां, रमेशचंद्र व्यास, भवानीशंकर वैध व अन्य से विचार विमर्श करके 24 अप्रैल, 1938 में मेवाङ प्रजामण्डल की स्थापना की।
- इस संस्था के प्रथम सभापति बलवंतसिंह मेहता और उपाध्यक्ष भूरेलाल बयां बनाये गये। माणिक्य लाल वर्मा इसके मंत्री बने।
- उदयपुर राज्य के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री धर्म नारायण ने इस संस्था को 11 मई, 1938 को गैर-कानूनी घोषित कर दिया और माणिक्य लाल वर्मा तथा रमेश चंद्र व्यास को शहर छोङ देने की आज्ञा दे दी। भूरेलाल बयां को सराङा किले में नजरबंद कर दिया गया।
- 4 अक्टूबर 1938 को विजयादशमी के दिन प्रजामण्डल ने सत्याग्रह करने का निश्चय किया और यह मांग की कि प्रजामण्डल को कानूनी संस्था माना जाये तथा माणिक्य लाल वर्मा को पुनः उदयपुर प्रवेश दिया जाए।
- माणिक्य लाल वर्मा ने मेवाङ से बाहर अजमेर से सत्याग्रह का संचालन किया। यहीं इन्होंने ‘मेवाङ का वर्तमान शासन’ नामक पुस्तक लिखकर मेवाङ प्रशासन को जनसाधारण के समक्ष रखा।
- आंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव नाथद्वारा में देखने को मिला। पुलिस ने नरेन्द्रपाल सिंह और प्रो. नारायण दास की गिरफ्तार कर लिया और भीङ पर लाठीचार्ज किया।
- प्रजामंडल आन्दोलन में नाथद्वारा की गंगाबाई ने सक्रिय भूमिका निभाई थी।
- गांधीजी ने ’हरिजन’ पत्र में इस अमानुषिक व्यवहार की बङी भर्त्सना की। 3 मार्च 1939 को महात्मा गाँधी ने मेवाङ प्रजामण्डल को सत्याग्रह स्थगित कर रचनात्मक कार्य करने की सलाह दी। इस पर सत्याग्रह स्थापित कर दिया।
- इसके बाद ही टी.राघवाचारी को मेवाङ का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
- नवम्बर, 1941 में मेवाङ प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन ’माणिक्य लाल वर्मा’ के सभापतित्व में उदयपुर की शाहपुरा हवेली में हुआ।
- इसका उद्घाटन झण्डा समिति के अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी ने किया।
- इस अधिवेशन के समय मेवाङ में हरिजनों की सेवा के लिए ’मेवाङ हरिजन सेवक संघ’ की स्थापना की गई और इसका कार्यभार फरवरी 1942 में ठक्कर बापा ने मोहनलाल सुखाङिया को सौंपा।
- मास्टर बलवंत सिंह मेहता को भील व आदिवासियों की सेवा का कार्य सौंपा।
- अगस्त, 1942 में महात्मा गाँधी का भारत छोङो आंदोलन सारे देश में व्याप्त था। मेवाङ प्रजामण्डल ने भी इस आंदोलन में भाग लिया।
- श्रीमती नारायणी देवी के नेतृत्व में 24 अगस्त 1942 को 7 महिलाओं के साथ उदयपुर शहर में सत्याग्रह किया। अंत में फरवरी 1944 को सभी लोगों को रिहा किया गया।
प्रजामंडल से जुडी महिलाएं – Rajasthan ke Prajamandal
नारायणी देवी | मेवाड़ प्रजामंडल |
महिमा देवी किंकर | मारवाड़ प्रजामंडल |
शारदा भार्गव | कोटा प्रजामंडल |
दुर्गावती शर्मा | जयपुर प्रजामंडल |
FAQs –
1. मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर – मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना 24 अप्रैल 1938 को बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में हुई थी।
2. मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना किसने की?
उत्तर – मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना माणिक्य लाल वर्मा ने की थी। इन्होने 24 अप्रैल, 1938 को उदयपुर में मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना की थी। इस प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता थे।
3. मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर – मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता थे। मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना माणिक्य लाल वर्मा ने की थी। इन्होने 24 अप्रैल, 1938 को उदयपुर में मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना की थी।
4. मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम उपाध्यक्ष कौन थे?
उत्तर – इस प्रजामंडल के प्रथम उपाध्यक्ष भूरेलाल बयांं थे। मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता थे।
5. मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अधिवेशन का अध्यक्ष कौन था?
उत्तर – नवम्बर, 1941 में मेवाङ प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन ’माणिक्य लाल वर्मा’ के अध्यक्षता में उदयपुर की शाहपुरा हवेली में हुआ।
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