सागड़ी प्रथा क्या थी?
उत्तर – सागड़ी प्रथा या बंधुआ मजदूरी जमींदारों, साहूकारों आदि द्वारा गरीब व जनजातीय लोगों को उधार दी गई। राशि के बदले उस व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य को अपने यहाँ घरेलू नौकर के रूप में रखा जाता है। उसे बहुत कम या बिल्कुल वेतन नहीं दिया जाता है तथा ब्याज बढ़ता रहता है। ऐसी दास हाली या चाकर कहलाते थे। जीवन भर वह उसके खेतों व घर पर काम करता रहता है, इसे सागड़ी प्रथा कहते हैं।
- राजस्थान सरकार ने इसे रोकने के लिए ‘राजस्थान सागड़ी प्रथा उन्मूलन अधिनियम, 1961’ पारित किया था।
- तत्पश्चात् राजस्थान सागड़ी प्रथा उन्मूलन (संशोधन) अध्यादेश 1975 लागू किया गया।