इल्तुतमिश कौन था ?

इल्तुतमिश कौन था ?

  • इल्तुतमिश (iltutmish) दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक था। इल्तुतमिश को ’सुल्तान-ए-आजम’, ’अमीर-उल-उमरा’, ’ईश्वर की भूमि का रक्षक’ तथा ’ईश्वर के सेवकों का सहायक’ आदि उपनामों से जाना जाता है।
  • इल्तुतमिश का शासनकाल 1210-1236 ई. तक माना जाता है।
  • कुतुबुद्दीन का दामाद व उत्तराधिकारी इल्तुतमिश इल्बारी तुर्क था।
  • मुहम्मद गोरी ने दिल्ली में ही इल्तुतमिश व तमगाज रूमी को एक लाख जीतल में खरीदा था।
  • ऐबक ने इल्तुतमिश को आरम्भ से ही सर-ए-जहाँदार (अंगरक्षकों का प्रधान) का पद दिया था। तदोपरान्त उसे बरन (बुलन्दशहर) का इक्ता प्रदान किया।
  • आर.पी. त्रिपाठी के अनुसार, कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायू का सूबेदार (गवर्नर) था।
  • आरामशाह की अयोग्यता के कारण ही दिल्ली के तुर्क अमीरों ने इल्तुतमिश को आमंत्रित किया।
  • 1210 ई. में आरामशाह को जूद के युद्ध में पराजित करके इल्तुतमिश दिल्ली का शासक बना।
  • इल्तुतमिश (iltutmish) ने सुल्तान के पद को वंशानुगत बनाया।
  • मुहम्मद गोरी ने 1206 ई. में खोखरों के विद्रोह के समय इल्तुतमिश की असाधारण योग्यता के कारण उसे दासता से मुक्त कर दिया, साथ ही उसे ’अमीरन-उल-उमरा’ की उपाधि प्रदान की गई।
  • इल्तुतमिश के समय अवध में पिर्धूं का विद्रोह हुआ था।
  • विरोध सरदारों को परास्त कर इल्तुतमिश ने अपने वफादार गुलाम अमीरों (सरदारों) की एक टुकड़ी रखी, जिसे ’तुर्कान-ए-चहलगनी’ या ’चालीसा’ (चालीस अमीरों का समूह) कहा जाता था।
  • इल्तुतमिश ने इक्ता संस्था का प्रयोग भारतीय समाज की सामन्तवादी व्यवस्था को समाप्त करने तथा साम्राज्य के दूरस्थ भागों को केन्द्र के साथ संयुक्त करने के एक साधन के रूप में किया।

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