जीणमाता का मंदिर कहाँ स्थित है ?
उत्तर – जीणमाता का मंदिर सीकर जिले में स्थित है।
- यह सीकर के चौहानों की कुलदेवी एवं शेखावाटी के मीणाओं की कुल देवी है।
- इन्हें ’मधुमक्खियों की देवी’ के नाम से जाना जाता है।
- यह घंघराय चौहान की पुत्री और हर्ष की बहिन थी।
- सभी देवी देवताओं में सबसे लंबा लोकगीत जीण माता का है। जिसे कनफटे जोगी डमरू एवं सारंगी वाद्ययंत्र के साथ करुण रस में गाते है।
- इनका लोकगीत ’चिरजा’ कहलाता है।
- जीण माता का मंदिर रैवासा ग्राम (सीकर) में है। इसका निर्माण पृथ्वीराज प्रथम के शासनकाल में राजा हट्टड़ ने 1064 ई. में करवाया था। इनका मेला चैत्र व आश्विन नवरात्रों में भरता है।
- इनके मंदिर में इनकी आदमकद अष्टभुजी प्रतिमा है, जिसके सामने घी व तेल के दो दीपक अखण्ड रूप से सालों से प्रज्ज्वलित है। दीपक के लिए घी केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है। मंदिर में दीपकों की ज्योतियों की व्यवस्था दिल्ली के चौहान शासकों ने शुरू की थी।
- यहाँ ढाई प्याले शराब चढ़ती है तथा बकरे के कान की बलि दी जाती है।