रामसागर वन्यजीव अभयारण्य कहाँ स्थित है ?

रामसागर वन्यजीव अभयारण्य कहाँ स्थित है ? रामसागर वन्यजीव अभयारण्य धौलपुर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 7 नवम्बर, 1955 में की गई। इसका कुल क्षेत्रफल 34.4 वर्ग किलोमीटर है। इसे वर्ष 1955 वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। यहाँ पर अनेक वन्य जीव – सांभर, मोर, जंगली सूअर, नीलगाय चीतल और तीतर आदि देखने … Read more

राजस्थान की महिलाएँ किस अवसर पर लहरिया भांत की ओढ़नी पहनती है ?

राजस्थान की महिलाएँ किस अवसर पर लहरिया भांत की ओढ़नी पहनती है ? राजस्थान की महिलाएँ तीज त्यौहार के अवसर पर लहरिया भांत की ओढ़नी पहनती है। यह ओढ़नी बिंदियों से निर्मित लहरनुमा आकृति में बनाई जाती है, इसके किनारे व पल्लू ज्वार-भांत जैसे होते है। राजस्थान की महिलाएँ श्रावण महीने के बीज की तिथि … Read more

लोकदेवता गोगाजी के पिताजी का क्या नाम था ?

लोकदेवता गोगाजी के पिताजी का क्या नाम था ? लोकदेवता गोगाजी के पिताजी का नाम जेवरसिंह (जीवराज चौहान) था। इनके पिता जेवरसिंह राजस्थान के ददरेवा (चुरू) के चैहान वंश के राजपूत शासक थे। लोकदेवता गोगाजी को साँपों के देवता, जाहरपीर, जीवित पीर, गोगापीर और नागराज आदि उपनामों से जाना जाता है।

मेवाड़ में भीलों द्वारा किस नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है ?

मेवाड़ में भीलों द्वारा किस नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है ? मेवाड़ क्षेत्र में भील जनजाति के द्वारा किया जाने वाला प्रसिद्ध नृत्य गवरी नृत्य है। इसे ’राई नृत्य’ के नाम से भी जाना जाता है। यह नृत्य भीलों द्वारा भाद्रपद माह के प्रारंभ से आश्विन शुक्ला एकादशी तक गवरी उत्सव पर किया जाने … Read more

कौनसे नृत्य में महिलाएँ सिर पर सात या नौ पीतल के पात्र रखकर नृत्य करती है ?

कौनसे नृत्य में महिलाएँ सिर पर सात या नौ पीतल के पात्र रखकर नृत्य करती है ? भवाई नृत्य में महिलाएँ सिर पर सिर पर सात या नौ पीतल के पात्र रखकर नृत्य करती है। भवाई जाति का चमत्कारिता एवं करतब के लिए प्रसिद्ध यह नृत्य उदयपुर संभाग व बांसवाड़ा संभाग में अधिक प्रचलित है। … Read more

राजस्थान में त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर कहाँ स्थित है?

राजस्थान में त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर कहाँ स्थित है? तलवाड़ा(बाँसवाड़ा) का त्रिपुरा सुन्दरी का मंदिर तलवाड़ा कस्बे के पास स्थित भव्य प्राचीन त्रिपुरा सुन्दरी का मंदिर है जिसमें सिंह पर सवार भगवती की 18 भुजा की मूर्ति है। मूर्ति की भुजाओं में 18 प्रकार के आयुध हैं। पैरों के नीचे प्राचीनकालीन श्रीयंत्र बना हुआ है। … Read more