Pashu Paricharak Exam Question Paper 2024 – Answers Key | PDF | Solution, 1st & 2nd Shift

Pashu Paricharak Exam Question Paper 2024: Rajasthan Pashu Paricharak exam was conducted from 1st to 3rd December 2024. You can download these papers from here. The official answer key will be released by RSMSSB a few days after the paper. Here you will get all shift paper PDFs, which you can download.

Pashu Paricharak Exam Question Paper 2024

RSMSSB Pashu Parcharak Question Paper 2024: Rajasthan Subordinate and Ministerial Services Selection Board (RSMSSB) conducted the Pashu Parcharak exam on 1st, 2nd & 3rd December 2024. Candidates can download Rajasthan Pashu Parcharak Exam Paper 1st & 2nd Shift PDF in this article.

Pashu Paricharak Bharti Question Paper 2024

Exam Board Rajasthan Staff Selection Board (RSMSSB)
Exam Name Rajasthan Pashu Paricharak Exam 2024
Exam Date 1, 2, 3 December, 2024
Exam Phase Two Phase (Morning&Evening Shift)
Final Answer key issue date 15-12-2024
Exam Mode Offline
Selection Process Written Test & Document Verification
Question paper language Hindi & English
Question paper type Objective
Total Question 150
Maximum Marks 300
Negative Marking Yes
Time 03:00 Hours
Official Website https://rsmssb.rajasthan.gov.in/

RSMSSB Pashu Paricharak Question Paper 2024

Rsmssb Pashu Paricharak Question Paper 3 December 2nd Shift

Rsmssb Pashu Paricharak Question Paper 3 December 1st Shift

Rsmssb Pashu Paricharak Question Paper 2 December 2nd Shift

Rajasthan Pashu Paricharak Question Paper 2 December 1st Shift

RSMSSB Pashu Paricharak Question Paper 1 December 1st Shift

Rajasthan Pashu Paricharak Question Paper 1 December 2nd Shift

Rajasthan Subordinate and Ministerial Services Selection Board (RSMSSB) conducted Rajasthan pashu paricharak exam on 1st, 2nd and 3rd December 2024 from 9 am to 12 noon and 3 pm to 6 pm. Question papers of all shifts of all days are given below in this article.

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पशु परिचर परीक्षा 2024 में आए प्रमुख राजस्थान जीके के प्रश्न :

किस वर्ष में महाराणा भूपालसिंह ने मेवाड़ गद्दी संभाली ?

  • महाराणा भूपालसिंह ने 1930 में मेवाड़ की गद्दी संभाली।
  • महाराणा भूपाल सिंह ने 1930 से लेकर 1955 ई. तक मेवाड़ में शासन किया।
  • यह मेवाड़ के सिसोदिया वंश के अंतिम शासक थे।
  • महाराणा भूपाल सिंह ने अपनी राजनैतिक कुशलता और सरल व्यवहार से मेवाड़ और बूंदी राज्य के बीच 1930- 47 तक रही शत्रुता को खत्म कर, उनमें मैत्री की स्थापना की।
  • राजस्थान के एकीकरण के समय भूपालसिंह मेवाड़ के महाराणा थे।
  • राजस्थान के एकीकरण के दौरान इन्हें 18 अप्रैल, 1948 ई. को राजस्थान का महाराज प्रमुख बनाया गया। 1955 में इनकी ’महाराज प्रमुख’ के पद पर रहते हुए मृत्यु हो गई।

राजस्थान में त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर किस किले में स्थित है ?

  • राजस्थान में त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर सवाई माधोपुर जिले में रणथम्भौर दुर्ग में स्थित है।
  • यह भारत का सबसे प्राचीन गणेश मंदिर व एकमात्र त्रिनेत्र गणेश मंदिर है।
  • इस मंदिर में प्रतिमा का सिर्फ मुख है।
  • यहाँ भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मेला भरता है।
  • पूर्वी राजस्थान में मांगलिक अवसरों व विवाह का प्रथम निमंत्रण इन्हीं को भेजने की परम्परा है।

डाॅ. ग्रियर्सन ने राजस्थानी बोलियों को कितने समूह में विभाजित किया ?

  • जाॅर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने राजस्थानी बोलियों को 5 समूह में विभाजित किया।
    1. पश्चिमी राजस्थानी – मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढ़टकी, बीकानेरी, बांगड़ी, शेखावाटी, देवड़ावाटी, गोड़वाड़ी, खैराड़ी।
    2. दक्षिणी राजस्थानी – निमाड़ी
    3. उत्तरी पूर्वी राजस्थानी – मेवाती, अहीरवाटी
    4. मध्य पूर्वी राजस्थानी – ढूँढाड़ी, तोरावाटी, राजावाटी, अजमेरी, जैपुरी, हाड़ौती, किशनगढ़ी, काठेड़ी, नागरचोल।
    5. दक्षिणी पूर्वी राजस्थानी – रांगड़ी व सौंधवाड़ी।
  • राजस्थानी बोलियों का सर्वप्रथम वर्गीकरण एवं इन्हें प्रकाश में लाने का कार्य जाॅर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने 1912 में अपनी पुस्तक ’लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ़ इण्डिया’ में किया।

नगाड़े के साथ रसिया गायन किस नृत्य से संबंधित है ?

  • नगाड़े के साथ रसिया गायन ’बम नृत्य’ से संबंधित है।
  • फाल्गुन माह में नयी फसल आने के उपलक्ष में नगाड़ा वाद्ययंत्र की धुन के साथ रसिया गीत गाते हुए पुरूष कलाकारों द्वारा गाँव की चौपाल पर किया जाता है।
  • बम वाद्ययंत्र व रसिया गीत के कारण ’बमरसिया’ कहलाता है।
  • बमरसिया डीग, भरतपुर व अलवर क्षेत्र का प्रसिद्ध नृत्य है। यह मुख्य रूप से भरतपुर का प्रसिद्ध नृत्य है।
  • इसमें एक बड़े नगाड़े (करीब 3 फिट ऊँचा तथा 3-4 फिट व्यास वाला नगाड़ा, जो बम कहलाता है) को खड़े होकर दोनों हाथों से दो मोटे डण्डे लेकर बजाया जाता है।

कैलादेवी को किनका अवतार माना गया है ?

  • कैला देवी को आदि शक्ति महायोगिनी माया का अवतार माना जाता है।
  • यह यादव वंश की कुलदेवी/करौली राजवंश की कुलदेवी है।
  • यहाँ चैत्र शुक्ल अष्टमी को लक्खी मेला भरता है।
  • त्रिकुट पर्वत की घाटी में इनका भव्य मंदिर बना है।
  • कैलादेवी की आराधना में हनुमान जी को लंगूर मानकर लांगूरिया गीत गाया जाता है।
  • जनश्रुति यह भी है कि कैला देवी, देवकी की पुत्री है जिसका कंस ने वध कर दिया था, यही योगमाया जब पृथ्वी पर अवतरित हुई तो कैलादेवी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

’हमेल’ आभूषण राजस्थानी महिलाओं द्वारा कहाँ पहना जाता है ?

  • ’हमेल’ आभूषण राजस्थानी महिलाओं द्वारा गले में पहने जाने वाला आभूषण है।
  • हमेल आभूषण सोने से बनाया जाने वाला हारनुमा आभूषण है।
  • यह शेखावाटी में बहुत लोकप्रिय है।
  • यह छाती का बड़ा विचित्र एवं भारी-भरकम आभूषण होता है।
  • इसके एकदम बीच में जड़ाउदार एक गोल टिकड़ा तथा इधर-उधर सुन्दर पत्तियां लगी रहती हैं।

महिला संत दयाबाई किसकी शिष्या थी ?

  • महिला संत दयाबाई संत चरणदास जी की शिष्या थी।
  • दयाबाई की प्रमुख रचनाएँ ’दया बोध’ और ’विनय मालिका’ है।
  • दयाबाई और उनकी बहन सहजोबाई दोनों संत चरणदास जी को अपना गुरु मानती थी।
  • इनका जन्म मेवात के डेहरा नामक गाँव में हुआ।
  • दया बाई ने सर्वस्व समर्पण वैराग्य को अपनाया था।

महाराणा प्रताप ने राजा के रूप में राजगद्दी कब संभाली ?

  • महाराणा प्रताप ने राजा के रूप में 28 फरवरी 1572 को राजगद्दी संभाली।
  • सलूंबर के रावत कृष्णदास व देवगढ़ के रावत सांगा ने प्रमुख सामन्तों की सहमति से जगमाल को हटाकर 28 फरवरी 1572 को ही गोगुंदा में ’प्रताप का राज्याभिषेक’ कर दिया।
  • महाराणा प्रताप का दूसरी बार राज्याभिषेक विधिवत रूप से कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ।
  • महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ई. (ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया, विक्रम संवत् 1597 रविवार) में को कुम्भलगढ़ किले में कटारगढ़ के पास जूनी कचहरी में हुआ।
  • महाराणा प्रताप के बचपन का नाम ’कीका’ थाा।
  • महाराणा प्रताप और अकबर के बीच 18 जून 1576 के बीच ’हल्दीघाटी का युद्ध’ हुआ।

नवजात पुत्री की माँ को किस रंग का पोमचा दिया जाता है ?

  • नवजात पुत्री के जन्म पर माँ को गुलाबी रंग का पोमचा दिया जाता है।
  • नवजात पुत्र के जन्म पर माँ को पीला पोमचा दिया जाता है।
  • यह महिलाओं की एक प्रकार की ओढ़नी है।
  • इस ओढ़नी में पीले रंग की पृष्ठभूमि पर गुलाबी या लाल रंग के कमल रूप आकार होते है। पोमचा का संबंध ’पद्म या कमल’ से है अर्थात् इसमें कमल के फूल बने हाते है।

राजस्थान के किस प्रसिद्ध व्यक्तित्व को ’बाणासुर का शहीद’ कहा जाता है ?

  • राजस्थान के मेजर शैतान सिंह को ’बाणासुर का शहीद’ कहा जाता है।
  • मेजर शैतानसिंह का जन्म 1 सितम्बर, 11924 को फलौदी जिले के बाणासुर गाँव में हुआ था।
  • 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान 18 नवम्बर, 1962 को जम्मू-कश्मीर के रेजांग ला पोस्ट पर चीनी सेना से वीरता से लड़ते हुए शहीद हो गए।
  • भारत सरकार ने 1963 में इन्हें मरणोपरांत ’परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया।

राजस्थान के किस किले को ’विश्व का दूसरा जिब्राल्टर’ कहते है ?

  • राजस्थान के अजमेर के तारागढ़ किले को ’विश्व का दूसरा जिब्राल्टर’ कहा जाता है।
  • अजमेर के तारागढ़ किले को गढ़बिठली, पूर्व का दूसरा जिब्राल्टर, अजयमेरू, राजस्थान का हृदय, राजपूताने की कुंजी, अरावली का अरमान आदि उपनामों से भी जाना जाता है।
  • इसका निर्माण चौहान शासक अजयराज ने 1113 ई. में बिठली नामक पहाड़ी पर करवाया था।
  • यह राजस्थान के किलों में सर्वाधिक देशी आक्रमण झेलने वाला किला है।
  • मेवाड़ राजकुमार पृथ्वीराज ने 1505 ई. में महल बनवाकर अपनी पत्नी ताराबाई के नाम पर ’तारागढ़’ नाम रखा।

8वीं शताब्दी में बप्पा रावल द्वारा किस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण करवाया गया ?

  • 8वीं शताब्दी में बप्पा रावल ने उदयपुर के प्रसिद्ध एकलिंगजी मंदिर का निर्माण करवाया।
  • एकलिंग जी मेवाड़ के महाराणाओं के इष्टदेव/गुहिल वंश के कुल देवता है।
  • यहाँ एकलिंग जी की काले पत्थर की चैमुखा मूर्ति स्थापित है।
  • महाराणा मोकल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। इसे वर्तमान स्वरूप महाराणा रायमल ने दिया था।
  • यहाँ शिवरात्रि को बड़ा मेला भरता है।

अष्टभुजी देवी जीण माता किस देवी का अवतार मानी जाती है ?

  • अष्टभुजी देवी जीण माता को मां दुर्गा का अवतार माना जाता है।
  • जीण माता को ’शक्ति की देवी’ भी कहा जाता है।
  • यह सीकर के चौहानों की कुलदेवी है।
  • इनका मेला चैत्र व आश्विन नवरात्रों में भरता है।
  • राजस्थान के लोकदेवता व लोकदेवियों में सबसे लम्बा गीत जीण माता का है, जिसे कनफटे जोगी डमरू एवं सारंगी वाद्ययंत्र के साथ करुण रस में गाते है।
  • इनके मंदिर में ढाई प्याले शराब चढ़ती है तथा बकरे के कान की बलि दी जाती है।

जयपुर में स्थित हवामहल किस वास्तुकार द्वारा डिजाईन किया गया था ?

  • जयपुर में स्थित हवामहल वास्तुकार लालचंद उस्ताद द्वारा डिजाईन किया गया था।
  • हवामहल का निर्माण 1799 ई. में जयपुर शासक सवाई प्रतापसिंह ने करवाया था।
  • लाल व गुलाबी बलुआ पत्थरों से निर्मित यह भवन ’भगवान कृष्ण के मुकुट के समान’ नजर आता है।
  • यह हवामहल पाँच मंजिला है और इसमें कुल 953 खिड़कियाँ है।
  • यह इमारत दुनिया में किसी भी नींव के बिना बनी सबसे ऊँची इमारत है।

’लोकगीत जनता की भाषा है, लोकगीत हमारी संस्कृति के पहरेदार है।’’ – यह पंक्तियों किसके द्वारा कही गयी ?

  • यह पंक्तियाँ महात्मा गांधी द्वारा कही गयी।
  • लोक-संगीत का मूल आधार लोकगीत है।
  • राजस्थान में लोकगीतों को विभिन्न अवसरों पर सामूहिक रूप से गाया जाता रहा है।

चूलिया जलप्रपात कहाँ है ?

  • चूलिया जलप्रपात भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) में है।
  • यह जलप्रपात चम्बल नदी पर है।
  • यह राजस्थान का सबसे ऊँचा जलप्रपात है।
  • इसकी कुल ऊँचाई 18 मीटर है।

बूंदी में तारागढ़ किला किसके द्वारा बनवाया गया ?

  • बूंदी में तारागढ़ किला 1354 ई. में राव बरसिंह हाड़ा द्वारा बनवाया गया।
  • इसका निर्माण मेवाड़, मालवा व गुजरात के शासकों के शासकों के हमले से बचने के लिए करवाया गया था।
  • ऊँचे पर्वत पर स्थित होने व धरती से आकाश के तारे के समान दिखाई पड़ने के कारण यह किला ’तारागढ़’ कहलाया। दुर्ग की
  • बाहरी प्राचीर का निर्माण 18वीं शताब्दी में दलेलसिंह ने करवाया था।
  • यह दुर्ग ’गिरि दुर्ग’ का उत्कृष्ट उदाहरण है।

निष्कलंक सम्प्रदाय की स्थापना किसने की ?

  • निष्कलंक सम्प्रदाय की स्थापना संत मावजी ने की।
  • संत मावजी को ’वागड़ का धणी’ कहा जाता है।
  • संत मावजी ने मेवाड़, वागड़ व आस-पास के क्षेत्र में भीलों में सामाजिक सुधार के लिए ’लसाड़िया आन्दोलन’ चलाया था।
  • 1727 ई. में माघ शुक्ल एकादशी के दिन इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई, उसी दिन इन्होंने बेणेश्वर धाम की स्थापना की।

अमृतादेवी कृष्ण मृग अभयारण्य कहाँ स्थित है ?

  • अमृतादेवी कृष्ण मृग अभयारण्य जोधपुर में खेजड़ली गांव के आस-पास स्थित है।
  • यह अभयारण्य कृष्ण मृगों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है।
  • जोधपुर जिले के खेजड़ली में हिरण प्रजाति लुप्त हो रही है। इसलिए यह अभयारण्य 500 काले हिरणों के संरक्षण के लिए 50 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है।

सोरठा छंद में गद्य-पद्य किस राजस्थानी शैली में लिखे गये ?

  • सोरठा छंद में गद्य-पद्य ’वात’ राजस्थानी शैली में लिखे गये।
  • कलात्मक गद्य के ’सिलोका’ और ’वर्णक’ रूपों से अधिक राजस्थानी ’वात’ साहित्य रूप का महत्त्व है।
  • ऐतिहासिक, अर्द्ध-ऐतिहासिक, पौराणिक, काल्पनिक आदि कथानकों पर राजस्थानी का वात साहित्य संख्यातीत है।
  • कहानी का पर्याय ’वात’ में कहने और सुनने की विशेष प्रणाली है। कथा कहने वाला बात कहता चलता है और सुनने वाला हुँकारा देता रहता है।
  • शैली की वैयक्तिकता राजस्थानी वातों की अपनी विशेषता है। गद्यमय, पद्यमय तथा गद्य-पद्यमय तीनों रूपों में ’वातें’ मिलती है।

राजस्थान में लट्ठमार होली कहाँ खेली जाती है ?

  • राजस्थान में लट्ठमार होली श्री महावीर जी (बृज क्षेत्र करौली, भरतपुर, डीग) में खेली जाती है।
  • यह होली राधा-कृष्ण के प्रेम से जुड़ी हुई है।
  • इस दिन पुरुष द्वारा महिलाओं पर रंग बरसाया जाता है और महिलाएँ उन पर लाठियों से वार करती है और पुरूषों को इनसे बचना होता है।

जयपुर का प्रसिद्ध लोकनाट्य कौनसा है ?

  • तमाशा जयपुर का प्रसिद्ध लोकनाट्य है।
  • तमाशा लोकनाट्य की शुरूआत महाराजा सवाई प्रतापसिंह के समय हुई थी।
  • इसके प्रवर्तक बंशीधर भट्ट थे।
  • तमाशा खुले मंच पर होता है जिसे ’अखाड़ा’ कहते हैं, इसमें संगीत, नृत्य व गायन तीनों की प्रधानता होती है।
  • वर्तमान में तमाशा के उस्ताद गोपीकृष्ण भट्ट, फूल जी भट्ट व वासुदेव भट्ट है।
  • गोपीचन्द, जोगी-जोगन, जुठठ्न मियां व हीर रांझा आदि प्रमुख तमाशें है। वासुदेव भट्ट ने गोपीचंद व हीर रांझा के तमाशे प्रारम्भ किये थे।

सालासर हनुमान जी का मेला कहाँ लगता है ?

  • सालासर हनुमान जी का मेला राजस्थान के चुरू जिले में लगता है।
  • सालासर बालाजी मंदिर में लक्खी मेला लगता है।
  • यहाँ प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा को बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है।
  • इस मंदिर में हनुमान जी की मूति गोल चेहरें के साथ दाढ़ी और मूंछ में है।
  • ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से बालाजी हर मनोकामना पूरी करते है।

पुस्तक ’अर्णभ वाणी’ किस संत द्वारा लिखित है ?

  • पुस्तक ’अर्णभ वाणी’ रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक संत रामचरण द्वारा लिखित है।
  • इस पुस्तक को ’अणैभ वाणी’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस पुस्तक में संत रामचरण जी के उपदेश दिये गये है।
  • यह पुस्तक ब्रजभाषा में लिखित है।

कोटा राज्य प्रजामंडल की स्थापना किस वर्ष हुई थी ?

  • कोटा राज्य प्रजामंडल की स्थापना मई,1939 में हुई थी।
  • इसकी स्थापना माँंगरोल (बाराँ) में पं. नयनूराम शर्मा व अभिन्न हरि ने की थी। इसके अध्यक्ष पण्डित नयनूराम शर्मा थे।
  • कोटा प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन पण्डित नयनूराम शर्मा की अध्यक्षता में 14 अक्टूबर, 1939 ई. को माँगरोल (बाराँ) में हुआ।
  • श्रीमती शारदा भार्गव की अध्यक्षता में महिलाओं ने भी सम्मेलन का आयेाजन किया।
  • 1941 ई. में पण्डित नयनूराम शर्मा की हत्या के बाद प्रजामण्डल की अध्यक्षता पण्डित अभिन्न हरि ने की थी।

उत्तरी मेवाड़ के भीलों का प्रसिद्ध गीत कौनसा है ?

  • उत्तरी मेवाड़ के भीलों का प्रसिद्ध लोकगीत हमसीढ़ो है।
  • यह भील स्त्री व पुरूषों द्वारा सामूहिक रूप से गाया जाने वाला लोकगीत है।
  • यह एकमात्र लोकगीत है, जिसे स्त्री व पुरूष दोनों मिलकर गाते है।

गागरोन किला कहाँ पर स्थित है ?

  • गागरोन का किला झालावाड़ में स्थित है।
  • यह किला डोड परमारों बीजलदेव द्वारा 11 वीं सदी में निर्मित है। बीजलदेव से देवनसिंह खींची ने इसे छीना और इसका नाम ’गागरोन’ रखा।
  • इसको गर्गराटपुर, डोडगढ़ और धूलरगढ़ आदि उपनामों से जाना जाता है।
  • राजस्थान का एकमात्र दुर्ग है, जो बिना किसी नींव के कठोर चट्टान पर खड़ा है।
  • इस किले में मीठेशाह की दरगाह है।
  • 21 जून, 2013 को इस किले को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इस किले पर 2018 में 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया गया।

कालबेलियों का प्रमुख वाद्ययंत्र कौनसा है ?

  • कालबेलिया जाति का प्रमुख वाद्ययंत्र पुंगी है।
  • कालबेलिया (सपेरों) द्वारा साँप को मोहित करने में काम लिया जाता हैं।
  • यह एक विशेष प्रकार के तुम्बे से बनती है, जिसके अगले हिस्से में दो नलियाँ लगाई जाती हैं।
  • कालबेलिया नृत्य में भी यह वाद्ययंत्र बजाया जाता है।

बीसलपुर बहुउद्देशीय परियोजना किस नदी पर बनाई गई है ?

  • बीसलपुर बहुउद्देशीय परियोजना टोंक जिले में टोडारायसिंह से 13 किलोमीटर दूर बीसलपुर गांव में बनास और डाई नदी के संगम पर बांध बनाकर 1987 में बनाई गई परियोजना है।
  • यह राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है।
  • इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य टोंक, अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, नसीराबाद, केकड़ी, सरवाड़, जयपुर को पेयजल की आपूर्ति करना है।

सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य कहाँ स्थित है ?

  • सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य प्रतापगढ़ जिले में स्थित है।
  • इसकी स्थापना 2 जनवरी, 1979 में की गई है।
  • इसका कुल क्षेत्रफल 423 वर्ग किमी. है।
  • यह अभयारण्य पीले रंग की उड़न गिलहरी के लिए प्रसिद्ध है।
  • इस अभयारण्य में सर्वाधिक सागवान के वृक्ष भी देखे जाते है।
  • इस अभयारण्य को चीतलों की मातृभूमि के उपनाम से जाना जाता है।

राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की स्थापना कब हुई थी ?

  • राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की स्थापना 1 अक्टूबर 1964 को हुई थी।
  • इसकी स्थापना सड़क परिवहन अधिनियम 1950 के तहत राजस्थान सरकार द्वारा 1 अक्टूबर 1964 में की गई थी।
  • यह एक सार्वजनिक परिवहन कंपनी है, जो राजस्थान में बस सेवाएँ प्रदान करती है।
  • इसका मुख्यालय जयपुर में है।

रामसागर वन्यजीव अभयारण्य कहाँ स्थित है ?

  • रामसागर वन्यजीव अभयारण्य धौलपुर जिले में स्थित है।
  • इसकी स्थापना 7 नवम्बर, 1955 में की गई।
  • इसका कुल क्षेत्रफल 34.4 वर्ग किलोमीटर है।
  • इसे वर्ष 1955 वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
  • यहाँ पर अनेक वन्य जीव – सांभर, मोर, जंगली सूअर, नीलगाय चीतल और तीतर आदि देखने को मिलते है।
  • यह एक दर्शनीय पर्यटन स्थल है।

राजस्थान की महिलाएँ किस अवसर पर लहरिया भांत की ओढ़नी पहनती है ?

  • राजस्थान की महिलाएँ तीज त्यौहार के अवसर पर लहरिया भांत की ओढ़नी पहनती है।
  • यह ओढ़नी बिंदियों से निर्मित लहरनुमा आकृति में बनाई जाती है, इसके किनारे व पल्लू ज्वार-भांत जैसे होते है।
  • राजस्थान की महिलाएँ श्रावण महीने के बीज की तिथि को लहरिया भांत की ओढ़नी पहनती है।

लोकदेवता गोगाजी के पिताजी का क्या नाम था ?

  • लोकदेवता गोगाजी के पिताजी का नाम जेवरसिंह (जीवराज चैहान) था।
  • इनके पिता जेवरसिंह राजस्थान के ददरेवा (चुरू) के चैहान वंश के राजपूत शासक थे।
  • लोकदेवता गोगाजी को साँपों के देवता, जाहरपीर, जीवित पीर, गोगापीर और नागराज आदि उपनामों से जाना जाता है।

मेवाड़ में भीलों द्वारा किस नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है ?

  • मेवाड़ क्षेत्र में भील जनजाति के द्वारा किया जाने वाला प्रसिद्ध नृत्य गवरी नृत्य है।
  • इसे ’राई नृत्य’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह नृत्य भीलों द्वारा भाद्रपद माह के प्रारंभ से आश्विन शुक्ला एकादशी तक गवरी उत्सव पर किया जाने वाला यह नृत्य नाट्य है। इसमें मांदल और थाली का इस्तेमाल किया जाता है।
  • यह गौरी पूजा से संबद्ध होने के कारण गवरी कहलाता है। गवरी लोक नृत्य का मुख्य आधार शिव तथा भस्मासुर की कथा है।

कौनसे नृत्य में महिलाएँ सिर पर सात या नौ पीतल के पात्र रखकर नृत्य करती है ?

  • भवाई नृत्य में महिलाएँ सिर पर सिर पर सात या नौ पीतल के पात्र रखकर नृत्य करती है।
  • भवाई जाति का चमत्कारिता एवं करतब के लिए प्रसिद्ध यह नृत्य उदयपुर संभाग व बांसवाड़ा संभाग में अधिक प्रचलित है।
  • मटका इस नृत्य की पहचान है। नाचते हुए सिर पर एक के बाद एक सात-आठ मटके रखकर थाली किनारों पर नाचना, गिलासों पर नृत्य करना, नाचते हुए जमीन से मुंह के द्वारा रूमाल उठाना, नुकीली कीलों पर नाचना आदि करतब इसमें दिखाए जाते हैं।
  • यह नृत्य अपनी अदायगी, शारीरिक क्रियाओं के अद्भुत चमत्कार तथा लयकारी के लिए प्रसिद्ध है।
  • भवाई नृत्य के प्रमुख नृत्यकार रूपसिंह शेखावत है।

नौ मंजिला ऐतिहासिक विजय स्तम्भ किससे बना है ?

  • नौ मंजिला ऐतिहासिक विजय स्तंभ को लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बनाया गया है।
  • महाराणा कुम्भा ने सारंगपुर विजय के उपलक्ष्य में चित्तौड़गढ़ दुर्ग में ’विजय स्तम्भ’ का निर्माण करवाया था।
  • यह नौ मंजिला इमारत है।
  • यह ’हिन्दू देवी-देवताओं का म्यूजियम’ और ’भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष’ कहलाता है।
  • इसकी नौवीं मंजिल पर बिजली गिरने से नष्ट हो गयी थी, तब इसका जीर्णोद्धार महाराणा स्वरूपसिंह ने करवाया था।
  • इसके मुख्य द्वार पर विष्णु की मूर्ति लगी है। इसलिए इसे ’विष्णु ध्वज’ भी कहते है।
  • विजय स्तभ पर 1949 ई. में डाक टिकट जारी हुई।

राजस्थान मेें गाँधीसागर बाँध किस नदी पर स्थित है ?

  • राजस्थान में चम्बल नदी पर गाँधीसागर बाँध स्थित है।
  • चम्बल नदी पर सबसे बड़ा बाँध गाँधीसागर बाँध है।
  • यह बाँध मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में नीमच के पास बना है।
  • यह बाँध 204 फीट ऊंचा और 514 फीट लंबा है।
  • इसकी आधारशिला 7 मार्च, 1954 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी।
  • इस बाँध से 115 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।

राजस्थानी साहित्य का प्रथम गद्य लेखक किसे कहा जाता है ?

  • राजस्थान साहित्य का प्रथम गद्य लेखक शिवचंद भरतीया को माना जाता है।
  • शिवचंद भरतीया को आधुनिक राजस्थानी उपन्यास साहित्य के प्रवर्तक कहा जाता है।
  • शिवचंद भरतीया ने 1903 ई. में सर्वप्रथम राजस्थानी भाषा का प्रथम उपन्यास ’कनक सुंदरी’ की रचना की ।
  • इन्होंने 1900 ई. को प्रथम नाटक ’केसर विलास’ तथा 1904 ई. को प्रथम कहानी ’विश्रांत प्रवास’ की रचना की।
  • इसी कारण शिवचंद्र भरतिया राजस्थानी उपन्यास नाटक और कहानी के प्रथम लेखक माने जाते है।

कौनसा नृत्य बैठी हुई मुद्रा में किया जाता है ?

  • तेरहताली नृत्य बैठकर किया जाने वाला राजस्थान का एकमात्र लोकनृत्य है।
  • तेरहताली नृत्य पाली व रामदेवरा में स्त्री व पुरुषों के द्वारा किया जाता है।
  • यह नृत्य कामड़ जाति की बहुओं द्वारा लोकदेवता रामदेव जी के मेले व उत्सवों के अवसर पर किया जाता है।
  • इस नृत्य में पुरूष तानपुरा व चैतारा बजाते हैं, महिला 13 मंजीरों को अपने शरीर पर बांधती है, जिसमें 9 मंजीरें दांये पाँव पर, 2 मंजीरे हाथों की कोहनी पर तथा एक एक मंजीरे दोनों हाथों में रहते है।
  • इसके प्रमुख कलाकार मांगीबाई, मोहनी, नारायणी और लक्ष्मणदास है।

भरतपुर के गंगा मंदिर का निर्माण किसने करवाया था ?

  • भरतपुर के गंगा मंदिर का निर्माण महाराजा बलवन्त सिंह ने 1845 ई. में प्रारम्भ करवाया था।
  • 12 फरवरी, 1937 ई. को महाराजा ब्रजेन्द्र सिंह ने इसमें गंगा की मूर्ति को स्थापित करवाया, जिसे मगरमच्छ पर सवार दिखाया गया है।
  • इस मंदिर का निर्माण कार्य 90 वर्षों तक चलता रहा।
  • इस मंदिर को बनाने के लिए देशभर से कुशल कारीगरों और शिल्पकारों को बुलाया गया था।
  • इस मंदिर का निर्माण बंसी पहाड़पुर के प्रसिद्ध पत्थर से किया गया।
  • यह मान्यता है कि इसके निर्माण के लिए, राज्य के सभी कर्मचारियों तथा समृद्ध लोगों ने एक माह का वेतन दान किया था।
  • इस मंदिर के सामने का हिस्सा मुगल शैली पर व पीछे का हिस्सा बौद्ध शैली पर आधारित है।

राजस्थानी साहित्य का प्रथम गद्य लेखक किसे कहा जाता है ?

  • राजस्थान साहित्य का पहला गद्य लेखक जैन मुनि उद्योतन सूरी को माना जाता है।
  • जैन मुनि उद्योतन सूरी ने 778 ईस्वी के आस-पास ’कुवलयमाला’ नामक प्राकृत ग्रंथ लिखा। इस ग्रंथ में तत्कालीन राजस्थान के सांस्कृतिक जीवन की झलक दिखाई देती है।

राजस्थान में विवाह के अवसर पर पुरुष किस प्रकार की पगड़ी पहनते है ?

  • पुरुषों के द्वारा विवाह के अवसर पर ’मोठड़ा पगड़ी’ पहनी जाती है।
  • मोठड़े के कई रूप भी होते है, जैसे – लहरिया, साड़ी और गाउन।
  • पगड़ी पारंपरिक राजस्थानी पोशाक का एक विशेष हिस्सा है।
  • राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर पगड़ी पहनी जाती है। राजस्थान में त्योहारों, उत्सवों व ऋतुओं के अनुसार अलग-अलग प्रकार की पगड़ी पहनने का रिवाज है।

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