राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन – Top Notes | MCQ | TRICKS | PDF

राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन: राजस्थान में प्रजामडंल का प्रमुख उद्देश्य उत्तरदायी शासन की स्थापना एवं सरकार में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना था। वर्ष 1927 में अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् की स्थापना बाद इसकी शाखाएँ स्थापित की गयी। राजस्थान में प्रजामंडल आन्दोलन राजनीतिक जागरण के अंतर्गत स्वतंत्र संघर्ष का परिणाम था। राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक सुधारों से संबंधित संस्थाओं की स्थापना हुई।

राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन

राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन – Top Notes | MCQ | TRICKS | PDF | ट्रिक्स

राजस्थान के प्रजामण्डल – Rajasthan ke Prajamandal Andolan

प्रजामण्डल का अर्थ है – ’’प्रजा का संगठन’’। सन् 1920 में ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे। इसी कारण किसानों द्वारा विभिन्न आंदोलन चलाये गये। भारत देश में गांधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आन्दोलन भी चल रहा था। इन सभी के कारण राज्य की प्रजा में जागृति आयी और उन्होंने संगठन बना कर अत्याचारों के विरूद्ध आन्दोलन शुरू किया, वहीं प्रजामण्डल आंदोलन कहलाया।

प्रजामण्डल आन्दोलनों का उद्देश्य – ’’रियासती कुशासन को समाप्त करना व एक उत्तरदायी शासन की स्थापना करना जो प्रजा के प्रति उत्तरदायी हो।’’

Rajasthan ke Prajamandal

  • 1885 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनैतिक चेतना जगाने का उल्लेखनीय प्रयास किया।
  • राजस्थान में राजनैतिक चेतना जगाने के क्षेत्र में प्रथम प्रयास 1919 ई. में ’राजस्थान सेवा संघ’ के रूप में हुआ। जिसकी स्थापना वर्धा में श्री विजयसिंह पथिक व रामनारायण चौधरी के प्रयासों से हरिभाई किंकर के द्वारा की गई।
  • 1920 ई. में राजस्थान सेवा संघ का कार्यालय अजमेर स्थानान्तरित कर दिया गया।
  • जब राजस्थान सेवा संघ के सदस्यों में आपसी मनमुटाव हो गया और यह संघ निष्क्रिय होने लगा तो 1919 ई. में ही सेठ जमनालाल बजाज के प्रयासों से ’राजपूताना मध्य भारत सभा’ नामक संस्था की स्थापना दिल्ली में की गई।
  • राजपूताना मध्य भारत सभा’ का प्रधान कार्यालय अजमेर में ही रखा गया और इसका प्रथम अधिवेशन 1920 ई. में कांग्रेस के अधिवेशन के साथ ही नागपुर में आयोजित किया गया।
  • 1927 ई. में राजनैतिक चेतना जगाने के क्षेत्र में एक ओर उल्लेखनीय प्रयास किया गया और देशी राज्यों के प्रतिनिधियों ने बम्बई में एक समिति का गठन किया, जिसका नाम ’अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद्’ था।
  • रामनारायण चौधरी के प्रयासों से 1931 ई. में अजमेर में अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् का प्रथम प्रांतीय अधिवेशन आयोजित किया गया। किंतु राष्ट्रीय व प्रांतीय स्तर पर यह राजनैतिक चेतना जगाने के प्रयास ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए।
  • प्रजामण्डलों का मुख्य उद्देश्य राजाओं कें संरक्षण में राज्य में उत्तरदायी शासन की स्थापना करते हुए जनता को न्याय दिलाना था।
  • 1938 में कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन (गुजरात) में उत्तरदायी शासन का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु स्थानीय रियासतों में प्रजामण्डलों की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया था।
  • कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाषचंद्र बोस ने की थी।
प्रजामण्डल अध्यक्ष वर्ष
जयपुर प्रजामण्डल कर्पूरचंद पाटनी 1931 ई., 1936 ई.
बूंदी प्रजामण्डल कांतिलाल 1931 ई.
बूंदी राज्य प्रजा परिषद हरिमोहन माथुर 1937 ई.
हाड़ौती प्रजामण्डल हाजी फैज मोहम्मद 1934 ई.
मारवाड़ प्रजामण्डल भंवरलाल सर्राफ 1934 ई.
सिरोही प्रजामण्डल (बम्बई) भीमशंकर शर्मा 1934 ई.
सिरोही प्रजामण्डल गोकुलभाई भट्ट 1939 ई.
किशनगढ़ प्रजामण्डल कांतिलाल चौथानी 1939 ई.
जैसलमेर प्रजामण्डल मीठालाल व्यास 1945 ई.
कुशलगढ़ प्रजामण्डल कन्हैयालाल सेठिया 1942 ई.
डूंगरपुर प्रजामण्डल भोगीलाल पांड्या 1944 ई.
बूंदी राज्य लोक परिषद हरिमोहन माथुर 1944 ई.
बांसवाड़ा प्रजामण्डल विनोदचन्द्र 1945 ई.
प्रतापगढ़ प्रजामण्डल अमृतलाल पायक 1945 ई.
झालावाड़ प्रजामण्डल मांगीलाल भव्य 1946 ई.
बीकानेर प्रजामण्डल मघाराम वैद्य 1936 ई.
बीकोर राज्य परिषद रघुवर दयाल गोयल 1942 ई.
कोटा प्रजामण्डल पं. नयनूराम शर्मा 1939 ई.
मारवाड़ लोक परिषद रणछोड़दास गट्टानी 1938 ई.
मेवाड़ प्रजामण्डल बलवंत सिंह 1938 ई.
अलवर प्रजामण्डल पं. हरिनारायण शर्मा 1938 ई.
भरतपुर प्रजामण्डल गोपीलाल यादव 1938 ई.
शाहपुरा प्रजामण्डल रमेशचन्द्र ओझा 1938 ई.
धौलपुर प्रजामण्डल कृष्णदत्त पालीवाल 1938 ई.
करौली प्रजामण्डल त्रिलोकचन्द माथुर 1938 ई.

ये भी पढ़ें:

Leave a Comment