राजस्थान वित्त निगम (RFC) की स्थापना कब की गई ?

राजस्थान वित्त निगम (RFC) की स्थापना कब की गई ?

उत्तर – राजस्थान वित्त निगम (RFC) की स्थापना 17 जनवरी, 1955 में की गई।

RFC का पूरा नाम क्या है ?

उत्तर – RFC का पूरा नाम Rajasthan Finance Corporation है।

राजस्थान वित्त निगम (RFC)

  • राजस्थान वित्त निगम (RFC) की स्थापना 17 जनवरी, 1955 को की गई। इसका मुख्यालय उद्योग भवन (जयपुर) में है। इसकी अधिकृत पूँजी 100 करोड़ रुपए थी।
  • इसका उद्देश्य राजस्थान में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है।

राजस्थान वित्त निगम (RFC) के कार्य –

  • राजस्थान में सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों को दीर्घकालीन वित्तीय सहायता प्रदान करना। नये उद्योग स्थापित करने हेतु, भूमि क्रय, भवन निर्माण, यंत्र खरीदने, कार्यशील पूंजी हेतु ऋण प्रदान किया जाता है।
  • राजस्थान के तीव्र औद्योगीकरण को बढ़ावा देना।
  • राजस्थान में स्थापित उद्योगों के विस्तार एवं नवीनीकरण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के अभिकर्ता (एजेंट) की भूमिका निभाता है।
  • निगम द्वारा उद्योगों को 2000 रूपये से 20 करोड रूपये तक ऋण उपलब्ध करवाता है।
  • दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराना एवं ऋणों की गारन्टी देना।
  • उपकरण पुनर्वित प्रदान करना।
  • उद्योगों को ऋण देने हेतु केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, IDBI, IFCI के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना है।

राजस्थान वित्त निगम द्वारा संचालित ऋण योजनाएँ –

1. शिल्पबाड़ी योजना – ग्रामीण एवं शहरी शिल्पकार को स्वरोजगार हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना।

2. महिला उद्यम निधि योजना – सूक्ष्म, लघु, सेवादात्री औद्योगिक इकाई का संचालन करने वाली महिला उद्यमी को वित्तीय सहायता प्रदान करना।

3. सेमफैक्स योजना – भूतपूर्व सैनिकों को स्वरोजगाार प्रदान करने हेतु उद्योग स्थापना के लिए ऋण देना।

4. टेक्नोक्रेट योजना – तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को स्वरोजगार के लिए उद्योग स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता देना।

5. सिल्वर कार्ड योजना – वित्त निगम के अच्छे ऋणियों, जिन्होंने पहले ऋणों का 50 प्रतिशत से अधिक चुका दिया हो तो उनको आवश्यकता पड़ने पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।

6. गोल्ड कार्ड योजना – वित्त निगम के अच्छे उद्यमी (जिन्होंने समय सीमा में ऋण का भुगतान किया) को कार्यशील पूँजी एवं अतिरिक्त परिसम्पत्तियों की खरीद हेतु 30 लाख रूपये तक ऋण देना।

7. प्लेटिनम कार्ड योजना – अच्छे ऋणी जिन्होंने गोल्ड कार्ड योजना या अन्य योजना के तहत लिये गये ऋण का भुगतान दो वर्ष के समय में पूरा कर दिया, उन्हें तत्कालीन जरूरतों को पूरा करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना।

8. ब्रिजलोन योजना – महिलाओं को उद्योग स्थापित करने हेतु ऋण उपलब्ध करवाना।

9. तत्काल योजना – वित्त निगम के अच्छे ऋणियों को कार्यशील पूँजी तथा मशीनरी की आवश्यकता पड़ने पर तत्काल वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।

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