आज के आर्टिकल में हम राजस्थान का आतंरिक अपवाह तंत्र (Rajasthan ka Aantrik Apvah Tantra) अच्छे से पढने वाले है। दोस्तो आपको आर्टिकल पढने के बाद मजा भी आने वाला है।
राजस्थान का आतंरिक अपवाह तंत्र -Rajasthan ka Aantrik Apvah Tantra
राजस्थान राज्य में देश का लगभग 1.16% सतही जल है और राजस्थान के कुल अपवाह तंत्र में से लगभग 60 प्रतिशत भू-भाग पर आंतरिक जलप्रवाह प्रणाली का विस्तार है। राजस्थान में कुछ छोटी नदियाँ हैं जो कुछ दूरी तक प्रवाहित होकर राज्य में अपने प्रवाह क्षेत्र में ही विलुप्त हो जाती हैं तथा जिनका जल समुद्र/सागरों तक नहीं जा पाता है, इन्हें आंतरिक जल प्रवाह की नदियाँ कहा जाता है।
राजस्थान में प्रमुख आतंरिक अपवाह तंत्र वाली नदियों में प्रमुख घग्घर, काकनी, काँतली, साबी, रुपारेल, मेन्था, बाँडी, रूपनगढ़ और बाणगंगा आदि है।
नाम | उद्गम स्थल |
घग्घर | कालका (हिमाचल प्रदेश) |
कांतली | खण्डेला पहाड़ियाँ (सीकर) |
साबी | सेवर पहाड़ियाँ (जयपुर) |
रूपारेल | उदयनाथ पहाड़ियाँ (अलवर) |
कांकनी | कोठारी गाँव (जैसलमेर) |
मेंथा नदी | मनोहरपुरा (जयपुर) |
रूपनगढ़ | सलेमाबाद(अजमेर) |
घग्घर नदी
नदी नाम | घग्घर नदी |
उपनाम | दृष्वती,मृत नदी, नटनदी/ सोतर नदी/ ब्रम्हाव्रत नदी |
उद्गम | कालका / शिवालिका की पहाडि़यों(हिमाचल प्रदेश) |
कुल लम्बाई | 465 किलोमीटर |
राजस्थान में लम्बाई | 120 किलोमीटर |
किनारे पर सभ्यता | कालीबंगा, रंगमहलऔर पीलीबंगा |
बहाव वाले जिले | श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़और अनूपगढ़ |
- यह नदी पंजाब व हरियाणा में बहकर हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी नामक स्थान पर प्रवेश करती है और भटनेर दुर्ग के पास जाकर समाप्त हो जाती है।
- बाढ़ की स्थिति होने पर यह नदी गंगानगर जिले में प्रवेश करती है और सुरतगढ़, अनुपगढ़ में बहती हुई पाकिस्तान के बहावलपुर जिले में प्रवेश करती है और अन्त में फोर्ट अब्बास नामक स्थान पर समाप्त हो जाती है।
- घग्घर नदी के पाट को नाली भी कहते हैं।
- इस नदी की कुल लम्बाई 465 कि.मी. है। यह नदी प्राचीन सरस्वती नदी की धारा है। वैदीक काल में इसे द्वषवती नदी कहते है।
- इस नदी के तट पर कालीबंगा सभ्यता विकसित हुई।
- यह राजस्थान की एकमात्र अन्तर्राष्टीय नदी है।
पाकिस्तान में इस नदी को ‘हकरा’ के नाम से जाना जाता है।
कांतली नदी
शेखावाटी क्षेत्र की एकमात्र नदी कांतली नदी का उद्गम सीकर जिले में खण्डेला की पहाडि़यों से होता है। यह नदी झुनझुनू जिले को दो भागों में बांटती है। सीकर जिले को इस नदी का बहाव क्षेत्र तोरावाटी बेसिन कहलाता है। यह नदी 100 कि.मी. लम्बी है और झुनझुनू व चुरू जिले की सीमा पर समाप्त हो जाती है।
- गणेश्वर सभ्यता का विकास
लगभग 5000 वर्ष पूर्व सीकर जिले मे इस नदी के तट पर गणेश्वर सभ्यता का विकास हुआ। जहां से मछ़ली पकडने के 400 कांटे प्राप्त हुए है।
काकनेय नदी
आन्तरिक प्रवाह की सबसे छोटी नदी काकनेय काकनी नदी का उद्गम जैसलमेर जिले में कोटड़ी गांव में होता है। यह नदी उत्तर-पश्चिम में बुझ झील में जाकर समापत हो जाती है। किंतु यह मौसमी नदी अत्यधिक वर्षा मे मीडा खाड़ी में अपना जल गिराती है। स्थानीय लोग इसे मसूरदी कहते है। इस नदी कुल लम्बाई 17 कि.मी है।
साबी नदी
साबी नदी का उद्गम जयपुर जिले में सेवर की पहाडि़यों से होता है। यह नदी उतर-पूर्व की ओर बहकर अलवर जिले में बहती है और हरियाणा के गुड़गांव जिले नजफरगढ़ के समीप पटौती में जाकर समाप्त होती है।
रूपारेल नदी
यह नदी अलवर जिले के उदयनाथ पहाड़ी से निकलती है , कुसलपुर (भरतपुर) में समाप्त हो जाती है। रूपारेला नदी भरतपुर की जीवन रेखा है।
मैन्था नदी
यह नदी जयपुर के मनोहरथाना से निकलती है सांभर झील में विलीन हो जाती है।
रूपनगढ़ नदी
यह सलेमाबाद(अजमेर) से निकलती है और सांभर के दक्षिण में विलीन हो जाती है। इस नदी के किनारे निम्बार्क सम्प्रदाय की पीठ है।
निष्कर्ष :
आज के आर्टिकल में हमने राजस्थान का आतंरिक अपवाह तंत्र (Rajasthan ka Aantrik Apvah Tantra) के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है । हम आशा करतें है कि आपने जरुर कुछ सीखा होगा…धन्यवाद