राजस्थान के प्रतीक चिन्ह – महत्त्वपूर्ण नोट्स | NCERT | RBSE | REET | RSMSSB | Rajasthan ke Pratik chinh

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह(Rajasthan ke Pratik chinh): राजस्थान के राजकीय प्रतीक चिन्हों में – राजस्थान का राज्य पशु – चिंकारा व ऊँट,राजस्थान का राज्य पक्षी -गोडावण,राजस्थान का राज्य वृक्ष – खेजड़ी,राजस्थान का राज्य पुष्प – रोहिड़ा,राजस्थान का राज्य वाद्ययंत्र – अलगोजा,राजस्थान का राज्य गीत – केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश,राजस्थान का राज्य नृत्य – घूमर,राजस्थान का राज्य खेल – बास्केटबॉल में प्रमुख है।

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राजस्थान के प्रतीक चिह्नRajasthan ke Pratik chinh

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह : महत्त्वपूर्ण नोट्स | NCERT | RBSE | REET | RSMSSB | PDF | MCQ | Question | Tricks

राजस्थान के राजकीय प्रतीक चिन्ह

राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी(राजस्थान का कल्पवृक्ष/थार का कल्पवृक्ष)
राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिड़ा
राजस्थान का राज्य पशु चिंकारा व ऊँट
राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण
राजस्थान का राज्य वाद्ययंत्र अलगोजा
राजस्थान का राज्य नृत्य घूमर
राजस्थान का राज्य खेल बास्केटबॉल
राजस्थान का राज्य गीत केसरिया बालम

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

राजस्थान का राज्य पुष्प – रोहिड़ा

  • वैज्ञानिक नाम – टिकोमेला अन्डूलेटा
  • रोहिड़ा के उपनाम – राजस्थान की मरुशोभा, रेगिस्तान का सागवान, मरुटीक
  • रोहिड़ा को 31 अक्टुबर, 1983 को ‘राजस्थान का राज्यपुष्प’ घोषित किया गया।
  • रोहिड़े के फूल को जोधपुर में ‘मारवाड़ टीक’ के नाम से जाना जाता है।
  • रोहिड़ा पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक पाया जाता है।
  • इसके पुष्पों का रंग गहरा केसरिया -लाल और पीला होता है।

राजस्थान का राज्य वृक्ष – खेजड़ी

  • राज्य वृक्ष का दर्जा – खेजड़ी को 31 अक्टुबर, 1983 को ‘राजस्थान का राज्यवृक्ष’ घोषित किया गया था।
  • खेजड़ी का वैज्ञानिक नाम – प्रोसोपिस सिनेरेरिया
  • उपनाम – राजस्थान का गौरव, शमी वृक्ष (ग्रन्थों में), जांटी, सीमलो (राजस्थानी में)
  • राजस्थान में सर्वाधिक खेजड़ी वाला जिला – नागौर
  • सर्वाधिक खेजड़ी वाला क्षेत्र – शेखावाटी
  • खेजड़ी के फूल – मींझर
  • इसकी पत्तियों से बना चारा ‘लूम/लूंग ‘ कहलाती है
  • खेजड़ी के सूखे फल को ‘खोखा’ और हरा फल ‘सांगरी’ कहलाता है।
  • खेजड़ी को सर्वाधिक नुकसान पहुँचाने वाला कीड़ा (सेलेस्ट्रना) व कवक(ग्लाईकोट्रमा) होता है।
  • खेजड़ी की पूजा दशहरे पर होती है।
  • खेजड़ी का पूजन शीतला माता के प्रतीक के रूप में भी किया जाता है।
  • पंजाबी व हरियाणवी में ‘जांटी’ कहा जाता है।
  • लोकदेवता गोगाजी, केसरिया कुंवर व झुंझार जी का थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होता है।
  • राज्य के लगभग 65% भाग पर खेजड़ी पायी जाती है।
  • 5 जून, 1988 को खेजड़ी वृक्ष पर 60 पैसे की डाक टिकट जारी की गयी थी।
  • ऑपरेशन खेजड़ा अभियान की शुरुआत 1991 में हुई। खेजड़ी वृक्ष को बचाने हेतु यह अभियान चलाया गया।
  • खेजड़ी वृक्ष को चिपको आंदोलन का प्रेरणा स्रोत माना जाता है।
खेजड़ली गाँव (जोधपुर) – मारवाड़ के शासक अभयसिंह के शासनकाल में 28 अगस्त, 1730 ई. (भाद्रपद शुक्ल दशमी) को अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में 363 लोगों ने खेजड़ी वृक्ष को बचाने के लिए पेड़ों से चिपक कर जोधपुर के खेजड़ली गाँव में अपना बलिदान दिया था। इस घटना के वक्त मारवाड़ शासक के हाकिम गिरधरदास भंडारी थे। इस आन्दोलन में अमृता देवी व उसके पति रामो जी विश्नोई व उसकी दो पुत्रियाँ भी शहीद हो गये थे ।
  • खेजड़ली वृक्ष मेला – यह विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला है, जो प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी को खेजड़ली में भरता है।
  • 12 सितम्बर, 1978 को पहली बार ‘खेजड़ली दिवस’ मनाया गया था, तब से प्रतिवर्ष जोधपुर के खेजड़ली गाँव में खेजड़ली दिवस मनाया जाता है।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने खेजड़ी को शुष्क फलों की श्रेणी में शामिल किया है।
  • माटो – बीकानेर के राज्यचिह्न में खेजड़ी वृक्ष को दर्शाया गया है, इसे ‘माटो’ कहा जाता है।
  • थार शोभा – केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर द्वारा विकसित खेजड़ी की एक कांटे रहित किस्म।

राजस्थान का राज्य पशु – चिंकारा

  • वैज्ञानिक नाम – गजेला- गजेला बनेट्टी
  • यह एन्टीलोप प्रजाति का मुख्य जीव है।
  • 22 मई, 1981 को इसे राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया था।
  • राष्ट्रीय मरू उद्यान व नाहरगढ़ अभयारण्य में चिंकारा(छोटा हिरण) काफी संख्या में विचरण करते हैं।

राजस्थान के दो राज्य पशु है-

  1. चिंकारा (वन्यजीव श्रेणी में)
  2. ऊँट (पशुधन श्रेणी में)

राजस्थान का राज्य पक्षी – गोडावण

  • वैज्ञानिक नाम – क्रायोटिस नाइग्रीसेप्स
  • उपनाम – सोहन चिड़िया, गुधनमेर,सारंग, हुकना, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
  • यह बहुत शर्मिला पक्षी होता है,इसे ‘माल मोरड़ी‘ भी कहा जाता है।
  • 1981ई. में इसे राजस्थान का राज्यपक्षी घोषित किया गया।
  • 1 नवम्बर, 1980 को गोडावण पर 30 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया।
  • राजस्थान में गोडावण मुख्यतः मरुउद्यान (जैसलमेर), सोंकलिया (अजमेर), और सोरसन (बारां) में पाया जाता है।
  • गोडावण का प्रजनन काल अक्टूबर – नवम्बर महीना माना जाता है
  • गोडावण सेवण जमीन पर घास में अंडे देता है।
  • गोडावण का प्रिय भोजन – मूंगफली और तारामीरा
  • प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड – 5 जून, 2013 को गोडावण के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय मरु उद्यान में इस प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया।
  • ‘प्रोजेक्ट बस्टर्ड’ लॉन्च करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। गोडावण के सरंक्षण हेतु भारत सरकार, भारतीय वन्य जीव संस्थान व राज्य सरकार के बीच त्रिपक्षीय करार के तहत जैसलमेर के सम क्षेत्र में गोडावण कृत्रिम प्रजनन सेन्टर बनाया गया है।

राजस्थान का राज्य पशु – ऊँट

  • ऊँट को ‘मरुस्थल का जहाज’ कहा जाता है।
  • ऊँट को पशुधन की श्रेणी में राज्यपशु का दर्जा 16 सितम्बर, 2014 को अधिसूचना जारी कर दिया गया।
  • राजस्थानी ऊँट का वैज्ञानिक नाम – कैमेलस ड्रोमेडेरियस
  • ऊँट शृंगार के आभूषण –
गले में गोरबंद
पूंछ पर पर्चनी
पीठ पर काठी/ पिलाण
मुख पर मोरखा
पेट पर तंग/नेवार
टांगों पर गोडिया
  • मृत ऊँट की खाल पर की जाने वाली चित्रकारी – उस्ता कला/ मुनव्वती कला (बीकानेर), हिसामुदीन उस्ता (प्रसिद्ध उस्ता चित्रकार)
  • जिन्दा ऊँट के बालों पर की जाने वाली चित्रकारी – जटकतराई।
  • अशोक टांक – पुष्कर निवासी अशोक टांक ‘केमल मैन’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।
  • केन्द्रीय ऊँट अनुसंधान केन्द्र – जोड़बीड़, (बीकानेर)
  • 5 जुलाई, 1984 को स्थापित, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित है ।
  • ऊँटों के रोग – तिबरसा/सर्रा/Surra (प्रोटोजोवा द्वारा), गलेडर्स (जीवाणु)
  • ऊँटों के देवता – पाबूजी
  • मारवाड़ क्षेत्र में सर्वप्रथम ऊँट लाने का श्रेय पाबूजी को है ।
  • ऊँट पालक जाति- रेबारी/राईका, राईका जाति का दुल्हा शादी में घोड़ी की बजाय ऊँट पर ही जाता है।

राजस्थान का राज्य गीत – केसरिया बालम

  • राजस्थान का राज्य गीत ‘केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश’ को मुख्यतः मांड गायकी में गाया जाता है।
  • इसमें विदेश गये पति को आने का संदेश दिया जाता है। इसमें पति की प्रतीक्षा करती एक नारी की विरह व्यथा है।
  • यह एक रजवाड़ी गीत है।
  • इस गीत को उदयपुर की मांड गायिका मांगीबाई आर्य ने प्रथम बार गाया था।
  • इस गीत को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति बीकानेर की मांड गायिका अल्लाह जिलाई बाई ने दिलवायी।
  • अल्लाह जिलाई बाई को ‘मरू कोकिला’ भी कहते है।

राजस्थान का राज्य नृत्य – घूमर

  • यह राजस्थान का ‘राज्य नृत्य’ है।
  • इसे राजस्थान के नृत्यों की आत्मा/लोकनृत्यों का सिरमौर कहा जाता है
  • घूमर नृत्य को ‘रजवाड़ी लोकनृत्य’ भी कहा जाता है।
  • यह नृत्य गणगौर के अवसर पर सर्वाधिक किया जाता है। इसमें मंथर गति से चक्कर काटते हुए गोल-गोल घूमते हुए महिलाओं द्वारा नृत्य किया जाता है।
  • यह नृत्य मुख्यतः महिलाओं द्वारा ही किया जाता है, लेकिन कई बार महिला व पुरूष सम्मिलित रूप से भी करते हैं।
  • इसमें मुख्यतः ढोल, नगाड़ा व शहनाई वाद्ययंत्रों का प्रयोग होता है।
  • नृत्य के दौरान महिलाओं के लहंगे का घेर, जो वृताकार रूप में फैलता है, उसे ‘घूम’ कहते हैं।

राजस्थान का राज्य शास्त्रीय नृत्य – कत्थक

  • इसके प्रवर्तक भानू जी महाराज को माना जाता है।
  • यह राज्य का शास्त्रीय नृत्य है।
  • इसका मुख्य घराना जयपुर में है।

राजस्थान का राज्य खेल – बास्केटबॉल

  • राजस्थान का राज्य खेल बास्केटबॉल है।
  • इसे राज्य खेल का दर्जा 1948 ई. में दिया गया।

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें राजस्थान के प्रतीक चिह्न(Rajasthan ke Pratik chinh) टॉपिक पर विस्तार से जानकारी दी। राज्य के राजकीय चिन्ह अपनी एक अलग पहचान होते है, जिनके बारे में हमें जानकारी होना आवश्यक है। हम आशा करते है, कि आपने जरुर कुछ न कुछ नया सीखा होगा …अपना कीमती समय देने के लिए …धन्यवाद।

FAQs – राजस्थान के प्रतीक चिह्न

1.  राजस्थान का राज्य पशु कब घोषित किया गया?

  • राजस्थान में पशुधन श्रेणी में राज्य पशु ऊँट है। इसे राजस्थान का राज्य पशु 19 सितंबर, 2014 को घोषित किया गया। अगर हम वन्य जीवों में राजस्थान के राज्य पशु की बात करें तो राज्य पशु चिंकारा है। इसे राज्य पशु का दर्जा 22 मई, 1981 को दिया गया।

2. राजस्थान का राज्य वृक्ष कब घोषित किया गया?

  • राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी है इसे राजस्थान का राज्य वृक्ष 31 अक्टूबर, 1983 ई. को घोषित किया गया। इसे ‘राजस्थान का गौरव/ थार का कल्प वृक्ष ‘ कहते है।

3. राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी का वैज्ञानिक नाम क्या है?

  • राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी है इसका वैज्ञानिक नाम प्रोसोपिस सिनेरेरिया है। खेजड़ी को 31 अक्टूबर, 1983 को राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया।

4. राजस्थान का राज्य पक्षी कब घोषित किया गया?

  • राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण है। इसे राज्य पक्षी 1983 ई. में घोषित किया गया। गोडावण पक्षी का वैज्ञानिक नाम क्रायोटिस नाइग्रीसेप्स है।

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