राजपूताना मध्य भारत सभा – Rajputana Madhya Bharat Sabha

आज के आर्टिकल में हम राजपूताना मध्य भारत सभा(Rajputana Madhya Bharat Sabha) के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है ,आप पुरे आर्टिकल को पढ़ें।

राजपूताना मध्य भारत सभा – Rajputana Madhya Bharat Sabha

राजपूताना मध्य भारत सभा, दिल्ली (1918 ई.)

1918 ई. में कॉंग्रेस के दिल्ली अधिवेशन के समय राजपूताना और मध्य भारत की देशी रियासतों के कार्यकर्ताओं ने जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में दिल्ली के चाँदनी चौक में स्थित मारवाड़ी पुस्तकालय में ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ की स्थापना की। इसका प्रधान कार्यालय कानपूर में था और राजस्थान में इसका मुख्यालय अजमेर में रखा गया।

इस सभा में प्रमुख कार्यकर्ता निम्न थे-

  • गणेश शंकर विद्यार्थी
  • चाँदकरण शारदा
  • स्वामी नरसिंह देव सरस्वती
  • केसरी सिंह बारहठ
  • अर्जुनलाल सेठी
  • विजयसिंह पथिक
  • जमना लाल बजाज
  • गिरधर शर्मा
  • सेठ गोविंद दास

अजमेर में जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ का आयोजन (1920) किया गया, जिसमें अर्जुन लाल सेठी, केसरी सिंह बारहठ, राव गोपालसिंह खरवा और विजयसिंह पथिक आदि ने भाग लिया।

राजपूताना मध्य भारत सभा का उद्देश्य

इस सभा का उद्देश्य देशी रियासतों में उत्तरदायी शासन स्थापित करना और देशी राज्यों की प्रजा की दुर्दशा की ओर काँग्रेस का ध्यान आकृष्ट करना, अछूतोद्धार, शासकों व जागीरदारों के विरुद्ध आन्दोलन करना।

1920 ई. में काँग्रेस के नागपुर अधिवेशन के समय राजपूताना मध्य भारत सभा ने भी अपना अधिवेशन नागपुर में किया। वहाँ प्रदर्शनी के माध्यम से सामन्ती राजतन्त्र की अपव्ययता, जनता के प्रति उदासीनता, दण्ड देने के अमानवीय तरीकों, अन्याय की व्यापकता, कृषकों की गरीबी आदि को दर्शाया। विजयसिंह पथिक ने काँग्रेस को पत्र लिखकर उसे रियासती प्रजा के कष्टों में सहयोगी बनने की अपील की।

राजपूताना मध्य भारत सभा का अध्यक्ष सेठ जमनालाल बजाज तथा उपाध्यक्ष गणेश शंकर विद्यार्थी को बनाया गया था ।

राजपूताना मध्य भारत सभा ने खेतड़ी, पीसांगन, बिसाउ, बिजौलिया, बूँदी, बीकानेर आदि स्थानों पर किसानों एवं राजनैतिक कार्यकर्ताओं पर किए जा रहे अत्याचारों का विरोध किया। इसने सिरोही के भीलों और गिरासियों के आन्दोलन का समर्थन किया तथा बूँदी राज्य में प्रचलित बेगार प्रथा का विरोध किया। राजपूताना मध्य भारत सभा ने राजस्थान में राजनैतिक जागृति के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया तथा राजनैतिक कार्यकर्ताओं एवं किसानों पर किए जा रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई तथा जागीरदारों एवं रियासती राजाओं पर दबाव बनाने का कार्य भी किया। सभा काँग्रेस का ध्यान रियासती जनता की ओर आकर्षित करने में सफल रही।

राजपूताना मध्य भारत सभा के अधिवेशन

  • पहला अधिवेशन  – मारवाड़ी पुस्तकालय, नई दिल्ली(1918 ई.,जमनालाल की अध्यक्षता में)
  • दूसरा अधिवेशन  – अमृतसर,( 29 दिसम्बर 1919 ई . ,जवाहर लाल नेहरु की अध्यक्षता में)
  • तीसरा अधिवेशन  – अजमेर, (जमनालाल की अध्यक्षता में, मार्च 1920)
  • चौथा अधिवेशन  – नागपुर, (गणेश नारायण सोमाणी की अध्यक्षता में, दिसम्बर 1920)
निष्कर्ष :
आज के आर्टिकल में हमनें राजपूताना मध्य भारत सभा(Rajputana Madhya Bharat Sabha) के बारे में विस्तार से जानकारी दी ,हम उम्मीद करतें है कि आप हमारे द्वारा दी गयी जानकारी से संतुष्ठ होंगे।

FAQ –

1.  ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ का तीसरा अधिवेशन कहाँ व किसकी अध्यक्षता में हुआ?

उत्तर  – तीसरा अधिवेशन  – अजमेर, (जमनालाल की अध्यक्षता में, मार्च 1920)

2. राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना कब हुई थी?

उत्तर  – राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना 1918 ई. में दिल्ली कांग्रेस अधिवेशन के दौरान चांदनी चौक के मारवाड़ी पुस्तकालय में हुई थी।

3.  ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ का पहला अधिवेशन कहाँ हुआ?

उत्तर  – पहला अधिवेशन  – मारवाड़ी पुस्तकालय, नई दिल्ली(1918 ई.,जमनालाल की अध्यक्षता में)

4.  ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ का दूसरा अधिवेशन कहाँ हुआ?

उत्तर  – दूसरा अधिवेशन  – अमृतसर,( नेहरु की अध्यक्षता में, 29 दिसम्बर 1919 ई .)

5.  ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ का चौथा अधिवेशन कहाँ व किसकी अध्यक्षता में हुआ?

उत्तर  – चौथा अधिवेशन  – नागपुर, (गणेश नारायण सोमाणी की अध्यक्षता में, दिसम्बर 1920)

राजस्थान की अंत:प्रवाही नदियाँ 

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