सांभर के चौहान – Sambhar ke Chouhan | पूरी जानकारी

आज के आर्टिकल में हम सांभर के चौहान(Sambhar ke Chouhan) के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है। सांभर के चौहान वंश का पूरा निचोड़ दिया गया है, जो आपकी तैयारी के लिए बेहतर साबित होगा।

सांभर के चौहान – Sambhar ke Chouhan

  • वासुदेव चौहान
  • दुर्लभराज प्रथम
  • गुवक प्रथम
  • गुवक द्वितीय
  • चन्दन राज चौहान
  • वाकपतिराज प्रथम
  • सिंहराज
  • विग्रहराज द्वितीय
  • दुर्लभराज द्वितीय
  • गोविंदराज तृतीय
  • वाकपतिराज द्वितीय
  • पृथ्वीराज प्रथम

वासुदेव चौहान ने 551 ई. में सांभर झील के आसपास चौहान वंश की स्थापना की।

वासुदेव चौहान

  • वासुदेव चौहान को चौहान राजवंश का संस्थापक/आदिपुरुष/मूलपुरुष माना जाता है।
  • वासुदेव चौहान ने 551 ई. में सांभर झील के आसपास चौहान वंश की स्थापना की और अहिछत्रपुर को अपनी राजधानी बनाया।
  • बिजोलिया शिलालेख के अनुसार सांभर झील का निर्माण वासुदेव चौहान ने करवाया था।

दुर्लभराज प्रथम

  • दुर्लभराज प्रथम प्रतिहार शासक ’वत्सराज’ का सामन्त था, वत्सराज के साथ रहते हुए बंगाल के धर्मपाल को हराया था।
  • दुर्लभराज प्रथम ने त्रिपक्षीय संघर्ष (प्रतिहार, पाल व राष्ट्रकूट) में भाग लिया और वह मारा गया।
  • इसके समय अजमेर पर प्रथम बार मुसलमानों का आक्रमण हुआ।

गुवक प्रथम

  • गुवक प्रथम प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय का सामन्त था। नागभट्ट द्वितीय ने गुवक को ’वीर’ की उपाधि दी।
  • उसने हर्षनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। जो चौहानों के कुलदेवता है।
  • प्रारम्भ में चौहान शासक गुर्जर प्रतिहारों के सामन्त थे। गुवक प्रथम ने पहली बार अपना स्वतंत्र शासन स्थापित कर गुर्जर प्रतिहारों की अधीनता से चैहानों को मुक्त किया।

गुवक द्वितीय

  • गुवक द्वितीय ने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए अपनी बहन कलावती का विवाह कन्नौज शासक ’भोजराज’ से किया।

चन्दन राज चौहान

  • चन्दनराज ने दिल्ली के तोमर शासक रूद्र को पराजित किया।
  • चन्दनराज की पत्नी रूद्राणी यौगिक क्रिया में काफी निपुण थी तथा वह शिवभक्त थी, प्रतिदिन 1000 दीपक अपने इष्ट देव महादेव के सामने जलाकर पुष्कर झील में समर्पित करती थी।

वाकपतिराज प्रथम

  • हर्षनाथ शिलालेख में इसे ’महाराज’ की उपाधि दी गई।
  • इसी के शासनकाल में राष्ट्रकूटों ने प्रतिहारों की शक्ति को नष्ट कर दिया, जिसका फायदा उठाकर वाकपतिराज प्रथम ने प्रतिहारों के कई भाग अपने राज्य में मिला लिए।
  • वाकपतिराज ने अनेक युद्ध किये। पृथ्वीराज विजय के अनुसार इसने 188 युद्ध किये थे।

सिंहराज

  • सिंहराज गुर्जर प्रतिहार शासक देवपाल का सामन्त था। इसने दिल्ली के तोमरों व प्रतिहारों को हराया। दोनों शत्रुओं ने मिलकर सिंहराज की हत्या कर दी।
  • हर्षनाथ शिलालेख के अनुसार इसने सेनापति की हैसियत से तोमर शासक ’सलवण’ को परास्त किया था।
  • सिंहराज ने महाराजाधिराज, परमभट्टारक तथा परमेश्वर की उपाधि धारण की थी।

विग्रहराज द्वितीय

  • विग्रहराज द्वितीय प्रारम्भिक शासकों में सबसे प्रभावशाली व योग्य शासक था।
    इन्होंने अन्हिलवाड़ा के चालुक्य शासक मूलराज प्रथम को हराया और उसे कर देने के लिए विवश किया।
  • भड़ौच (गुजरात) में अपनी कुलदेवी ’आशापुरा माताजी’ का मंदिर बनवाया।
  • इसी के समय का सीकर जिले की हर्ष पहाड़ी पर हर्षनाथ शिलालेख निर्मित हुआ। हर्षनाथ शिलालेख से विग्रहराज के शासनकाल के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।

दुर्लभराज द्वितीय

  • दुर्लभराज द्वितीय ने ’महाराजाधिराज’ की उपाधि धारण की।
  • अभिलेखों में इसे ’दुर्लघ्यमेरू’ (जिसकी आज्ञा का कोई उल्लंघन ना करे) कहा गया है।
  • इसने नाडोल के महेन्द्र चौहान को हराया।

गोविन्दराज तृतीय

  • पृथ्वीराज विजय में गोविन्दराज तृतीय को ’वैरीघरट्ट’ (शत्रुओं का संहार करने वाला) कहा गया है।
  • फरिश्ता ने गोविन्द तृतीय को गजनी के शासक को मारवाड़ में आगे बढ़ने से रोकने वाला कहा है।

वाकपतिराज द्वितीय

  • वाकपतिराज द्वितीय ने मेवाड़ शासक अम्बाप्रसाद को युद्ध में मार दिया और ख्याति प्राप्त की।
  • वाकपतिराज द्वितीय के पुत्र लक्ष्मण चौहान ने 960 ई. में नाडौल में चौहान वंश की स्थापना की।

पृथ्वीराज प्रथम

  • पृथ्वीराज प्रथम ने ’परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर’ की उपाधि धारण की।
  • प्रबन्ध कोष में इसे ’तुर्क सेना का विजेता’ कहा गया है।
  • इसने 1105 ई. में 700 चालुक्यों को मारा, जो पुष्कर में ब्राह्मणों को लूटने आये थे।
  • यह शिव भक्त था। सोमनाथ मार्ग में यात्रियों के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था की थी।

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें सांभर के चौहान(Sambhar ke Chouhan) विस्तार से पढ़ा। हमनें पुरे टॉपिक को अच्छे से कवर किया, हम आशा करतें है कि आप हमारे प्रयास से संतुष्ट होंगे …..धन्यवाद

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