स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन (SIQE): प्रारम्भिक शिक्षा(कक्षा 1 से 5) में विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर उन्नयन के उद्देश्य से राज्य में शैक्षिक सत्र 2015-16 से ‘State Initiative for Quality Education Programme’ संचालित किया जा रहा है, इसके तहत राज्य में शिक्षकों की क्षमता संवर्द्धन के साथ-साथ गतिविधि आधारित(ABL), बाल- केन्द्रित शिक्षण(CCP) के आधार पर सतत एवं व्यापक मूल्यांकन(CCE) प्रक्रिया को अपनाया गया है।
स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन (SIQE)
SIQE in Hindi: शैक्षिक सत्र 2015-16 से राज्य सरकार माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, RSCERT उदयपुर, यूनिसेफ एवं बोध शिक्षा समिति,जयपुर के मध्य अप्रैल, 2015 में MoU (समझौता) किया गया था। राज्य में संचालित, समन्वित राजकीय उच्च माध्यमिक/माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 1 से 5 तक में विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर उन्नयन के उद्देश्य से स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन (SIQE) परियोजना प्रारम्भ की गई।
परियोजना का नाम | स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन (SIQE) |
शुरुआत | 2015-16 |
स्तर | प्राथमिक स्तर(कक्षा 1 से 5 तक) |
SIQE Full Form | State Initiative for Quality Education Programme |
संयुक्त कार्यक्रम | ABL, CCP, CCE |
उद्देश्य | विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर उन्नयन के लिए |
SIQE Full Form –
- SIQE Full Form – State Initiative for Quality Education Programme(स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन)
बच्चो के सर्वागीण विकास हेतु गुणवत्ता पूर्व शिक्षा की व्यवस्था सरकार का दायित्व हैं-
– RTE Act 2009 की धारा- 8 के अनुसार
प्रारम्भिक शिक्षा में विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर उन्नयन के उद्देश्य से राज्य में ‘State Initiative for Quality Education Programme'(SIQE) संचालित किया जा रहा है, इसके तहत राज्य में शिक्षकों की क्षमता संवर्द्धन के साथ-साथ गतिविधि आधारित बाल- केन्द्रित शिक्षण के आधार पर सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया को अपनाया गया है।
SIQE क्या है ?
वर्ष 2015-16 में कक्षा 01 से 05 तक चलाया गया समन्वित कार्यक्रम है, जिसके अन्तर्गत शिक्षकों की क्षमतावर्द्धन के साथ-साथ बाल-केन्द्रित शिक्षण शास्त्र (CCP) के आधार पर सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया (CCE) तथा गतिविधि आधारित शिक्षण (ABL) प्रक्रिया और को अपनाया गया है।
राजस्थान में प्राथमिक शिक्षा में विद्यार्थियों के शैक्षिक उन्नयन के लिए राज्य सरकार द्वारा कार्यक्रम चलाया गया।
– स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन(SIQE)
SIQE से जुड़ी संस्थाएं:
- राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, जयपुर
- प्रारम्भिक निदेशालय, बीकानेर
- माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर
- राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर
- यूनिसेफ
- बोध शिक्षा समिति, जयपुर
SIQE में शामिल कार्यक्रम:
SIQE में निम्न तीन कार्यक्रमों को शामिल इस परियोजना का निर्माण किया गया है –
ABL(Activity Based Learning) | गतिविधि आधारित शिक्षण |
CCP(Child Centered Pedagogy) | बाल केंद्रित शिक्षणशास्त्र |
CCE (Continuous and Comprehensive Evaluation) | सतत एवं व्यापक मूल्यांकन |
- बाल-केन्द्रित एवं गतिविधि आधारित शिक्षण करवाना तथा सतत एव व्यापक मूल्यांकन और आकलन करना इस कार्यक्रम का मूल आधार है, ये दोनों पक्ष आपस में जुड़े हुए हैं, अगर हम सरलतम रूप में देखते तो प्रत्येक बालक को व्यक्तिगत जाने बिना उसकी आवश्यकता के अनुरूप शिक्षण कार्य करवाया जाना सम्भव नहीं है।
- यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें प्रत्येक बच्चे के सीखने के स्तर, गति एवं रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण एवं आकलन का कार्य शिक्षण द्वारा किया जाता है।
SIQE का उद्देश्य :
- कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को उनकी आयु और स्तर के अनुसार शिक्षा सुनिश्चित करना
- बाल-केन्द्रित शिक्षण(CCP) द्वारा सीखने के पर्याप्त अवसर सुनिश्चित करवाना।
- बच्चों में परीक्षा को भय रहित करना।
- गतिविधि आधारित शिक्षण(ABL) द्वारा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रुचिकर आनन्ददायी एवं प्रभावी बनाना।
- ज्ञान को स्थाई एवं प्रभावी बनाते हुए प्राथमिक शिक्षा की नींव को प्रभावी तरीके से मजबूत करना।
- बच्चों में सृजनात्मकता एवं मौलिक चिंतन का विकास सुनिश्चित करना।
- स्तरानुसार शिक्षण योजना बनाकर शिक्षण कार्य करते हुए शैक्षिक प्रगति सुनिश्चित करना।
- बच्चों को पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाते हुए संज्ञानात्मक एवं व्यक्तित्व विकास के सर्वांगीण विकास का मूल्यांकन करना।
- बालकों के अधिगम स्तर में गुणात्मक विकास के साथ-साथ नामांकन एवं ठहराव(लहर कार्यक्रम के अंतर्गत) में वृद्धि करना।
- बच्चों की उपलब्धि एवं प्रगति को अभिभावकों से साझा करना।
SIQE का आदर्श वाक्य :
ध्येय वाक्य : सभी बच्चे सीख सकते हैं,सभी शिक्षक पढ़ा सकते हैं।
सभी बच्चे सीख सकते हैं
- सामान्य स्तर का बालक अपनी आयु के अनुसार सभी बातों को सीख सकता है।
सभी शिक्षक सीखा सकते हैं।
- सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में बच्चे के अनुसार परिवर्तन लाने की आवश्यकता है, तभी वाँछनीय परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। इसके लिए हमें हमारे सीखने के तरीकों के प्रति सजग रहने की जरूरत है।
- हमारे सिखाने के तरीकों में और आकलन में सीधा जुड़ाव गुणवत्ता की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। यहाँ यह स्पष्ट है कि सतत रूप से आकलन करते हुए, हर बच्चे का ध्यान रखते हुए शिक्षण किया जाए और आकलन के आधार पर आवश्यकता के अनुसार उसमें बदलाव करते हुए आगे बढ़ा जाए।
राजस्थान में SIQE के तहत CCE के संचालन के अंतर्गत प्रक्रियाएँ –
- पाठ्यक्रम का टर्मवार विभाजन
- प्रत्येक कक्षा एवं विषय के अधिगम के उद्देश्यों को व्यवस्थित करते हुए शिक्षण सत्र को 03 टर्म में विभाजित किया गया है।
- प्रत्येक टर्म के लिए S.C.E.R.T, उदयपुर द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम एवं सीखने के प्रतिफल के अनुसार शिक्षण योजना का नियोजन करते हुए कक्षा-कक्षीय शिक्षण प्रक्रिया में योजनानुसार कार्य करवाया जाना है।
- कार्यपत्रकों को भली भाँति जाँच करते हुए अशुद्धियों को रेखांकित / गोला कर शुद्ध करवाया जाए। इस दौरान पोर्टफोलियो फाइल संधारित की जाए।
- आधार रेखा मूल्यांकन
- आधार रेखा मूल्यांकन हेतु जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में बच्चों के साथ पूर्व के कार्यों का दोहरान कार्य करवा लेने के पश्चात् एवं व्यापक कार्यपत्रक द्वारा बच्चों का आकलन किया जाता है।
- किसी कक्षा में नामांकित सभी बच्चों का स्तर शैक्षिक दृष्टि से भिन्न- भिन्न होता है, स्तर की इसी भिन्नता को आकलन टूल की सहायता से जानना आवश्यक है।
- इस आकलन की प्रक्रिया से बच्चों का अधिगम स्तर एवं कक्षा स्तर का निर्धारण होता है।
- इस आकलन के आधार पर बच्चों को 02 समूह में निर्धारित किए जाने है –
प्रथम समूह – 1: इसमें वे बच्चे जो कक्षा स्तर के अनुरूप दक्षता/योग्यता रखते हैं।
द्वितीय समूह – 2: इसमें वे बच्चे जो कक्षा स्तर से न्यून दक्षता योग्यता वाले है। इसे कक्षा 2 से प्रारम्भ किया जाता है।
- सत्र 2020-21 में कोविड-19 के प्रभाव के कारण विद्यालयों में विद्यार्थी लम्बे समय से नहीं आने के कारण सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बाधित हुई। अत: ऐसे में ‘Summer Loss’ के कारण विद्यार्थियों के लर्निंग गैप को ध्यान में रखते हुए विद्यालय प्रारम्भ होने के समय समस्त विद्यार्थियों का आधार रेखा आकलन प्रपत्र तैयार करते हुए मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है।
- अध्यापक योजना डायरी – इसके अन्तर्गत समूह 1 व समूह 2 को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक कक्षा से सम्बन्धित विषय के लिए शिक्षण योजना समीक्षा तथा रचनात्मक आकलन चेकलिस्ट को सम्मिलित किया जाता है।
- प्राथमिक स्तर पर कुल 7 डायरियाँ होती हैं।
- सतत एवं व्यापक अभिलेख – इसमें बालक की 03 टर्म में प्राप्त उपलब्धि (योगात्मक आकलन) को दर्ज किया जाता है।
(A) योगात्मक आकलन – यह पाठ्यक्रम की समाप्ति पर किया जाता है। यह विद्यार्थी की उपलब्धि स्तर का आकलन है।
कक्षा 1 से 5 में SIQE के अन्तर्गत CCE के तहत योगात्मक आंकलन –
CCE के तहत कुल 3 योगात्मक आकलन होते है :
क्रम स. | पाठ्यक्रम विभाजन | माह / समय |
प्रथम | 45 % | अगस्त – सितम्बर |
द्वितीय | 40 % | अक्टूबर – जनवरी |
तृतीय | 15 % | जनवरी – मार्च |
(B) रचनात्मक/निर्माणात्मक आकलन – यह शिक्षण व अधिगम प्रक्रिया के दौरान विद्यार्थी की प्रगति का भयमुक्त वातावरण में निरन्तर रूप से किया जाने वाला आकलन है। इसका मुख्य उद्देश्य अधिगम तथा विकास में निरन्तर वृद्धि करना है।
- पोर्टफोलियो – विद्यार्थियों द्वारा किए गए कार्यों को साक्ष्य के रूप में संधारित करने के लिए विद्यार्थीवार एक फाइल बनाई जाती है, इसी को पोर्टफोलियो कहते हैं। यह विद्यार्थी की सृजनात्मकता, मौलिकता एवं शैक्षिक प्रगति का आईना है।
- विद्यार्थी वार्षिक आकलन प्रतिवेदन – यह विद्यार्थी के सम्पूर्ण शैक्षिक सत्र की टर्मवार प्रगति को दर्शाने वाला दस्तावेज है।
- यह विद्यार्थी का प्रगति पत्र है जिसमें सभी प्रविष्टियाँ दर्ज करने के बाद सत्र के अंत में उसे दिया जाता है।
- शिक्षक–अभिभावक-विद्यार्थी बैठक
- यह बैठक SA-2 एवं SA – 3 के समय आयोजित की जानी है जिसमें विद्यार्थी की शैक्षिक प्रगति को अभिभावक व विद्यार्थी से साझा किया जाना है।
- SMC की प्रत्येक बैठक में भी सदस्यों को बच्चों की प्रगति से अवगत करवाया जाना है।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में बच्चों की शैक्षिक उपलब्धि को ग्रेड्स (ABC) के द्वारा दर्ज किया जाना है।
- A – स्वतंत्र रूप से कार्य कर पाना या अपेक्षित स्तर की समझ
- B – शिक्षक की सहायता से कार्य कर पाना या मध्यम स्तर की समझ
- C – शिक्षक की विशेष सहायता से कार्य कर पाना या आरम्भिक स्तर की समझ
नोट :- कक्षा 5 के लिए ‘प्राथमिक शिक्षा अधिगम स्तर मूल्यांकन’ एवं कक्षा 8 हेतु प्रारम्भिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र परीक्षा- इस हेतु RSCERT उदयपुर, पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षा एवं प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर से जारी निर्देशों की पालना सुनिश्चित करते हुए टर्म विभाजन के अनुरूप शिक्षण कार्य सुनिश्चित किया जाए।
SIQE कार्यक्रम संचालन हेतु समितियाँ(स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन)
SIQE कार्यक्रम को संचालित करने के लिए राज्य स्तर पर 3 और जिले स्तर पर 2 समितियों का गठन किया गया है।
राज्य स्तर पर –
- राज्य परियोजना परिचालन समिति(नीति निर्धारण का कार्य करती है), इसका अध्यक्ष आयुक्त, प्रारम्भिक शिक्षा परिषद,जयपुर होता है।
- राज्य कार्यकारी समूह(दिन- प्रतिदिन के कार्यों का प्रबंधन और संचालन)
- राज्य शैक्षिक समूह(तकनीकी से संबंधित कार्य)
- परियोजना परिचालन समिति(सदस्य -10) की एक वर्ष में बैठक – 4
- राज्य कार्यकारी समूह(सदस्य -8) की एक वर्ष में बैठक – 6
- राज्य शैक्षिक समूह(सदस्य -8) की एक वर्ष में बैठक – 6
जिला स्तर पर –
- जिला अकादमिक समूह(अध्यक्ष – जिला कलेक्टर)
- कौर ग्रुप(अध्यक्ष – डाइट प्राचार्य)
SIQE का संचालन:
- इस कार्यक्रम का संचालन एवं शैक्षिक कार्य संयुक्त रूप से निदेशालय प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर एवं निदेशालय माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर द्वारा दिया जाता है।
- कार्यक्रम संचालन के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यक्रम की रूपरेखा का कार्य राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद्, जयपुर करती है।
मॉनिटरिंग कार्य:
- निदेशालय प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर
- निदेशालय माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर
- स्कूल शिक्षा परिषद्, जयपुर
- RSCERT उदयपुर
समस्त अकादमिक कार्य:
- RSCERT (राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उदयपुर)
ABL+ CCP + CCE = SIQE(स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन)
इन तीनों कार्यक्रमों को मिलाकर SIQE की परियोजना को तैयार किया गया है –
1.बाल-केन्द्रित शिक्षण शास्त्र (Child Centered pedagogy-CCP)
- CCP का अर्थ बच्चे के अनुभव, स्तर और सक्रिय सहभागिता को प्राथमिकता देना।
- इस प्रकार के शिक्षण में बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास व अभिरुचियों के मद्देनजर शिक्षा को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
- इस तकनीक की मान्यता है कि प्रत्येक बालक महत्त्वपूर्ण है।
- इस प्रकिया में बच्चों के अनुभवों, विचारों व सहभागिता को प्राथमिकता दी जाती है।
- NCF-2005 में कक्षा-कक्ष शिक्षण एवं मूल्यांकन के उद्देश्यों में स्पष्ट किया गया है कि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सार्थक और आनन्ददायी अनुभवों एवं संदर्भों को केन्द्रित करते हुए भयमुक्त, मूल्यांकन के प्रयास किए जाए।
- प्रत्येक बच्चे को कार्य करके सीखने के पर्याप्त अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए शिक्षक द्वारा योजना का निर्माण किया जाता है। इसमें शिक्षक एक सहयोगी के रूप में कार्य करते हुए बच्चों को अपने स्वतंत्र विचार रखने के लिए प्रेरित करते हैं जिसमें बच्चे अपने अनुभव, विचार और सहभागिता के आधार पर ज्ञान का निर्माण स्वयं करते हैं।
- इसमें बच्चों की सक्रियता व रचनात्मक सामर्थ्य को पोषित एवं संवर्धित करने के पर्याप्त अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
2.गतिविधि आधारित अधिगम (Activity Based Learning-ABL)
- NCF-2005 के अनुसार प्रत्येक बालक अपनी गति, स्तर एवं रुचि के अनुसार सीखता है।
- RTE-2009 की धारा-29(ड़) के अनुसार सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बालकों के अनुरूप गतिविधि आधारित एवं खोजने की प्रवृत्ति को बढ़ाने वाली हो।
- इस हेतु CCE में प्रत्येक बालक के सीखने को सुनिश्चित करने के लिए गतिविधि आधारित अधिगम की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
- सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में बालकों के स्तरानुसार ( गतिविधियों में परिवर्तन कर वाँछित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
- ABL एक ऐसी प्रकिया है, जिसमें गतिविधियों के माध्यम से बच्चों का सीखना सुनिश्चित किया जाता है।
- इस प्रक्रिया की मुख्य आधार मान्यता यह है- “प्रत्येक बच्चा महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक बच्चे के सीखने की अपनी गति होती है एवं अपना स्तर होता है।” बच्चे के साथ उसकी गति और उसके स्तरानुसार गतिविधियों के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया की जाए तो बच्चे का सीखना सुनिश्चित होगा।
विद्यालय में गतिविधि आधारित शिक्षण की तकनीक
- ABL कक्ष – ABL के लिए विद्यालयों में कक्षा 1 व 2 के लिए 2 ABL कक्ष का विकास समग्र शिक्षा अभियान द्वारा प्राप्त वित्तीय प्रावधानों के अनुसार अथवा विद्यालय प्रबन्धन समिति के अनुदान स्थानीय जनसहयोग से प्राप्त राशि से निम्न सुविधाएं उपलब्ध होती है –
- बच्चों के लिए श्यामपट्ट
- अंग्रेजी/हिन्दी के वर्णों/गणित के अंकों की पट्टी
- कथाचित्र बोर्ड
- डॉट बोर्ड, बॉक्स बोर्ड
- गिनती व पहाड़े का चार्ट
- आकृतियों के नाम व चित्र
- रंगों के नाम व चित्र
- डिस्प्ले बोर्ड
- महीनों एवं सप्ताह के दिनों के नाम
ABL हेतु शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री –
- चार्ट
- फ्लेश कार्ड
- वाक्य
- अंक व शब्द कार्ड
- चयनित व नियोजित खेल गतिविधि आधारित सामग्री
- अंक व शब्द आधारित साँप-सीढ़ी चार्ट
- शिक्षक/विद्यार्थी किट
- अन्य प्रशिक्षण/शिक्षक मानसिक बैठक में लिए गए निर्णयानुसार नियोजित सामग्री
लहर कार्यक्रम – राज्य के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा में विशेषकर कक्षा 1 व 2 में विद्यार्थियों के नामांकन और ठहराव को बढ़ाने एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु 2008 में सर्वशिक्षा अभियान द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से लहर कार्यक्रम का संचालन किया गया।
नोट :- LAHAR FULL FORM – LEARNING ENHANCEMENT ACTIVITY IN RAJASTHAN
- वर्तमान में लहर कार्यक्रम का स्थान SIQE के तहत संचालित गतिविधि आधारित शिक्षण की तकनीक ABL कक्ष ने ले लिया है।
3. CCE सतत व व्यापक मूल्यांकन (Continuous and comprehensive Evaluation)
- सतत एवं व्यापक मूल्यांकन एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें विद्यालय में बच्चों के विकास के सभी पहलुओं का आकलन किया जाता है। मूल्यांकन का सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का आवश्यक घटक होना। पुनर्बलन (फीडबैक) की उपयुक्त शिक्षण योजना बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका। सतत एवं व्यापक मूल्यांकन वास्तव में सीखने-सिखाने एवं कक्षा व्यवस्था में विशेष बदलाव के लिए प्रेरित करती है।
- इसमें निदानात्मक मूल्यांकन कर उपचारात्मक शिक्षण करवाया जाता है।
- CCE में सतत का तात्पर्य – लगातार एवं बार-बार से है, सतत मूल्यांकन का आशय सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के अन्तर्गत निरन्तर अवलोकन करना एवं आवश्यकता अनुसार पुनर्बलन व मार्गदर्शन प्रदान करने से है।
- CCE में व्यापक का तात्पर्य – निरन्तर व आवधिक रूप से बालक के संवृद्धि व विकास के शैक्षिक पक्ष के साथ सह-शैक्षिक पक्षों को भी शामिल करने से है, इसमें मूल्यांकन की विभिन्न तकनीकों, साधनों का उपयोग, अधिगम के उपयोग एवं अधिगम के विभिन्न क्षेत्रों; जैसे- ज्ञान, समझ, अनुप्रयोग, विश्लेषण, मूल्यांकन व सृजन का आकलन करने के लिए किया जाता है।
निष्कर्ष : स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन
आज के आर्टिकल में हमनें स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन (SIQE) के बारे में विस्तार से जानकारी शेयर की , अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो हमें ख़ुशी होगी ….धन्यवाद
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